‘कठमुल्लों से सावधान…4 बीवी-हलाला अस्वीकार्य’: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यादव ने इस्लामी कुरीतियों पर उठाए सवाल

इलाहाबाद हाई कोर्ट जस्टिस शेखर यादव

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यादव ने इस्लामी कुरीतियों पर उठाए सवाल

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव (Allahabad High Court Justice Shekhar Yadav) ने चरमपंथियों को ‘कठमुल्लाबताते हुए तीन तलाक, हलाला और 4 बीवियां रखने की प्रथा को समाज के खिलाफ बताया है। साथ ही कहा कि यह सब देश में नहीं चलने दिया जाएगा। जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए मुस्लिमों के बीच फैली रूढ़िवादिता पर भी सवाल खड़े किए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने गाय, गीता और गंगा की बात करते हुए कहा कि यह देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा। इस बयान के सामने आने के बाद लिबरल जमात हो-हल्ला कर रही है।

दरअसल, विश्व हिन्दू परिषद ने रविवार (8 दिसंबर, 2024 को) प्रयागराज में एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस दौरान को संबोधित करते हुए जस्टिस शेखर यादव ने कहा, “आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी का दर्जा दिया गया है। आप चार बीवियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक का अधिकार नहीं जता सकते। आप कहते हैं कि हमें तीन तलाक़ कहने का अधिकार है और महिलाओं को भरण-पोषण नहीं देना है।”

जस्टिस यादव ने इस्लामवादियों द्वारा मुस्लिम पर्सनल लॉ की आड़ में महिलाओं के हो रहे उत्पीड़न को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, “यदि कोई कहता है कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। एक महिला को भरण-पोषण मिलेगा और एक से अधिक विवाह की अनुमति नहीं होगी और एक पुरुष की केवल एक पत्नी होगी, चार बीवियां नहीं…यदि एक बहन को भरण-पोषण मिलता है और दूसरी को नहीं, तो इससे भेदभाव पैदा होता है, जो संविधान के खिलाफ है। यह अधिकार काम नहीं करेगा। समान नागरिक संहिता ऐसी चीज़ नहीं है जिसकी वकालत विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस या हिंदू धर्म करता हो। देश की सर्वोच्च अदालत भी इस बारे में बात करती है। मैं कसम खाकर कहता हूं कि देश में जल्द ही और निश्चित रूप से एक समान कानून लागू होगा।”

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने यह भी कहा, “मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है। यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा। यह कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि आप हाईकोर्ट के जज होने के नाते ऐसा कह रहे हैं। दरअसल, कानून बहुमत के हिसाब से काम करता है। इसे परिवार या समाज के हिसाब से समझ सकते हैं, केवल वही स्वीकार किया जाएगा जिससे बहुसंख्यकों का कल्याण हो और उनकी खुशी हो।”

हिंदू धर्म की पुरानी कुरीतियों और उन्हें समाप्त किए जाने का उदाहरण देते हुए जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयां थीं। राजा राम मोहन राय जैसे समाज सुधारकों ने इन प्रथाओं को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया। लेकिन जब मुस्लिमों के हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से संबंधित सामाजिक बुराइयों की बात आती है, तो उनके खिलाफ खड़े होने का उनमें कोई साहस नहीं है। इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि इन मुद्दों को हल करने के लिए मुस्लिम समुदाय की ओर से कोई पहल नहीं हुई।

चरमपंथियों को ‘कठमुल्ला’ बताते हुए उन्होंने कहा कि सभी को इनके प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है। जस्टिस यादव ने कहा, ये जो कठमुल्ला है वो सही शब्द नहीं है, लेकिन कहने में परहेज नहीं है क्योंकि यह देश के लिए बुरा है। देश के लिए घातक है, खिलाफ़ है। ये जनता को भड़काने वाले लोग हैं, देश आगे ना बढ़े इस प्रकार के लोग हैं। इनसे सतर्क रहने की जरूरत है।”

जस्टिस शेखर यादव द्वारा दिए गए इन बयानों को लेकर लिबरल जमात प्रपंच और हंगामा मचा रही है। कैश-फॉर-क्वेरी मामले की दोषी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मामले मे भारत के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना से स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है।

वहीं, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी जस्टिस यादव के इस बयान पर आपत्ति जताई। साथ ही उन्होंने सवाल किया कि हाई कोर्ट के जज को विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में जाने की क्या जरूरत थी। महुआ मोइत्रा और ओवैसी के साथ ही लिबरल गैंग के कई ‘सितारे’ और वामपंथी मीडिया संस्थान भी जस्टिस शेखर यादव के बयान को लेकर छाती पीट रहे हैं।

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