‘आलू लेलो, कांदा लेलो’: कांग्रेस सरकार में तेलंगाना के इंजीनियर लगा रहे ठेले, राहुल गाँधी की नीतियों से तबाह हो रहा ‘IT हब’

तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सरकार में आने के एक साल के भीतर 2 लाख से अधिक नौकरी देने का वादा किया था

तेलंगाना बेरोजगारी

ठेले लगाने को मजबूर तेलंगाना के इंजीनियर

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिन-रात जातिगत जनगणना का राग अलापते फिरते हैं। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना की तैयारी भी शुरू कर दी है। लेकिन वहां के युवा बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं और कोई भी कांग्रेसी रोजगार की बात करने को तैयार नहीं है। तेलंगाना के बेरोजगार युवा का मतलब यह नहीं कि यहां अशिक्षित युवाओं की बात हो रही है, बल्कि इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद कॉलेज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर की बात हो रही है जो अब बेरोजगार हो चुके हैं और हालत यह है कि डिलीवरी का काम कर रेहड़ी लगाकर किसी तरह से अपना घर चला रहे हैं।

साल 2007 में आई फिल्म ‘वेलकम’ का वो सीन जिसमें नाना पाटेकर ‘आलू लेलो…कांदा लेलो…’ कहते हुए नजर आए थे। वह जमकर वायरल हुआ था। यही हाल अब तेलंगाना के युवाओं का भी हो गया है। पढ़कर लिखकर अब वे रेहड़ी लगाने को मजबूर हो गए हैं।  दरअसल, बीते कुछ समय में तेलंगाना में इंजीनियरिंग कोर्स की सीटें तेजी से कम हुई हैं। इनमें सबसे अधिक 70% सीटें कोर इंजीनियरिंग की कम हुई हैं। ऐसे में कॉलेज में पढ़ाने वाले  में प्रोफेसरों को नौकरी से निकाल दिया गया या उन्हें बहुत कम पैसों में नौकरी करने के लिए कहा गया। ऐसे में बेरोजगार प्रोफेसर्स को मजबूरन डिलीवरी का काम करना पड़ रहा है।

टीओआई ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रहे अच्युत वी से बात की है। इसमें अच्युत ने कहा कि उन्हें कॉलेज द्वारा आधे वेतन में काम करने के लिए कहा जा रहा था। इससे उनका घर नहीं चल सकता था। ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। अब वह एक डिलीवरी बॉय के तौर पर काम करते हैं। इससे उन्हें हर रोज करीब 600 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा वह बाइक टैक्सी चलाकर भी वह किसी तरह से पेट पाल रहे हैं। प्रोफेसर रहे अच्युत का कहना है कि उनकी सैलरी 150000 रुपए (डेढ़ लाख) रुपए थी। अब डिलीवरी व अन्य काम करने के बाद भी वह सैलरी का एक चौथाई भी नहीं कमा पा रहे हैं। लेकिन इंजीनियर्स को ही नौकरी नहीं मिल पा रही है।

गौरतलब है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सरकार में आने के एक साल के भीतर 2 लाख से अधिक नौकरी देने का वादा किया था। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से अब तक करीब 11 महीने बीत चुके हैं। लेकिन राज्य के युवाओं को नौकरी के नाम पर सिर्फ झूठे आश्वासन ही मिल रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो कांग्रेस का 2 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा सिर्फ चुनावी वादा ही साबित हुआ और अब तेलंगाना में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। यह हाल तब है जबकि हैदराबाद को आईटी हब के नाम से जाना जाता है।

एक साल के भीतर 2 लाख नौकरी देने की बात करने वाले तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बातें खुद ही यह बताती हैं कि उनके वादे ‘फर्जी’ साबित हुए हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने 26 जुलाई, 2024 को दिए एक बयान में कहा था कि उनकी सरकार ने एक साल के भीतर 60000 (साठ हजार) लोगों को नौकरी दी है। साथ ही आने वाले 90 दिनों में 30000 (तीस हजार) लोगों को नौकरी देने की योजना है। इसका सीधा मतलब यह है कि 2 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा तेलंगाना के युवाओं को गुमराह कर सिर्फ चुनाव जीतने के लिए किया गया था।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भले ही यह कह रहे हैं कि उन्होंने 60000 नौकरियां दी हैं। लेकिन तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट की मानें तो तेलंगाना में अब तक सिर्फ 11897 लोगों को ही नौकरी मिली है। इसमें भी करीब 11000 नौकरियां तो पिछली सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के बाद मिली है। इसका मतलब यह है कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने रोजगार के नाम पर राज्य के युवाओं के साथ सिर्फ और सिर्फ छलावा ही किया है।

रोजगार ही नहीं बेरोजगार भत्ते का वादा भी फर्जी

उल्लेखनीय है कि तेलंगाना सरकार युवाओं को नौकरी देने में पूरी तरह फेल साबित हुई है। इसके साथ ही चुनाव से पहले युवाओं को बेरोजगार भत्ते के रूप में 4000 रुपए देने का भी ऐलान किया था। लेकिन यह वादा भी 2 लाख नौकरी देने के वादे की ही तरह फर्जी साबित हुआ। इसका मतलब यह है कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार रोजगार देने और बेरोजगारों को जीने के लिए एक आधार के रूप में बेरोजगार भत्ता दोनों में ही पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।

युवाओं की नींद हराम और राहुल के सपना होगा पूरा

चूंकि कांग्रेस के ‘शहजादे’ राहुल गांधी जाति जनगणना के मुद्दे पर हर रोज बात करते हैं। शायद उनकी संतुष्टि के लिए ही तेलंगाना सरकार अब जाति जनगणना की तैयारी में जुटी हुई है। चूंकि राज्य के युवा बेरोजगार हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद रेहड़ी लगाना पड़ रहा है और तेलंगाना में बढ़ रही बेरोजगारी की मुद्दे पर न तो राहुल गांधी और न ही कोई अन्य कांग्रेस नेता अपनी जुबान खोल रहे हैं। लेकिन जाति जनगणना के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। वास्तव में देखें तो, जाति जनगणना में करोड़ों रुपए खर्च होंगे। यही रुपए यदि किसी अन्य स्थान में निवेश किए जाते तो शायद राज्य के युवाओं को रोजगार मिल जाता। लेकिन रोजगार की चिंता करने वाला फिलहाल कांग्रेस सरकार में कोई भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सिर्फ जाति जनगणना ही राहुल गांधी का एक मात्र सपना है और उस सपने को पूरा करने के लिए राज्य सरकार जनगणना के लिए तैयार हो गई है। भले ही चाहे राज्य के युवा बेरोजगार रह जाएं या फिर लाखों रुपए खर्च कर डिग्री लेने के बाद डिलीवरी बॉय का काम करने या रेहड़ी लगाने को मजबूर हों और उनकी नींद हराम हो, लेकिन कांग्रेस और उसकी सरकार के लिए तो राहुल गांधी का ‘बचपन का सपना’ पूरा करना अधिक जरूरी है।

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