272 के पड़ गए लाले, फिर कैसे आएगा दो-तिहाई बहुमत? ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर संसद में दिखी कमजोरी दूर करे BJP

'एक देश, एक चुनाव' को लेकर बनी रामनाथ कोविंद समिति को 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी। इसमें से 32 दलों ने इस बिल का समर्थन किया था।

अमित शाह वन नेशन वन इलेक्शन

गृह मंत्री अमित शाह

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह एक स्वर में बात करते रहे हैं। इसे एनडीए सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता रहा है। साथ ही यह देश हित में यह बेहद जरूरी भी है। लेकिन जब संसद में यह बिल आया तो व्हिप जारी होने के बाद भी भाजपा के 20 सांसद लोकसभा से गायब रहे। इन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई होने की बात सामने आ रही है। लेकिन सवाल यह है कि यदि बिल पेश होने के दौरान सरकार एक तिहाई बहुमत प्रदर्शित नहीं कर पा रही है, तब बिल पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत कैसे जुटा पाएगी।

दरअसल, लोकसभा में मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को ‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए 129वां संविधान (संशोधन) बिल पेश हुआ। बिल के लिए पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए मत पत्र (पर्ची) से मतदान हुआ। इस दौरान बिल को पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 मत पड़े। संसद में बिल पेश करने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता थी। वह बहुमत तो सरकार को मिल गया। लेकिन एक तिहाई बहुमत यानी सांसदों का बहुमत जुटाया नहीं जा सका। इसका कारण यह था कि भाजपा के 20 सासंद अनुपस्थित थे।

गौरतलब है कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश होने के दौरान गिरिराज सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीआर पाटिल, भागीरथ चौधरी, जगदंबिका पाल, शांतनु ठाकुर, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जयंत कुमार रॉय, जगन्नाथ सरकार समेत 20 सांसद अनुपस्थित थे। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम शामिल है। बता दें कि व्हिप जारी के बाद सांसदों को हर हाल में संसद में उपस्थित होना पड़ता है। यदि किसी कारण से उपस्थित नहीं हो सकते तो पार्टी अध्यक्ष या पार्टी द्वारा तय किए व्हिप अध्यक्ष को कारण सहित सूचना देनी होती है।

चूंकि पीएम मोदी, जन कल्याणकारी कार्यक्रम में शामिल होने जयपुर गए थे। इस दौरान कुछ अन्य सांसद भी उनके साथ थे। ऐसे में कहा जा रहा है कि पीएम समेत कुछ अन्य सांसदों ने अनुपस्थित रहने की सूचना पार्टी अध्यक्ष को दी थी। लेकिन बाकी सांसदों ने सूचना पार्टी को नहीं दी थी।

क्या है व्हिप:

व्हिप संसद या विधानसभा में पार्टी के सदस्यों के लिए जारी एक लिखित आदेश होता है जो उन्हें सदन में मौजूद रहने तथा पार्टी द्वारा निर्धारित विषय के पक्ष में वोटिंग के लिए दिया जाता है। व्हिप जारी होते ही पार्टी के सदस्यों को इसके नियम मानने होते हैं। इसके लिए पार्टी द्वारा एक सदस्य को भी नियुक्त किया जाता है जो चीफ व्हिप कहलाता है। व्हिप की अवमानना करने या फिर आदेश न मानने पर संसद या विधानसभा की सदस्यता जा सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो पार्टी दलबदल-रोधी कानून के तहत सदस्य को अयोग्य घोषित कर सकती है।

गौरतलब है कि भाजपा नीत एनडीए गठबंधन के पास कुल 293 सांसद हैं। किसी भी बिल को विधेयक बनाने यानी संसद में बिल को पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी कि 362 सांसदों के मत आवश्यकता होती है। सीधा मतलब यह है कि भाजपा को वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को संसद में पास कराने के लिए गठबंधन के बाहर के दलों के सांसदों का सहयोग लेना होगा। वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए वाईएसआर कांग्रेस और अकाली दल ने अपना समर्थन देने का वादा किया है। हालांकि इसके बाद भी एनडीए को अन्य दलों को भरोसे में लेकर वोटिंग के लिए तैयार करना होगा।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ‘एक देश-एक चुनाव’ बिल को संसद में पेश किए जाने के दौरान ही, जब भाजपा या यूं कहें कि मोदी सरकार एक तिहाई सांसद नहीं जुटा पाई, तब इस बिल को संसद में पारित कराने के लिए क्या संख्या पूरी कर पाएगी। फिलहाल जैसी स्थिति है और सांसदों के रवैये को देखते हुए तो ऐसा होना बेहद कठिन लगता है। हालांकि इस बिल को लेकर अन्य दल साथ आ भी सकते हैं, लेकिन भाजपा ने जिन मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ा, उन पर कानून बनाने में तो भाजपा को मशक्कत का सामना करना पड़ेगा। मसलन यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को ही देखें तो वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियों के भाजपा के साथ खड़े होने की संभावना बेहद कम नजर आती है।

यहां यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बनी रामनाथ कोविंद समिति को 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी। इसमें से 32 दलों ने इस बिल का समर्थन किया था। वहीं, 15 दलों ने इसका विरोध किया था। विरोध करने वाले दलों के पास कुल 205 लोकसभा सांसद हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि एनडीए गठबंधन के बाहर के सांसदों के बिना कोई भी बिल पास नहीं करा पाएगा।

उल्लेखनीय है कि विपक्ष हर छोटे से छोटे मुद्दे को अपनी जीत समझ लेता है। इस मुद्दे में भी भाजपा के सभी सांसद लोकसभा में मौजूद नहीं थे। इसको कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल भाजपा की हार की तरह प्रचारित कर रहे हैं। ऐसे में आगामी में चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। One Nation One Election bill BJP to send notices ABSENT MPs

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