व्हाट्सऐप (WhatsApp) की मनमानी को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने सख्त रुख अपनाते हुए 213 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। व्हाट्सऐप के खिलाफ यह कार्रवाई प्राइवेसी पॉलिसी के दुरुपयोग के चलते लगाया गया है।
क्या है मामला:
दरअसल, व्हाट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) है। इस कंपनी के अंतर्गत ही फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप आते हैं। व्हाट्सऐप भी इसका ही हिस्सा है। मेटा पर आरोप है कि उसने साल 2021 में अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव किया और इसके बाद भारत के 500 मिलियन से ज्यादा यूजर्स का डेटा अपनी अन्य कंपनियों के साथ शेयर कर दिया। यूजर्स के डाटा की यह शेयरिंग एडवर्टाइज़मेंट यानी सामग्री के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने मेटा पर 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए कंपनी को अपने ऐप में इन-ऐप नोटिफिकेशन यानी कि ऐप में नोटिफिकेशन जोड़ने का निर्देश दिया है। इन-ऐप नोटिफिकेशन के जरिए यूजर्स को पता लग जाएगा कि उनका डेटा मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म या ऐप पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बाद यूजर्स की अनुमति के बाद ही उनका डेटा एडवर्टाइजमेंट के लिए उपयोग किया जा सकेगा।
इतना ही नहीं भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने व्हाट्सएप को आदेश दिया है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर एकत्र किए गए यूजर्स के डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए अन्य मेटा कंपनियों या उत्पादों के साथ अगले पांच साल तक शेयर न करे। साथ ही आयोग ने मेटा को व्हाट्सऐप के अपडेट से जुड़े अपडेट को लेकर भी एक निश्चित समय के भीतर सुधार करने का निर्देश दिया है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने एक बयान में कहा कि व्हाट्सएप द्वारा ‘टेक-इट-या-लीव-इट’ यानी ‘ऐप का उपयोग कर रहे हो तो इसकी पॉलिसी मानो या फिर ऐप का उपयोग ही न करो’ के आधार पर साल 2021 में अपनी पॉलिसी अपडेट की थी। यह पॉलिसी यूजर्स को बिना किसी ऑप्शन के उनके डेटा को इकट्ठा करने और उसे शेयर करने की अनुमति देती है।
वहीं इस मामले में व्हाट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा की ओर से कहा गया है कि वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का यह फैसला सही नहीं है और वे इसके खिलाफ अपील करेंगे। 2021 में ऐप में हुए अपडेट ने लोगों के व्यक्तिगत मैसेज की प्राइवेसी में कोई बदलाव नहीं किया और उस समय यूजर्स के लिए इसे एक विकल्प के रूप में सामने लाया गया था। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि इस अपडेट के कारण किसी का भी अकाउंट डिलीट न हो।
क्या करता है भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग:
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) भारतीय बाजार में कम्पटीशन को बढ़ावा देने और कम्पटीशन के खिलाफ होने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए साल 2002 में इस आयोग का गठन किया गया था। इसके प्रमुख कार्यों में कार्टेल यानी दो या अधिक बिजनेसमैन के बीच आपस में कम्पटीशन न करने को लेकर समझौते की जांच करना और उन पर अंकुश लगाना तथा कंपनियों के विलय समेत ऐसे सभी मुद्दों पर नजर रखना जो किसी भी तरीके से कम्पटीशन को रोक सकते हों, के खिलाफ कार्रवाई करना।