मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी के मंदिर दुनियाभर में स्थित हैं। भारत का शायद ही ऐसा कोई गांव होगा, जहां हनुमान जी विराजमान न हों। लेकिन बजरंगबली के पंचमुखी रूप के दर्शन बहुत कम ही मिल पाते हैं। भारत में भी पंचमुखी हनुमान मंदिरों की संख्या अन्य मंदिरों की अपेक्षा कम है। भगवान हनुमान का पंचमुखी मंदिर पाकिस्तान में भी है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसमें स्थापित मूर्ति त्रेता युग की है।
बजरंगबली का यह मंदिर पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची के सोल्जर बाजार में स्थित है। मंदिर के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि इसे साल 1882 में बनवाया गया था। वहीं इसमें विराजमान मूर्ति को लेकर मान्यता है कि यह मानव निर्मित नहीं बल्कि स्वयंभू है। अर्थात यह कि इस मूर्ति का निर्माण किसी मानव द्वारा नहीं किया गया था बल्कि यह मूर्ति स्वयं ही जमीन से निकली थी। इतना ही नहीं, ऐसी किंवदंती है कि हनुमान जी की यह मूर्ति त्रेता कालीन है यानी कि करीब 17 लाख वर्ष प्राचीन है।
8 फीट ऊंची बजरंगबली की यह मूर्ति मंदिर के मध्य में विराजमान है। हनुमानजी के पंचमुखी स्वरूप में पहला मुख वानर का है। वहीं, दूसरा गरुड़, तीसरा वराह, चौथा हैयग्रीव अर्थात घोड़े का एवं पांचवां नरसिंह रूपी है। इन पांच मुखों से हनुमान भक्तों की समस्याएं दूर करते हैं। हर एक मुख का अपना एक अलग महत्व है। इन्हें साहस और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनके पांच मुख पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और आकाश सभी दिशाओं में सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। माना जाता है कि पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। वास्तु में भी पंचमुखी हनुमान जी को कई दोषों से मुक्ति देने वाला माना गया है।
पंचमुखी अवतार में हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर जो मुख है उसे वानर मुख कहा जाता है। माना जाता है वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है। वहीं, गरुड़ मुख की बात करें तो हनुमान जी का पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड़ मुख कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मुख जीवन की रुकावटों और परेशानियों को खत्म करता है। हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में उत्तर दिशा का मुख वराह मुख कहलाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से लंबी आयु, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
वहीं, नरसिंह मुख हनुमान जी का दक्षिण दिशा की ओर मुख नरसिंह मुख कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नरसिंह मुख जीवन में आ रहे तनाव और मुश्किलों को दूर करता है। हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे हैयग्रीव या अश्व मुख भी कहा जाता है। यह मुख मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि कराची में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के सिर्फ 11 परिक्रमा करने पर सभी दुख-दर्द एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। एक बार मन्नत मांगने के लिए दर्शन करने आने वाले भक्त मनोकामना पूरी होने के बाद दर्शन हेतु दोबारा आते हैं। इसके अलावा भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव अर्थात राम नवमी और बजरंगबली के जन्मोत्सव अर्थात हनुमान जयंती पर यहां भक्तों की काफी भीड़ होती है।
गौरतलब है कि यह पूरा मंदिर करीब 2,609 वर्ग फुट की जमीन पर स्थित था। लेकिन यहां हिंदू आबादी कम होने के चलते स्थानीय मुस्लिम इस मंदिर की जमीन पर कब्जा करते चले गए। धीरे-धीरे इसकी जमीन करीब आधी रह गई थी। इसके बाद हिंदू इस मामले को लेकर कोर्ट गए। जहां, साल 2006 में, सिटी डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट ने मंदिर की जमीन वापस करने का नोटिस जारी किया था। लेकिन इसके बाद भी आज तक मंदिर की इस जमीन पर अवैध कब्जा कर बैठे मुस्लिमों को हटाया नहीं जा सका है। बता दें कि इस मंदिर को सिंध सांस्कृतिक विरासत (संरक्षण) अधिनियम 1994 के तहत राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है। फिलहाल इस मंदिर की बाकी बची जमीन पर हिंदू पैसे एकत्रित कर भव्य मंदिर का निर्माण करा रहे हैं।