ऑल्ट न्यूज (Alt News) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) के खिलाफ केस की जांच कर रहे अधिकारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया है कि जुबैर के खिलाफ FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 भी जोड़ी गई है। जुबैर के खिलाफ यह केस गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद (Yeti Narasimhanand) से जुड़ा कथित वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में दर्ज किया गया है। जुबैर ने इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में दो नई धाराएं आईटी एक्ट की धारा 66 और बीएनएस की धारा 152 जोड़ी गई हैं।
क्या है बीएनएस की धारा 152?
हाल ही में लागू किए गए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने से जुड़ी है और इसमें उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है। इसमें कहा गया है, “जो कोई, प्रयोजनपूर्वक या जानबूझकर, बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृश्यरूपण या इलैक्ट्रानिक संसूचना द्वारा या वित्तीय साधन के प्रयोग द्वारा या अन्यथा अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक क्रियाकलापों को प्रदीप्त करता है या प्रदीप्त करने का प्रयत्न करता है या अलगाववादी क्रियाकलापों की भावना को बढ़ावा देता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है या ऐसे कृत्य में सम्मिलित होता है या उसे कारित करता है, वह आजीवन कारावास से, या ऐसे कारावास से जो सात वर्ष तक हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा।”
क्या है मामला?
मोहम्मद जुबैर ने एक्स पर यति नरसिंहानंद का एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो में यति नरसिंहानंद कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद और कुरान को लेकर विवादित बयान देते हुए नजर आए थे। यह वीडियो वायरल होने के बाद गाजियाबाद के डासना मंदिर से लेकर बुलंदशहर और अमरावती समेत उत्तर प्रदेश के कई स्थानों में पथराव और नारेबाजी की घटना सामने आई थी।
इसको लेकर यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उदिता त्यागी का आरोप है कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को यति नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का वीडियो पोस्ट किया था। इसका उद्देश्य मुस्लिमों को उनके खिलाफ उकसाकर हिंसा भड़काना था।