प्रत्येक चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेता ईवीएम का रोना रोते नजर आते हैं। लेकिन ईवीएम को लेकर अब कांग्रेस दो फाड़ नजर आ रही है। दिग्गज कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने ईवीएम पर संदेह करने से इनकार किया है। वहीं, रिपोर्ट में सामने आया है कि चुनाव से पहले कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में उसे हार मिल रही थी।
कांग्रेस के आंतरिक सर्वे से पता चला कि चुनाव से एक महीने पहले ही भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने कांग्रेस नीत महा विकास आघाडी पर बढ़त बना ली थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को जितनी सीटें मिलीं थीं, विधानसभा चुनाव में उतनी सीटों के मिलने की संभावना न के बराबर नजर आ रही थी।
दरअसल, कांग्रेस ने अक्टूबर में 103 सीटों पर एक सर्वे कराया था। इसमें महाविकास आघाडी (MVA) सिर्फ 44 सीटों पर आगे चल रही थी। वहीं महायुति को 56 सीटों में बढ़त मिल रही थी। लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए कांग्रेस के सर्वे को देखें तो MVA को 56 और महायुति को 49 सीटें मिलती दिख रहीं थीं।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में सामने आया था कि एकनाथ शिंदे सरकार की ‘माझी लड़की बहिन योजना’ महाराष्ट्र में जोर पड़क रही है। इस सर्वे में इसको लेकर सवाल था कि ‘क्या आप माझी लड़की बहिन योजना के बारे में जानते हैं?’ 103 सीटों पर हुए सर्वे में 57309 लोगों से सवाल किया गया था। इसमें से 88% लोगों ने इस योजना को लेकर सकारात्मक उत्तर दिया था। साथ ही 82% लोगों ने यह कहा था कि उनके परिवार में कोई न कोई व्यक्ति इस योजना का लाभ ले रहा है। वहीं, 17% लोगों ने कहा था कि ‘माझी लड़की बहिन योजना’ के कारण उनकी मतदान प्राथमिकता बदल गई है।
इस सर्वे रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि MVA गठबंधन को सिर्फ मुस्लिमों का ही साथ मिल रहा था। 103 सीटों पर हुए इस सर्वे में MVA गठबंधन को मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही थी। वहीं, सामान्य, ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की बाहुल्य सीटों में महायुति आगे चल रही थी। सर्वे में यह भी सामने आया था कि सभी आयु वर्ग के वोटर्स भाजपा के समर्थन वाले महायुति गठबंधन को वोट देने की इच्छा जाहिर की थी। इन 103 सीटों में से कांग्रेस ने 52, शिवसेना (यूबीटी) ने 28, एनसीपी शरद चंद्र पवार ने 21 और सीपीएम तथा समाजवादी पार्टी ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था।
चूंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नीत महा विकास आघाडी को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों के नेता इस हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं इससे पहले भी हर चुनाव में हार के बाद INDI गठबंधन के नेता हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते रहे हैं। ऐसे में अब हाल ही में दिए एक बयान में पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने हार के लिए EVM को जिम्मेदार नहीं मान रहे हैं।
पी. चिदंबरम ने कहा, “मैं मानता हूं कि ईवीएम पर संदेह करने वाले बहुत लोग हैं। एलन मस्क भी ईवीएम पर संदेहवादी हैं। और उनका कहना है कि हमें बैलेट पेपर पर वापस जाना चाहिए। लेकिन ईवीएम के साथ मेरा कोई बुरा अनुभव नहीं रहा है। मैं केवल अपने अनुभव के बारे में ही बात कर सकता हूं। मैं मतदान के दिन और मतगणना के दिन एक निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित रहता हूं। इसलिए मैं 542 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों के बारे में नहीं बोल सकता, लेकिन ईवीएम पर संदेह करने वाले काफी लोग हैं।”
इसके अलावा, तमिलनाडु के शिवगंगा से कांग्रेस के लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी ईवीएम पर पार्टी लाइन से अलग राय रखी है। कार्ति ने कहा, “ईवीएम के बारे में मेरा नजरिया अलग है। अगर मेरी पार्टी के वरिष्ठ सहयोगियों का नजरिया अलग है तो उन्हें इसे स्पष्ट करना चाहिए। मैं 2004 से ईवीएम का इस्तेमाल करने वाले चुनावों में हिस्सा ले रहा हूं। मुझे व्यक्तिगत रूप से कोई बुरा अनुभव नहीं हुआ है। न ही मेरे पास ऐसा कोई सबूत है जिससे पता चले कि इसमें किसी तरह की हेराफेरी या छेड़छाड़ की गई है। ईवीएम की मजबूती या प्रभावशीलता पर मुझे कोई संदेह नहीं है।”
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन महा विकास आघाडी की हार के पीछे की बड़ी वजह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को माना जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि RSS की रणनीति के चलते ही भाजपा और महायुति को बड़ी जीत मिली है। इसके अलावा हिंदू वोटर्स के ध्रुवीकरण के चलते भी महायुति ने सत्ता में वापसी की है।