इंफाल: मणिपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में 11 कुकी उग्रवादी मारे गए हैं। जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन से तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर उग्रवादियों ने दुकानों, घरों और बाजार में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस स्टेशन के बगल में स्थित सीआरपीएफ कैंप पर गोलीबारी की गई। कुकी उग्रवादियों से मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ के दो जवान घायल हुए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। पिछले चार दिनों के दौरान मणिपुर में हिंसक घटनाओं में तेजी आई है। वहीं जिरीबाम जिले में कार्रवाई के बाद तनाव है। प्रशासन ने कर्फ्यू लगाया है, वहीं कुकी संगठनों ने मंगलवार को बंद की अपील की है।
हथियारबंद उग्रवादियों का सीआरपीएफ पर हमला
मणिपुर पुलिस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया, ’11 नवंबर को हथियारबंद उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के जकुराडोर और बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के पास सीआरपीएफ की पोस्ट पर दोपहर तीन बजे के करीब हमला किया। सीआरपीएफ और सिविल पुलिस ने हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। 40 से 45 मिनट की भारी गोलीबारी के बाद हालात काबू में हैं। इस कार्रवाई में 11 उग्रवादी मारे गए। उग्रवादियों के हमले में सीआरपीएफ के कॉन्स्टेबल संजीव कुमार को गोली लगी है। उनका असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है।‘
Today, 11th November, 2024 at about 3 pm, the CRPF Post located at Jakuradhor and Borobekra Police Station (located nearby), Jiribam District were attacked by armed militants. The security forces retaliated strongly. Due to the attack, one CRPF constable namely Sanjeev Kumar… pic.twitter.com/8ORw3EB4Pg
— Manipur Police (@manipur_police) November 11, 2024
जवाबी फायरिंग में 11 उग्रवादी ढेर, जखीरा जब्त
कुकी उग्रवादियों के पास से हथियारों का जखीरा भी मिला है। मणिपुर पुलिस का कहना है, ‘फायरिंग बंद होने के बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इस दौरान 11 उग्रवादियों का शव और तीन एके-47, चार एसएलआर, दो इंसास, एक आरपीजी, पंप एक्शन गन, बीपी हेलमेट और मैगजीन बरामद हुई है। हमले के संबंध में एक केस दर्ज किया गया है और जांच जारी है। बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के जकुराडोर और उसके आसपास के इलाकों में हथियारबंद उग्रवादियों को दबोचने के लिए ऑपरेशन जारी है। मौके पर असम राइफल्स, सीआरपीएफ और सिविल पुलिस की टीमों को भेजा गया है।‘
कुकी संगठन ने जिराबाम में बुलाया बंद
उधर कुकी जो काउंसिल ने इस कार्रवाई के बाद जिरीबाम में मंगलवार को बंद बुलाया है। काउंसिल ने अपने बयान में कहा, ‘जिरीबाम में हुई दुखद घटना में हमने 11 कुकी-जो ग्राम स्वयंसेवकों को खो दिया। उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। काउंसिल ने पीड़ितों के सम्मान में एकजुटता और सामूहिक दुख प्रकट करने के लिए बंद बुलाया है। 12 नवंबर को सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक पूर्ण बंद रहेगा। यह पूरे कुकी-जो समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है।‘
जिरीबाम में लगा कर्फ्यू
इस बीच हमले के बाद पांच लोग लापता बताए जा रहे हैं। बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन परिसर में एक राहत कैंप है। उग्रवादियों पर कार्रवाई के बाद यहां के पांच लोग लापता हैं। अभी यह नहीं साफ हो पाया है कि इनका अपहरण हुआ है या हमले के बाद वे कहीं छिप गए। जिरीबाम में हालात को देखते हुए कर्फ्यू लगाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक असामाजिक तत्वों की अवैध गतिविधियों की वजह से इस क्षेत्र में शांति और कानून-व्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा मानव जीवन और संपत्तियों को भी बड़ा खतरा है। इसलिए पूरे इलाके में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत अगले आदेश तक कर्फ्यू जारी रहेगा।
पिछले साल 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा
3 मई 2023 को मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मैतेई समुदाय की बहुतायत आबादी इंफाल घाटी में रहती है, वहीं कुकी-जो समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहता है। जिरीबाम अब तक जातीय हिंसा की लपटों से दूर था। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद हुई। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुकी-जो जनजाति समुदाय के प्रदर्शन के दौरान भारी बवाल हुआ। मैतेई समुदाय ने जनजाति का दर्जा दिए जाने के लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मैतेई समुदाय का कहना था कि 1949 में जब मणिपुर का भारत में विलय हुआ, उससे पहले ही उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश में कहा कि मैतेई समुदाय को अनुसूजित जनजाति में शामिल करने पर विचार किया जाए।
कुकी-मैतेई में क्यों विवाद?
कुकी-जो समुदाय मैतेई को आदिवासी दर्जा दिए जाने के खिलाफ है। हालांकि अभी मैतेई को दर्जा नहीं मिला है लेकिन हाई कोर्ट की टिप्पणी से विवाद शुरू हो गया। कुकी को लगता है कि मैतेई को जनजाति दर्जा मिलने से आरक्षण में कुकी समुदाय की हिस्सेदारी कम हो जाएगी। राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें इंफाल घाटी में हैं, जो मैतेई बहुल है। मैतेई हिंदू हैं, जबकि कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। डेढ़ साल से चल रहे हिंसा के दौर में 1500 से ज्यादा घायल हैं। 60 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैंपों में जीवन बसर कर रहे हैं। डेढ़ साल के दौरान मणिपुर में 11 हजार एफआईआर दर्ज हुई हैं।