हिंदू हित की बात: हार के बाद कथित सेक्युलर पार्टियों ने बदली रणनीति या फिर बहा रहे हैं घड़ियाली आंसू?

पार्टियों ने ना केवल चिन्मय दास की गिरफ्तारी की निंदा की है बल्कि हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर भी सवाल उठाए हैं

कांग्रेस, 'आप' और टीएमसी जैसी सेक्युलर पार्टियों ने भी हिंदुओं पर हमले का मुद्दा उठाया है

कांग्रेस, 'आप' और टीएमसी जैसी सेक्युलर पार्टियों ने भी हिंदुओं पर हमले का मुद्दा उठाया है

बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताया है और उन्हें रिहा करने की भी मांग की गई है। इस मुद्दे पर एक दिलचस्प या कहें कि महत्वपूर्ण चीज जो सामने आई है वो यह है कि हिंदुओं के खिलाफ दुनियाभर में होने वाली हिंसा पर मौन रहने वाली भारत की सेक्युलर पार्टियों ने भी इस पर अपनी चुप्पी तोड़ दी है। अभी तक ऐसा होता आया था कि अगर मुस्लिमों के खिलाफ किसी भी तरह का अपराध हो तो ये पार्टियां तुष्टिकरण और वोट बैंक के लिए आक्रामक हो जाती थीं लेकिन अगर कहीं हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हो, उन्हें मार भी दिया जाए तब भी ये या तो अक्सर खामोश रहती थीं या प्रतिक्रिया के नाम पर खानापूर्ति की कोशिश करती थीं।

बांग्लादेश में लंबे समय से हिंसा जारी थी लेकिन इन पार्टियों की खामोशी महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के बाद ही टूटी है और वो भी एकसाथ। इन्होंने ना केवल चिन्मय दास की गिरफ्तारी की निंदा की है बल्कि हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर भी सवाल उठाए हैं।  महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों के बाद ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का सबक शायद इन पार्टियों ने भी सीख लिया है और ये एकजुट नजर आ रही हैं। कांग्रेस, ‘आप’ और टीएमसी समेत कथित सेक्युलर पार्टियां अब इस मुद्दे पर अपनी राय रख रही हैं।

क्या बोली कांग्रेस?

कांग्रेस पार्टी की ओर से पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने बयान जारी किया है। खेड़ा ने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने आ रहे असुरक्षा के माहौल पर गहरी चिंता व्यक्त करती है। इस्कॉन संत की गिरफ्तारी इसका ताजा उदाहरण है।” उन्होंने भारत सरकार पर बांग्लादेश से आवश्यक कदम उठाने की मांग करते हुए कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को उम्मीद है कि भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर आवश्यक कदम उठाने और अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालेगी।”

कांग्रेस पार्टी की नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी ने हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर सवाल उठाए हैं। प्रियंका गांधी ने कहा है, “बांग्लादेश में इस्कॉन टेंपल के संत की गिरफ्तारी और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ लगातार हो रही हिंसा की खबरें अत्यंत चिंताजनक हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि इस मामले में हस्तक्षेप किया जाए और बांग्लादेश सरकार के समक्ष अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का मुद्दा मजबूती से उठाया जाए।”

TMC ने भी जताई चिंता

बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की है। ममता ने कहा कि केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी वह इस पर केंद्र सरकार के साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा, “किसी भी धर्म पर हमला निंदनीय है, हम हमेशा इसकी निंदा करते हैं। घटना के बाद मैंने इस राज्य के इस्कॉन प्रमुख से दो बार बात की है लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय मामला है। हम केंद्र के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते लेकिन हम इस हमले की निंदा कर सकते हैं।” ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

केजरीवाल भी बने हिंदू हितैषी

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी इस मामले को लेकर चिन्मय कृष्ण दास को जल्द से जल्द छोड़ने की मांग की है। उन्होंने लिखा है, “बांग्लादेश में अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किए गए संत चिन्मय कृष्ण दास जी के साथ पूरा देश एकजुटता के साथ खड़ा है। केंद्र सरकार से अपील करता हूँ कि इस मामले में हस्तक्षेप करके चिन्मयदास जी को जल्द से जल्द मुक्त कराएं।” मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी इस पर चिंता जताई है।

दुनियाभर में हिंदुओं की एकजुटता ने लोगों को हिंदुओं के हितों की आवाज उठाने के लिए बाध्य कर दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने प्रचार के दौरान हिंदुओं के पक्ष में बयान दिए। उन्होंने बांग्लादेश को लेकर जो बाइडन और अमेरिकी प्रशासन की जमकर आलोचना की और हिंदुओं का साथ देने का संकल्प दिखाया था। ट्रंप इसके बाद अपना चुनाव जीते और वे अमेरिका के नए राष्ट्रपति नियुक्त हो गए हैं। हिंदुओं की एकजुटता दुनियाभर में उनकी सबसे बड़ी मजबूती बनी दिख रही है।

भारत में जिन हिंदुओं को अभी तक ‘टेकन फॉर ग्रांटेड’ लिया जाता था यानी पार्टियां मान लेती थीं कि इनके लिए अगर आवाज ना भी उठाई जाए तो भी ये उनका वोट बैंक बने रहेंगे उनके मुद्दों पर भी इन पार्टियों का ध्यान गया है। जिन पार्टियों में अभी तक मुस्लिमों के तुष्टिकरण की होड़ रहती थीं और केवल मुस्लिम वोट पाने के लिए ये पार्टियां खुद को बड़ा हिंदू विरोधी साबित करना चाहती थीं। लेकिन महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे और बीजेपी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ के नैरेटिव के बाद हिंदुओं की एकजुटता से शायद इन पार्टियों को अपने वोट के खिसक जाने का डर बना है। अब यह देखना होगा कि इन पार्टियों का यह दुख असल है या केवल वोट में सेंधमारी के खिलाफ घड़ियाली आंसू बहाए जा रहे हैं।

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