'ऐसा नहीं है कि संघ प्रमुख को इसका आभास नहीं होगा, बावजूद उन्होंने ऐसा वक्तव्य दिया तो निश्चित रूप से इसके पीछे वर्तमान का विश्लेषण तथा भविष्य की दृष्टि होगी'
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक

    कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    ऑपरेशन पोलो के बाद सरदार पटेल का झुक कर अभिवादन करते हैदराबाद के निजाम

    हैदराबाद का भारत में पूर्ण विलय: जब पटेल ने कहा- नेहरू अपने आप को समझते क्या हैं? आज़ादी की लड़ाई दूसरे लोगों ने भी लड़ी है

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

मोहन भागवत के वक्तव्य का इतना विरोध क्यों?

'ऐसा नहीं है कि संघ प्रमुख को इसका आभास नहीं होगा, बावजूद उन्होंने ऐसा वक्तव्य दिया तो निश्चित रूप से इसके पीछे वर्तमान का विश्लेषण तथा भविष्य की दृष्टि होगी'

Awadhesh Kumar द्वारा Awadhesh Kumar
31 December 2024
in मत, राजनीति
संघ का रुख यही रहा है कि हम हिंदू समाज के संगठन हैं लेकिन सभी हिंदू हमारे साथ हैं ऐसा नहीं है: अवधेश कुमार

संघ का रुख यही रहा है कि हम हिंदू समाज के संगठन हैं लेकिन सभी हिंदू हमारे साथ हैं ऐसा नहीं है: अवधेश कुमार

Share on FacebookShare on X

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत द्वारा वर्तमान समय में मंदिर- मस्जिद के उभरते विवादों पर दिए गए वक्तव्य को लेकर अनेक धर्माचार्यों और हिंदू संगठनों के नेताओं की विरोधी प्रतिक्रियाएं लगातार आ रहीं हैं। इस संदर्भ में सबसे कड़ा बयान जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी का आया। उन्होंने कहा कि मैं भागवत के बयान से पूरी तरह असहमत हूं। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं, बल्कि हम हैं। बाद में उन्होंने एक टेलीविजन पर बात करते हुए ऐसा कुछ बोला जो उनके अंदर व्याप्त नाराज़गी को साफ दर्शा रहा था। वैसे रामभद्राचार्य जी ने कहा कि संभल में अभी जो कुछ हो रहा है वह बहुत बुरा है। हालांकि, सकारात्मक पहलू यह है कि चीज़ हिंदुओं के पक्ष में सामने आ रही हैं। हम न्यायालय में मतदान और जनता के समर्थन से इसे सुरक्षित करेंगे। वैसे अनेक संगठनों, बुद्धिजीवियों, नेताओं आदि ने डॉक्टर मोहन भागवत के बयान का समर्थन भी किया है।

विडंबना यह है कि पहले जब सरसंघचालक मोहन भागवत ने ऐसे वक्तव्य दिए तब उसे झूठ, पाखंड और आंखों में धूल झोंकने वाला तक कहा गया। इसलिए विरोधियों की प्रतिक्रियाएं इन संदर्भों में न नैतिक है, न विश्वसनीय और न इनका कोई अर्थ है। हमें पूरे विषय को सही संदर्भों में देखना और निष्कर्ष निकालना होगा। पिछले वर्षों में यह पहली बार नहीं है जब भागवत के वक्तव्य पर विरोधी तीखी प्रतिक्रियाएं हिंदू संगठनों, नेताओं और कुछ धर्माचार्यों की ओर से आई हैं। 2 जून, 2022 को नागपुर में जब उन्होंने कहा था कि अयोध्या, काशी और मथुरा की मान्यता रही है लेकिन हर मस्जिद में मंदिर क्यों तलाशें। तब भी इसी तरह की प्रतिक्रियाएं थीं और उसके पूर्व धर्म संसदों में दिए गए आक्रामक वक्तव्यों के संदर्भ में भी उनके विचारों का कुछ पक्षों ने विरोध किया था।

संबंधितपोस्ट

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

वोट चोरी बोलते राहुल, एमएलए चोरी में पकड़े गए!

और लोड करें

ऐसा नहीं है कि संघ प्रमुख या संघ के शीर्ष नेतृत्व को इसका आभास पहले से नहीं होगा। बावजूद उन्होंने ऐसा वक्तव्य दिया और पहले भी देते रहे हैं तो निश्चित रूप से इसके पीछे गहरी सोच, अतीत और वर्तमान का विश्लेषण तथा भविष्य की दृष्टि होगी। हम संघ के विचारों या कुछ कार्यों से सहमत असहमत हो सकते हैं लेकिन निष्पक्ष होकर विश्लेषण और विचार करने वाले मानते हैं कि शीर्ष स्तर से दिया गया हर वक्तव्य और भाषण काफी सोच -समझकर ही सामने आता है। वैसे भी सरसंघचालक का वक्तव्य संगठन परिवार के लिए अंतिम शब्द माना जाता है। स्वाभाविक ही जब ऐसा बोल रहे थे तो देश में बने वातावरण और आम हिंदू समाज की उस पर हो रही प्रतिक्रियाएं सब उनके सामने थे और हैं। तो फिर ऐसा उन्होंने क्यों कहा होगा?

पहले उनके भाषण की उन पंक्तियों को देखें। 19 दिसंबर को पुणे के सहजीवन व्याख्यानमाला में ‘इंडिया द विश्व गुरु’ विषय पर उनका भाषण था और उन्होंने मराठी में बोला। बोलते हुए डॉक्टर मोहन भागवत ने कहा, “हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं। अगर देश में सौहार्द चाहिए तो इसकी मिसाल हमारे देश में होनी चाहिए, हमारे देश में आस्था का सम्मान होना चाहिए। हिंदुओं का मानना है कि राम मंदिर बनना चाहिए, क्योंकि यह आस्था का स्थान है। लेकिन ऐसा करने से आप हिंदुओं के नेता बन जाएंगे ऐसा नहीं है या किसी हिंसक अतीत के फलस्वरूप अत्यधिक नफरत, द्वेष, शत्रुता, संशय से हर दिन एक नया मामला उठाना यह कैसे काम कर सकता है।” स्वाभाविक है कि संभल से लेकर बदायूं ,दिल्ली का जामा मस्जिद, कानपुर ,वाराणसी आदि में नए मंदिरों का मिलना, पहले से चल रहे वाराणसी के ज्ञानवापी और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यायिक विवादों के बीच बने हुए वातावरण में सहसा इन पंक्तियों को पचा पाना आसान नहीं हो सकता।

विचार करने वाली बात यह है कि क्या संघ जैसा संगठन, जिसने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाई तथा मथुरा और काशी को लेकर भी उसके मत उन दिनों से स्पष्ट रहे हैं जब दूसरे संगठनों का प्रभाव नहीं था, या वे थे नहीं तो वह ऐसा कैसे बोल सकते हैं? वह भी उन स्थितियों में जब संभल से लेकर बदायूं वाराणसी दिल्ली भोजशाला आदि सभी जगह ऐतिहासिक रूप से घटनाएं और वर्तमान स्थिति हिंदुओं के पक्ष में जातीं है। मुस्लिम काल में इन मंदिरों को ध्वस्त किया गया और उनमें निहित प्रतिमाओं को अपमानित करने के लिए अनेक उपक्रम हुए स्वतंत्रता के बाद भी अपने ही मूल शहर से हिंदुओं को दूसरी जगह पलायन करना पड़ा उनके मंदिरों में पूजा पाठ करना, लोगों का जाना कठिन हुआ, बंद हुए और कई जगहों पर बेदर्दी से स्थलों को कब्जा करने के उपक्रम भी हुए।

स्थानीय स्तरों पर इनमें से ज़्यादातर स्थानों को प्राप्त करने की भावनाएं या उन मुद्दों को उठाने और कहीं-कहीं संघर्ष करने का भी लंबा अतीत है। इसमें अगर व्यक्तिगत रूप से किसी हिंदू समूह या पूरे समाज को लगता है कि हमें वह स्थल वापस मिलने चाहिएं और जहां प्रतिमाओं का अपमान हुआ उनका निराकरण भी हो और इसके लिए वे सामने आते हैं, न्यायालय में जाते हैं तो यह स्वाभाविक है। भागवत जिस विषय पर बोल रहे थे वह भारत के विश्व गुरु बनने पर था और उनका पूरा भाषण 1 घंटे से ज़्यादा का है। इसमें वह प्राचीन भारत से लेकर मुस्लिम काल, अंग्रेज़ों की गुलामी आदि के प्रभाव, वर्तमान में भारत किस तरह विश्व दृष्टि से कम कर रहा है आदि सभी बातें शामिल हैं जिनकी लोग अपेक्षा रखते हैं। फिर भविष्य की दृष्टि है और उसी में लगभग अंत में केवल एक कुछ पंक्तियां हैं।

किसी देश को पूरा संसार अपना आदर्श तभी मानेगा और उसका अनुसरण भी करेगा जब वह देश अपने अंदर विवादों को सही तरीके से सुलझाने, सभी पंथों, मजहबों के बीच के तनावों को तरीके से समाप्त करने और सहजीवन के साथ रहते हुए आदर्श देश की मिसाल रखेगा।यानी उठाए जा रहे मुद्दों के अन्य पहलुओं पर गहराई से नहीं विचार होगा तो समस्यायें सुलझने के बजाय उलझेंगी और फिर इनका समाधान भी संभव नहीं होगा। कोई भी विवेकशील व्यक्ति कह नहीं सकता कि जो अतीत में अन्याय, अत्याचार, ध्वंस और कब्जे हुए वो वैसे ही रहे और लोगों की भावनाएं दमित हों। इनसे भविष्य में हिंसा व तनाव बढ़ाने की संभावनाएं ज़्यादा होती हैं।

समस्या यह है कि संपूर्ण देश में ऐसे हज़ारों स्थान हैं। कल्पना करिए धीरे-धीरे पूरे देश में ऐसे विषय उठ जाएं और स्थिति संभल जैसी पैदा हों तो क्या होगा? क्या देश की इन विवादों के अंतिम समाधान की अभी तक तैयारी है? हिंदू समाज इनके विरुद्ध होने वाली अनेक तरह की विपरीत प्रतिक्रियाओं का सफलतापूर्वक सामना करने की अवस्था में पहुंच गया है? क्या जो लोग इन विषयों को न्यायालय में ले जा रहे हैं उनकी ऐसी क्षमता है कि वो इनका सामना भी कर सकें? क्या उन सब की विश्वसनीयता भी है? क्या धर्माचार्य और अन्य हिंदू संगठनों ने उन स्थितियों के लिए अपनी तैयारी कर रखी है? अभी तक ज्यादातर धर्माचार्यों ने संगठित होकर किसी ऐसे विषय के समाधान की न पहल की न वे लोगों के बीच गए। संभल में ही समस्या पैदा होने पर कितने समाधान या संघर्ष के लिए आगे आए इन पर अवश्य दृष्टि रखिए। सारे प्रश्नों का उत्तर भारत के व्यापक राष्ट्रीय वैश्विक लक्ष्यों का ध्यान रखते हुए शांतिपूर्वक तलाश से जाने की आवश्यकता है।

सच यह है कि लगभग 1000 वर्षों की हिंदू मुस्लिम विवादों के समाधान पर देश के राजनीतिक, धार्मिक और बौद्धिक नेतृत्व ने कभी लंबा विचार ही नहीं किया और जब विचार नहीं होगा तो फिर रास्ता निकालेगा कौन? इसके विपरीत राजनीतिक दलों ने वोट के लिए अपने बयानों और नीतियों से अतीत या वर्तमान के अन्यायों का ही समर्थन किया और जो इन विषयों को उठा रहे हैं उन्हें आज भी उन्हें ही निंदा आलोचना और विरोध का सामना करना पड़ता है। इस सच को स्वीकार करना होगा कि ऐसी नीतियों और आचरणों से सनातनी समाज के अंदर व्यापक असंतोष और क्षोभ पैदा हुआ जिसकी परिणति इन छिटपुट विवादों के रूप में सामने आ रहीं हैं। दूसरी ओर जब इन विवादों से समस्याएं बढ़तीं हैं या प्रतिक्रियाएं विकराल रूप में सामने आतीं हैं तो न कोई संगठन दिखता है और न ही हमारे धर्माचार्य।

संभल में सर्वे के सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध जितनी सुनियोजित तरीके से हिंसा हुई और उसकी आलोचना की जगह जिस दिशा में पूरे मुद्दे को व्याप्त इकोसिस्टम ले गया उनका सामना कौन करेगा? विरोधी इन सारे विवादों के लिए किस संगठन को ज़िम्मेदार ठहराते हैं? संघ और भाजपा। संघ की प्रकृति कभी ऐसी नहीं दिखी कि वह आरोपों का खंडन करने या विवादों पर स्पष्टीकरण देने आए। जिस संगठन को दीर्घकालिक दृष्टि से काम करना है वह त्वरित और तात्कालिकता का समर्थन नहीं कर सकता।

जिस तरह संभल से कानपुर और अन्य शहरों में स्वतंत्रता के बाद भी सक्रिय मंदिरों पर कब्जे हुए, बंद किए गए, पवित्र कुएं तक पाटे गए और ऐसे स्थान काफी संख्या में सामने आ रहे हैं, उनकी आवाज़ उठाने और प्रशासन की मदद से उनके समाधान की, कोशिशें हो रहीं हैं, सतर्कतापूर्वक होनी चाहिए। संघ प्रमुख ने उन पर बात नहीं की है। संघ का रुख यही रहा है कि हम हिंदू समाज के संगठन हैं लेकिन सभी हिंदू हमारे साथ हैं ऐसा नहीं है। गहराई से देखें तो डॉक्टर भागवत का वक्तव्य भविष्य दृष्टि से सभी के लिए सुझाव और सलाह की तरह है और इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए। संघ या कोई संगठन धर्माचार्यों का अनुशासक या उनका मार्गदर्शक न हो सकता है और न उनके अंदर ऐसा भाव होगा। लेकिन सभी को समस्याओं के स्थायी समाधान, भारत के वर्तमान और भविष्य की दूरगामी दृष्टि से विचार कर आगे बढ़ना चाहिए।

स्रोत: मोहन भागवत, आरएसएस, स्वामी रामभद्राचार्य, बीजेपी, राम मंदिर, संभल, Mohan Bhagwat, RSS, Swami Rambhadracharya, BJP, Ram Mandir, Sambhal,
Tags: BJPMohan BhagwatRam MandirrssSambhalSwami Rambhadracharyaआरएसएसबीजेपीमोहन भागवतराम मंदिरसंभलस्वामी रामभद्राचार्य
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

संभल-काशी के बाद अब मुरादाबाद में मिला 44 साल से बंद पड़ा मंदिर; दंगों में पुजारी को मारकर किया गया था बंद

अगली पोस्ट

दलित छात्रा ने हरियाणा में ‘कांग्रेस नेता के कॉलेज’ से निकाले जाने पर किया सुसाइड, फीस के लिए शोषण कर रहा था नेता का साला

संबंधित पोस्ट

कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर मासूमियत पर बरसा लाल आतंक
क्राइम

कम्युनिस्टों का रामभजन से डर: जन्माष्टमी यात्रा पर हमला और केरल की बदलती तस्वीर

16 September 2025

केरल में जन्माष्टमी कोई साधारण पर्व नहीं है। बालगोपाल और बालगोपालिनी के वेश में हजारों बच्चे हर साल शोभा यात्राओं में भाग लेते हैं। 14...

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत
इतिहास

जंगलराज की जड़ें: बिहार का अंधकारमय अध्याय और राजनीति की निर्णायक विरासत

16 September 2025

बिहार, जिसे भारतीय इतिहास और संस्कृति का धनी राज्य कहा जाता है, जहां चाणक्य की राजनीति जन्मी, जहां बुद्ध ने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और...

अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक
चर्चित

अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

15 September 2025

दिल्ली की अदालत में सोमवार सुबह का दृश्य किसी ऐतिहासिक मुकदमे जैसा था। खचाखच भरे कक्ष में वकीलों की फुसफुसाहट और दर्शकों की उत्सुक निगाहें...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14

Why PM Modi Is Compared to The Indus Valley Priest King! Amid uncertainty in India’s Neighbourhood!

00:06:42

‘The Bengal Files’ Exposing Bengal’s Darkest Chapter – What Mamata Won’t Show!

00:05:37
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited