बीआरएस नेता चेन्नमनेनी रमेश को घोषित किया गया जर्मन नागरिक, चुनावी धोखाधड़ी में ₹30 लाख का जुर्माना

तेलंगाना हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

चेन्नमनेनी रमेश

चेन्नमनेनी रमेश

तेलंगाना हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में भारत राष्ट्र समिति के पूर्व विधायक चेन्नमनेनी रमेश(Chennamaneni Ramesh) को जर्मन नागरिक घोषित किया और चुनावों में उम्मीदवार बनने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के लिए उन पर ₹30 लाख का जुर्माना लगाया। अदालत ने यह भी माना कि चेन्नमनेनी रमेश(Chennamaneni Ramesh) ने भारतीय नागरिकता के लिए 2008 में आवेदन करते वक्त अपनी जर्मन नागरिकता छिपाई थी। न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ कांग्रेस के नेता आदि श्रीनिवास की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2019 में रमेश की नागरिकता रद्द कर दी थी और इस फैसले को हाईकोर्ट ने सही माना है।

BRS नेता चेनमन्नेनी रमेश

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चेन्नमनेनी रमेश(Chennamaneni Ramesh) के पास वैध जर्मन पासपोर्ट है और यह 2033 तक के लिए वैध है। इसके अलावा, कोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि रमेश ने 2023 में तीन बार जर्मनी का दौरा किया था। अदालत ने कहा कि रमेश के इस तरह के कृत्यों ने भारतीय नागरिकों के चुनावी अधिकारों को कमजोर किया है और भारतीय कानून के तहत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने रमेश को ₹25 लाख आदि श्रीनिवास को कानूनी खर्चों के लिए और ₹5 लाख तेलंगाना उच्च न्यायालय कानूनी सेवा प्राधिकरण को एक महीने के भीतर देने का आदेश दिया है।

इस सजा के तहत, रामेश को 25 लाख रुपये कानूनी खर्च के तौर पर आदि श्रीनिवास को और 5 लाख रुपये तेलंगाना हाईकोर्ट की लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को एक महीने के भीतर चुकाने होंगे।

यह फैसला सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों के लिए नागरिकता घोषणाओं में पारदर्शिता की जरूरत को रेखांकित करता है। साथ ही, यह साफ करता है कि भारतीय नागरिकता न रखने वाले या दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति भारत में न तो चुनाव लड़ सकते हैं और न ही वोट दे सकते हैं, जैसा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में कहा गया है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम: चुनावों का नियम-कानून 

यह अधिनियम भारत में चुनावी प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। इसमें मतदाताओं और उम्मीदवारों की पात्रता, चुनावों का संचालन, चुनावी अपराध, भ्रष्ट आचरण, उम्मीदवारों की अयोग्यता और चुनावी विवादों का निपटारा शामिल है। इस कानून के तहत, उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की शर्तें दी गई हैं। इनमें अपराधों के लिए दोषसिद्धि, भ्रष्ट आचरण में शामिल होना, और जरूरी दस्तावेज़ (जैसे नागरिकता का प्रमाण) प्रस्तुत करने में असफलता शामिल है। यह सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय नागरिकता न रखने वाले या दोहरी नागरिकता वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। इसी आधार पर अदालत ने विधायक को अयोग्य ठहराया और जुर्माना लगाया।

 

कांग्रेस के नेताओं पर दोहरी नागरिकता का विवाद 

यह मुद्दा नया नहीं है। इससे पहले कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी की नागरिकता पर भी सवाल उठाए गए थे। राहुल गांधी पर भी ऐसा ही मामला बीते दिनों समाचारपत्रों की सुर्ख़ियों में रहा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 नवंबर को गृह मंत्रालय को आदेश दिया कि राहुल गांधी की नागरिकता पर 19 दिसंबर तक फैसला करें। बीजेपी कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर ने एक याचिका दायर कर दावा किया है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। यदि यह सच है, तो वह भारतीय कानून के तहत चुनाव लड़ने और लोकसभा में पद धारण करने के अयोग्य होंगे। शिशिर ने सीबीआई से इस मामले की जांच करने और भारतीय कानूनों के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में एक अलग याचिका दायर कर राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाया है।

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