फल-फूल रहे 1.40 लाख स्टार्टअप्स, फिर भी राहुल गाँधी के लिए बिजनेस ‘तबाह’: अंग्रेजों की याद दिला रहे, भूल गए विदेशियों से कौन मिला हुआ है

ट्रेडिंग एप Zerodha के संस्थापक निखिल कामत ने कहा था कि ये स्थिर इकोसिस्टम पीएम मोदी ने ही बनाया है, जिस कारण वो और उनके जैसे लाखों युवा आगे बढ़ रहे हैं।

राहुल गाँधी, ईस्ट इंडिया कंपनी

राहुल गाँधी ने जिन कंपनियों का नाम लिया है, उनके CEOs की बातें सुन पाएँगे?

राहुल गाँधी को अंग्रेजों की याद सता रही है, भारत में अंग्रेजी शासनकाल की याद सता रही है। तभी उन्होंने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख लिख कर ब्रिटिश इंडिया को याद किया है। उन्होंने लिखा है कि कारोबार पर एकतरफा कब्ज़ा कर के ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने भारत पर अपना नियंत्रण स्थापित किया, राजा-महाराजाओं को घूस दिए। उन्होंने लिखा है कि अंग्रेज भारत की ब्यूरोक्रेसी, सूचना नेटवर्क और व्यापार को अपने नियंत्रण में लेकर ये तय करने लगे कि कौन किसको क्या बेचेगा। लेकिन, बड़ी बात ये है कि राहुल गाँधी को आज भी भारत स्वतंत्र नहीं दिख रहा है, उन्हें हालात वही दिख रहे हैं।

स्वतंत्र भारत में साँस लेने वाले राहुल गाँधी ने अभी के काल की तुलना ग़ुलामी के दौर से किया है, क्या ये उन क्रांतिकारियों का अपमान नहीं है जिन्होंने बलिदान देकर इस देश को आज़ाद कराया? राहुल गाँधी लिख रहे हैं कि भारत के सभी सरकारी संस्थान एकाधिकारवादियों के हाथ में चले गए हैं, लाखों कारोबार बर्बाद हो गए हैं और बेरोजगारी बढ़ रही है। उनका कहना है कि चंद एकाधिकरवादियों ने भारी संपत्ति इकट्ठा कर ली है। अब राहुल गाँधी का आँकड़ों से कोई लेना-देना तो है नहीं, जो मन में आया वो लिख दिया।

‘कारोबार तबाह हो रहे’: राहुल गाँधी के दावों में कितनी सच्चाई?

आइए, ज़रा देखते हैं कि राहुल गाँधी के इन दावों में कितनी सच्चाई है कि भारत में बिजनेस तबाह हो रहे हैं। अभी देश में 1.40 लाख स्टार्टअप हैं, जी हाँ – एक लाख चालीस हजार। इनमें से 135 ऐसे हैं जिन्हें यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त है। बताते चलें कि यूनिकॉर्न वो कंपनियाँ होती हैं जो सार्वजनिक लिस्टिंग से पहले ही 1 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन को पार कर जाती हैं। सोचिए, 2014 से पहले जब राहुल गाँधी की पार्टी की सरकार थी तब देश में बस 350 स्टार्टअप थे और अब ये 1.40 लाख हो गए हैं। और, राहुल गाँधी कहते हैं कि भारत में कारोबार बर्बाद हो रहे हैं।

सबसे बड़ी बात, जो नए कारोबार स्थापित हो रहे हैं और शिखर को छू रहे हैं, वो सब मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ़ कर रहे हैं। फ़ूड एग्रीगेटर एप Zomato के संस्थापक दीपेंदर गोयल ने बताया था कि उनके पिता को लगता था कि सामान्य परिवार से होने के कारण वो सफल स्टार्टअप नहीं बना पाएँगे, लेकिन मोदी सरकार और उसकी नीतियों के कारण वो सफल हुए और आज इससे लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। इसी तरह खाद्य पदार्थों की कंपनी Haldiram के CEO कृष्ण कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निवेश को लुभाने वाली नीतियों के कारण क्रांति आ गई है।

इसी तरह ट्रेडिंग एप Zerodha के संस्थापक निखिल कामत ने कहा था कि ये स्थिर इकोसिस्टम पीएम मोदी ने ही बनाया है, जिस कारण वो और उनके जैसे लाखों युवा आगे बढ़ रहे हैं। कंस्ट्रक्शन व अन्य क्षेत्रों में सक्रिय कंपनी L&T के मुखिया SN सुब्रमण्यम ने भी पीएम मोदी के नेतृत्व को श्रेय देते हुए कहा था कि उन्होंने हमें रास्ता दिखाया है। HDFC बैंक के CEO शशिधर जगदीशन को लगता है कि वैश्विक स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था अभी सबसे बेहतर है। ई-कॉमर्स कंपनी Moglix के संस्थापक राहुल गर्ग ने कहा था कि स्टार्टअप्स के लिए भारत में इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता। इसी तरह व्हीकल्स से लेकर अन्य क्षेत्रों में सक्रिय महिंद्रा ग्रुप के अनीश शाह ने कहा था कि मोदी सरकार भारत को निवेश का हब बनाने में लगी हुई है। ऑर्थोकेयर कंपनी Tynor Orthotics के PJ सिंह को लगता है कि सारे आर्थिक सुधार सही दिशा में हो रहे हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2047 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। HDFC कैपिटल के विपुल रूंगटा को लगता है कि भविष्य को लेकर पीएम मोदी की सोच अद्भुत है। बड़ी बात ये है कि इन्हीं कंपनियों का नाम लेकर राहुल गाँधी ने मोदी सरकार को कोसा है।

विदेशियों से कौन मिला हुआ है?

राहुल गाँधी तो कह रहे हैं कि चंद एकाधिकारवादियों को छोड़ कर भारत में सभी कंपनियाँ तबाह हो रही हैं। लेकिन, हमने अभी देखा कि सभी नए कंपनियों के संस्थापक भी मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ कर रहे हैं, साथ ही स्टार्टअप्स की संख्या में भी भारी इजाफा हो रहा है। इसका मतलब साफ़ है कि राहुल गाँधी ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ का नाम लेकर लोगों को सिर्फ डरा रहे हैं। उन्हीं अंग्रेजों की ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’, जिनसे राहुल गाँधी के परनाना जवाहरलाल नेहरू के अच्छे ताल्लुकात थे। तब गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना से उनकी दोस्ती जगजाहिर है।

इसमें कोई शक नहीं है कि विदेशी आक्रांताओं ने हमें लूटा, लेकिन आज विदेश में जाकर गुप्त बैठकें कौन करता है? व्हाइट हाउस में गुप्त बैठक कौन करता है? विदेशी यूनिवर्सिटी में जाकर कौन बोलता है कि भारत में केरोसिल तेल छिड़का हुआ है और एक चिंगारी से पूरा देश जल उठेगा। बार-बार थाईलैंड के गुप्त दौरे पर कौन जाता है? विदेशी संस्था हिंडेनबर्ग द्वारा एक स्वदेशी कंपनी के खिलाफ किए जाने वाले हिटजॉब का समर्थन कौन करता है? विडम्बना देखिए कि जो व्यक्ति ये सब करता है, वही ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ से भारतीयों को डराने के लिए झूठ बोल रहा है।

महात्मा गाँधी की ये बात मानेंगे राहुल?

राहुल गाँधी कह रहे हैं कि सरकार पर एक कारोबारी को बाकियों की कीमत पर समर्थन नहीं करने दिया जा सकता। उनका इशारा रिलायंस और अडानी समूह की तरफ है, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी की तरफ है। वही गौतम अडानी, जिनके साथ कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंच पर हँसी-मजाक करते हुए दिखे थे और राजस्थान में अडानी ने निवेश भी किया था। और वही मुकेश अंबानी, जिनके बेटे अनंत की शादी में सलमान खुर्शीद जैसे कांग्रेस नेता और अखिलेश यादव जैसे I.N.D.I. गठबंधन के नेता सपरिवार पहुँचे थे।

और इधर राजनीति के लिए राहुल गाँधी हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में अडानी-अंबानी बोल-बोल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हैं। जब उनकी पार्टी को भारत में सरकार चलाने की कमान मिली थी, तब ‘इंस्पेक्टर राज’ से देश का उद्योग जगत पीड़ित था, मोदी सरकार के ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ की व्यवस्था कर नई कंपनी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सरल बनाया। राहुल गाँधी महात्मा गाँधी का उद्धरण देते हुए कहते हैं कि वो कमजोरों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं। रही बात महात्मा गाँधी की, तो वो तो ये भी चाहते थे कि आज़ादी के बाद कांग्रेस को भंग कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका काम हो गया। तो महात्मा गाँधी की विचारधारा की बात कर उस पर चलने का दावा करने वाले राहुल गाँधी अपनी पार्टी को भंग करेंगे?

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