देश के जाने माने अर्थशास्त्री, लेखक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का शुक्रवार को 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित श्री देबरॉय इससे पहले पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स ऐंड इकोनॉमिक्स के कुलाधिपति रह चुके हैं। देबरॉय ने हिंदू ग्रंथों का अध्ययन कर उन्हें लोगों को आसानी में समझने के लिए दर्जनों किताबें लिखी हैं। देबरॉय को गुरुवार रात करीब 10 बजे एम्स की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। दिल्ली एम्स ने अपने बयान में कहा है कि सुबह 7 बजे आंतों में रुकावट के कारण देबरॉय का निधन हो गया है।
Bibek Debroy passed away today 7 AM due to intestinal obstruction: AIIMS Delhi https://t.co/hA49QQXDfR
— ANI (@ANI) November 1, 2024
पीएम नरेंद्र मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर देबरॉय के साथ की अपनी पुरानी तस्वीरें शेयर करते हुए उनके निधन पर दुख जताया है। पीएम मोदी ने ‘X’ पर लिखा, “डॉ. बिबेक देबरॉय जी एक महान विद्वान थे और वह अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, आध्यात्मिकता और अन्य कई क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कार्यों से उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। लोक नीति में अपने योगदान के अलावा देबरॉय ने हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम कर उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाया है।”
एक अन्य पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, “मैं डॉ. देबरॉय को कई सालों से जानता हूं। मैं अकादमिक चर्चा के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद रखूंगा। उनके निधन से बहुत दुखी हूं। उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।”
I have known Dr. Debroy for many years. I will fondly remember his insights and passion for academic discourse. Saddened by his passing away. Condolences to his family and friends. Om Shanti. pic.twitter.com/TyETOOwOoY
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2024
जयराम रमेश ने जताया दुख
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश समेत कई अन्य नेताओं ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। जयराम ने ‘X’ पर लिखा, “बिबेक देबरॉय एक बेहतरीन सैद्धांतिक और अनुभवी अर्थशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर काम किया था। जयराम ने लिखा, “उनके पास स्पष्ट व्याख्या करने का एक विशेष कौशल भी था जिससे जटिल आर्थिक मुद्दों को आम लोग आसानी से समझ सकते थे। कई वर्षों तक वह अलग-अलग संस्थानों से जुड़े रहे और हर जगह उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।”
A man of unusually wide-ranging interests, Bibek Debroy was first and foremost a fine theoretical and empirical economist who worked and wrote on various aspects of the Indian economy. He also had a special skill for lucid exposition, in a manner that would make laypersons easily…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 1, 2024
कौन थे बिबेक देबरॉय?
बिबेक देबरॉय का जन्म 25 जनवरी 1955 में मेघालय के शिलांग में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके दादा-दादी बांग्लादेश के सिलहट से भारत आए थे और उनके पिता भारत सरकार की इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस में काम करते थे। देबरॉय की शुरुआती शिक्षा नरेंद्रपुर (पश्चिम बंगाल) के रामकृष्ण मिशन स्कूल से हुई और उन्होंने आगे की शिक्षा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से पूरी की। बिबेक देबरॉय ने 1979-1983 के बीच कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज, 1983-87 के बीच पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स ऐंड इकोनॉमिक्स और 1987-93 के बीच दिल्ली के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में पढ़ाया था।
1991 के बाद जब भारत आर्थिक उदारीकरण के दौर से गुजर रहा था और बड़े पैमाने पर आर्थिक नीतियां बनाई जा रही थी तो देबराय ने 1993-98 के बीच कानूनी सुधारों पर वित्त मंत्रालय/यूएनडीपी परियोजना के निदेशक के रूप में काम किया था। इस दौरान वे 1994-95 के बीच आर्थिक मामलों के विभाग और 1995-96 के बीच नैशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च से भी जुड़े रहे।
जब मोदी सरकार योजना आयोग की जगह नीति आयोग लाई तो देबरॉय उसमें शामिल किया गया और जनवरी 2015 में उन्हें आयोग का स्थाई सदस्य बनाया गया, वे 5 जून 2019 तक नीति आयोग में काम करते रहे। देबरॉय इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन के लिए बनाई गई एक उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष रहे थे। उन्होंने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री, सेंटर फोर पॉलिसी रिसर्च में भी काम किया। देबरॉय को सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री को आर्थिक मामलों पर सलाह देने वाली कमेटी ‘प्रधामंत्री- आर्थिक सलाहकार परिषद’ का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। देबरॉय वक्त के साथ पीएम मोदी की आर्थिक टीम के ‘चाणक्य’ बन गए थे।
देबरॉय को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2016 में यूएस-इंडिया बिजनेस समिट में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ और 2022 में ऑस्ट्रेलिया इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स में भी ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया।
भारत के आर्थिक विकास को गति देने के लिए वर्षों से काम कर रहे देबरॉय ने अपने करियर के दौरान आय असमानता, गरीबी, कानूनी सुधार और रेलवे नीति सहित अर्थशास्त्र के कई क्षेत्रों में व्यापक रूप से काम किया और कई महत्वपूर्ण शोध पत्र भी प्रकाशित किए। देबरॉय ने एक इंटरव्यू के दौरान गरीबी की लिए नए पैमाने की वकालत की थी, उनका मानना था कि तेंदुलकर समिति द्वारा दिया गया पैमाने 10 वर्षों से अधिक पुराना हो चुका था।
देबरॉय ने संसद टीवी पर प्रसारित होने वाले शो ‘इतिहास’ सीरीज में भी काम किया था जिसमें वे विभिन्न विषयों पर दिग्गज शख्सियतों और लेखकों से बातचीत करते थे। यह सीरीज देश की सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक जीवन पद्धति के जरिए सामाजिक विकास किए जाने पर केंद्रित थी। देबरॉय ने महाभारत का 10 खंडों में और वाल्मिकी रामायण का 3 खंडों में अंग्रेजी में अनुवाद किया था। साथ ही उन्होंने भगवद गीता, वेद, विष्णु पुराण, शिव पुराण और मार्कण्डेय पुराण जैसे कई ग्रंथों का अंग्रेजी अनुवाद भी किया था। वे हिंदू संस्कृति, अर्थशास्त्र और तमाम अन्य विषयों पर विभिन्न अखबारों में भी नियमित रूप से लिखते रहते थे।