मुझे हैरानी है कि सोशल मीडिया पर ‘बुमराह आई हेट यू’, ‘बॉयकॉट बुमराह’ और ‘बुमराह को टीम से निकालो’ जैसे शब्द ट्रेंड क्यों नहीं कर रहे? आखिर क्या वे लोग जो खुद को क्रिकेट का जबरा फैन बताते हैं और दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड को यह कब समझ आएगा कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में टीम इंडिया की खराब हालत की वजह जसप्रीत बुमराह हैं।
आप सोच रहे होंगे कि जसप्रीत बुमराह अच्छा खासा तो खेल रहे हैं। तीसरे टेस्ट मैच यानी गाबा में टीम इंडिया को फॉलोऑन से बचाने में भी तो उनका योगदान है। इससे पहले बॉलिंग करते हुए भी बुमराह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वन मैन आर्मी की तरह नजर आए थे और पहली पारी में 6 और दूसरी में 3 विकेट लिए थे। पहले और दूसरे टेस्ट मैच में भी बुमराह की धारदार गेंदबाजी देखने को मिली थी। फिर आखिर ऑस्ट्रेलिया में भारत की खराब हालत के लिए बुमराह कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं…?
तो देखिए ऐसा है कि बुमराह ने पहली पारी में सिर्फ 6 विकेट लेकर अपना कोटा पूरा करने की कोशिश की थी। इसके बाद वह काफी खुश भी नजर आ रहे थे। जबकि फर्जी सूत्रों का दावा है कि बीसीसीआई ने जसप्रीत बुमराह के साथ किए कॉन्ट्रैक्ट में उन्हें पूरे के पूरे 10 विकेट लेने के लिए कहा था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इतना ही नहीं बुमराह को गेंदबाजी करने में मजा आता है तो वह लगातार गेंदबाजी करते ही जा रहे थे। जबकि वह ट्रेविस हेड को 152 रन की जगह 20-25 रन और स्टीव स्मिथ को 101 की जगह 1 रन पर ही आउट कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
यहां तक तो फिर भी ठीक था। आराम पसंद जसप्रीत बुमराह ने बॉलिंग तो जमकर इंजॉय की लेकिन फिर बैटिंग का नंबर आया तो वह मैदान में आना ही नहीं चाहते थे। कायदे से उन्हें तो ओपन करने या फिर फर्स्ट या सेकंड डाउन आना चाहिए था। वह ‘पूर्व किंग’ कोहली और रोहित शर्मा की जगह पर भी बैटिंग करने आ सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अपनी आंखों के सामने विकेट गिरते देखते रहे।
कायदे से देखें तो जसप्रीत बुमराह टेस्ट क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज हैं। इसी कारण उनके नाम टेस्ट क्रिकेट के एक ओवर में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड भी है। यदि वह पहले बैटिंग करने आते तो कम से कम 35 रन प्रति ओवर के हिसाब से बैटिंग करते। इससे टीम इंडिया के पास अच्छी खासी लीड होती। लेकिन…लेकिन…लेकिन ये हैं तो बुमराह यानी बूम-बूम-बुमराह इन्हें ड्रेसिंग रूम में बैठकर बड़ा पाव खाना है…अरे सॉरी गप्पें मारनी हैं। देश के लिए खेलते हुए रन थोड़ी न बनाना था।
हमेशा गंभीर रहने वाले भारतीय टीम के कोच GG यानी गौतम गंभीर और कप्तान रोहित शर्मा से भारतीय क्रिकेट फैंस को अपील करना चाहिए कि यदि जसप्रीत बुमराह इसी तरह से बल्लेबाजी से बचते नजर आएं और उनके बल्ले से 35 रन प्रति ओवर से कम में रन निकलें तो उन्हें टीम इंडिया से बाहर कर देना चाहिए। आखिर ऐसे उपकप्तान का क्या ही फायदा जो सिर्फ बॉलिंग करके मजे लेना जानता हो और टीम को 100 प्रतिशत न दे सके। आखिर ऐसे उपकप्तान का क्या ही फायदा जो अकेले दम पर हर मैच न जिता सके।
क्रिकेट के कई जानकार तो यहां तक दावा करते हैं कि बुमराह की कप्तानी में टीम इंडिया को पहले टेस्ट मैच में जो तुक्के से जीत मिली थी उसके बाद से वह घमंडी हो गए हैं, अहंकार से भरे हुए हैं। जसप्रीत बुमराह को ‘पूर्व किंग’ कोहली और कप्तान रोहित शर्मा से बड़े मैचों में जिम्मेदारी लेना सीखना चाहिए। आखिर वह कब सीखेंगे? कोहली और रोहित से नहीं तो न सही अगर जसप्रीत बुमराह थोड़ा-बहुत भी डीएसपी विवियन सिराज से सीख लेते तो टीम इंडिया इस टेस्ट सीरीज को पहले हो 5-0 से जीत चुकी थी और पूरे मैच खेलने की जरूरत भी नहीं होती। लेकिन बुमराह तो बुमराह हैं तुक्के वाली जीत के बाद अहंकार से भरे बुमराह सिर्फ बॉलिंग इंजॉय करना जानते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब इस देश के क्रिकेट प्रेमियों का ज़मीर कब जागेगा और आखिर कब सोशल मीडिया पर बॉयकॉट बुमराह ट्रेंड करेगा? साथ ही आखिर बीसीसीआई की आंख कब खुलेगी और बुमराह को टीम इंडिया से बाहर किया जाएगा? अंत में फिर वही आई हेट बुमराह।