कनाडा और बांग्लादेश – एक उत्तरी अमेरिका में स्थित विशाल देश है तो एक दक्षिण एशिया में स्थित छोटा सा देश। एक ईसाई बहुल देश है तो एक इस्लामी मुल्क। एक की सरकार खुल कर भारत विरोधी तत्वों को वोट बैंक बना कर उनका पोषण करती हैं तो एक में चुनी हुई सरकार के तख्तापलट के बहाने हिन्दुओं को निशाना बनाया जाता है। एक अमेरिका का करीबी है तो एक जगह उपद्रव करा के अमेरिका अपने पिट्ठू को सरकार का मुखिया बनवाता है। लेकिन, दोनों जगह एक चीज कॉमन है – हिन्दुओं पर हमला, हिन्दू मंदिरों पर हमला। एक जगह जमात से लेकर अंसारुल बांग्ला टीम जैसे संगठन बैठे हुए हैं तो एक जगह से हरदीप सिंह निज्जर जैसा आतंकी ऑपरेट कर रहा था।
कनाडा के ब्रैंपटन में एक हिन्दू मंदिर पर खालिस्तानियों की भीड़ ने हमला कर दिया। खालिस्तानी झंडे लेकर आए गुंडों ने लाठी-डंडों से हिन्दू श्रद्धालुओं की पिटाई की। बड़ी बात ये कि इसके बाद कार्रवाई उन उपद्रवी खालिस्तानियों पर नहीं, बल्कि हिन्दुओं पर ही की गई। पुलिस ने भी हिन्दुओं को ही पीटा, उन्हें ही गिरफ्तार किया। इसके बाद कनाडा में मंदिर के बाहर हिन्दुओं ने सभा कर के कहा कि ये पूरे विश्व के हिन्दुओं पर हमला है। ‘हिन्दू सभा मंदिर’ के बाहर जुटे हिन्दुओं ने कहा कि अब वो समय आ गया है जब हमें अपने बारे में नहीं बल्कि अपनी आने वाली संततियों के बारे में सोचना है। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कही गई पंक्ति ‘बँटेंगे तो कटेंगे’ को भी दोहराया गया।
कनाडा में मंदिर पर हमला
इस घटना को लेकर एक और गौर करने वाली बात ये है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, नेता प्रतिपक्ष पियरे मार्सेल पोलीवरे और ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने इस घटना की निंदा करने का दिखावा तो किया है लेकिन इन नेताओं में से किसी में भी ये हिम्मत नहीं हुई कि वो उनलोगों के नाम ले सकें जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया। इनकी हिम्मत नहीं हुई कि सिख कट्टरपंथियों या खालिस्तानियों का जिक्र भर भी करें। इसका कारण ये है कि कनाडा में 8 लाख से भी अधिक सिख वहाँ की जनसंख्या का 2% हैं और राजनीति में भी प्रभावी हैं, हर कोई इस वोट बैंक को ख़ुश रखना चाहता है।
‘हिन्दू कैनेडियन फाउंडेशन’ ने जानकारी दी है कि मंदिर में घुसे हिंसक तत्वों ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा। संगठन का कहना है कि हिन्दुओं ने मदद के लिए पुलिस को बुलाया, लेकिन पुलिस भी उलटा पीड़ित हिन्दुओं को ही पीटने लगी। भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने मौके पर पहुँच कर हिन्दुओं की मदद की। पूरी दुनिया में संपूर्ण हिन्दू समाज और हिन्दू संस्कृति से प्रभावित लोगों ने दीवाली का त्योहार मनाया, प्रकाश के इस पर्व के दौरान इस तरह से खालिस्तानी तत्वों द्वारा हमला किया जाना ये बताता है कि वो इस्लामी कट्टरपंथियों से अलग नहीं हैं और हिन्दू समाज को उसी नज़र से देखते हैं। कनाडा के नेता प्रतिपक्ष पियरे पोलीवरे ने तो गुरुवार (24 अक्टूबर, 2024) को दीवाली को लेकर होने वाले एक कार्यक्रम से खुद को अलग कर लिया था, जिसे हिन्दू समाज ने धोखे के रूप में देखा था। यानी, खालिस्तानियों को अब दीवाली से भी समस्या होने लगी है। गुरुओं के समय से ही सिख समाज दीपावली का पर्व मनाता रहा है।
कनाडा की परिवहन मंत्री अनीता इंदिरा आनंद ने भी इस घटना पर ‘X’ पर पोस्ट तो किया लेकिन एक हिन्दू होने के बावजूद भी उन्होंने खालिस्तानियों का नाम नहीं लिया। ये सब कुछ जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से शुरू हुआ था। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को देश से निकाला। अब कटुता इस हद तक बढ़ गई है कि दोनों देशों में किसी भी प्रकार की बातचीत बंद है।
बांग्लादेश में तख्तापलट, लेकिन निशाना बने हिन्दू
कनाडा में जो भी हो रहा है, उसे दुनिया भर में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों से अलग कर के मत देखिए। हाल ही में बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ और इसी बहाने जम कर हिन्दुओं पर हमले किए गए। हिन्दुओं पर हमलों की 200+ वारदातें हुईं। लड़ाई थी शेख हसीना की सरकार और प्रदर्शनकरी युवाओं के बीच, हिंसा भड़काने का आरोप लगा अमेरिका पर – लेकिन, तख्तापलट के दौरान निशाना कौन बना? हिन्दू। हिन्दू शिक्षकों से इस्तीफा दिलवाया गया, मंदिरों पर हमले किए गए और ईशनिंदा का आरोप लगा कर हिन्दुओं की हत्याएँ हुईं।
बांग्लादेश में सक्रिय आतंकी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने हिन्दुओं पर हमले तेज़ कर दिए। इस तरह, मुहम्मद यूनुस की नई सरकार बनने के बाद इसी तरह एक अन्य आतंकी संगठन ‘अंसारुल बांग्ला टीम’ के मौलाना जसीमुद्दीन रहमानी को एक दशक के बाद छोड़ा गया। और उसने निकलते ही क्या कहा। जेल से छूटने के 3 हफ्ते बाद ही वो खालिस्तानियों से अपील करता है कि उनका समय आ गया है, अब पंजाब को काट कर भारत से अलग करना चाहिए। यानी, बांग्लादेश का मौलाना कनाडा की धरती से सक्रिय भारत विरोधी तत्वों को सुझाव देता है। साफ़ है, कनाडा से लेकर बांग्लादेश तक हिन्दू विरोधी सोच की वही कहानी है।
क्या अचानक से हिन्दू समाज को दुनिया भर में निशाना बनाए जाने के पीछे हमारी बढ़ती वैश्विक ताक़त है? पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को कुचलने में भारत सफल रहा है, चीन की दादागिरी के सामने भारतीय सेना आँख में आँख डाल कर खड़ी होती है और अब तो दोनों देशों ने सीमा पर शांति बहाली के लिए अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाने का फ़ैसला भी लिया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब रूस-यूक्रेन जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में मध्यस्थ के रूप में देखे जाते रहे हैं और भारत आर्थिक उन्नति भी कर रहा है। क्या इन सबसे खीझ कर हिन्दुओं के खिलाफ दुनिया भर में उसी तरह की घृणा फैलाई जा रही है जैसे यहूदियों को निशाना बनाया गया था?
‘द कोएलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA)’ कनाडा में ‘हिन्दू सभा’ मंदिर पर हुए हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी आयोजित कर रहा है। सरे स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में भी हिन्दू विरोधी घृणा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। कनाडा स्थित भारतीय दूतावास इसे भारत विरोधी तत्वों की करतूत बता चुका है। जैसा कि महर्षि अरविन्द ने कभी कहा था – सनातन धर्म ही राष्ट्रवाद है। अब ये कहा जाना चाहिए कि सनातन धर्म ही राष्ट्र है, हिन्दू धर्म ही राष्ट्र है। केवल हिन्दुओं की नज़र में ही नहीं, बल्कि जो हिन्दू विरोधी हैं उनकी नज़र में भी हिन्दू धर्म और भारत राष्ट्र एक ही है। वो एक साथ दोनों को निशाना बनाने के लिए हिन्दुओं पर हमला करते हैं।
जस्टिन ट्रूडो का भारत विरोधी सोच को खुला समर्थन
हाल ही में कनाडा से लौटे भारतीय राजदूत संजय वर्मा ने भी बताया था कि कैसे उन पर और उनकी पत्नी पर तलवार से हमला किया गया। इसी तरह भारत से लगी सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों से गुहार लगाते वहाँ इकट्ठे बांग्लादेशी हिन्दुओं की पीड़ा भी आप समझ सकते हैं। और बांग्लादेश या कनाडा ही क्यों, भारत में भी हर पर्व-त्योहार की शोभा यात्राओं पर हमले ये बताते हैं कि भारत की बढ़ती वैश्विक ताक़त को हिन्दुओं की ताक़त समझ कर इसे दबाने की साजिश रचने वाला एक वर्ग यहाँ भी है।
Canadian Police assaulted Hindu devotees on their own mandir premises in Brampton, Ontario
After Hindu devotees inside the Hindu Sabha Temple were assaulted by Khalistanis, members of the Hindu community rushed to the defense of the mandir & devotees as police was unable to… pic.twitter.com/RV0v5ADZp9
— HinduPost (@hindupost) November 4, 2024
अब भारत को खंडित करने का सपना देखने वाले इन खालिस्तानियों को कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का खुला समर्थन मिल रहा है। कनाडा की पूरी की पूरी सरकार इनका समर्थन कर रही है। वहीं SFJ (सिख्स फॉर जस्टिस) का मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका में बैठा हुआ है। वहीं ‘5 Eyes’ (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, UK और न्यूजीलैंड) नामक ख़ुफ़िया संगठन कनाडा के दावों के साथ खुल कर खड़ा है। ऐसे में इस आशंका को बोल मिलता है कि कनाडा को आगे कर के अमेरिका ये पूरा खेल खेल रहा है।