तब तस्लीम रहमानी था, अब प्रियंका भारती हैं… TRP के लिए हिन्दू धर्मग्रंथ फाड़ते हैं, अन्य मजहबी किताबों को छूने की भी हिम्मत नहीं

मेन स्ट्रीम मीडिया की टीआरपी की भूख

प्रियंका भारती, तस्लीम रहमानी और नूपुर शर्मा

प्रियंका भारती, तस्लीम रहमानी और नूपुर शर्मा प्रियंका भारती, तस्लीम रहमानी और नूपुर शर्मा

क्या आप राजद प्रवक्ता प्रियंका भारती को जानते हैं? क्या आप जानते हैं कि उन्हें आजकल मीडिया इनती स्पॉटलाइट क्यों दे रही है? आज के इस लेख में हम इसी को विस्तार से समझेंगे…

यह बेहद शर्मनाक है कि जिस मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, वही आज अपनी जिम्मेदारियों को दरकिनार कर समाज में जहर घोलने का काम कर रही है। विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय, मुख्यधारा की मीडिया अब टीआरपी के लालच में दो समुदायों को आपस में लड़वाने में जुट गई है। यह कोई नई बात नहीं है—2022 में भी इसी घिनौने खेल का नतीजा पूरे देश ने भुगता, जब कट्टरपंथी तस्लीम रहमानी ने शिवलिंग पर भद्दी टिप्पणी की थी। उसका जवाब देते हुए नूपुर शर्मा ने तथ्य रखे, लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया ने इसे तोड़-मरोड़कर पेश किया, जिससे न सिर्फ कन्हैयालाल की बर्बर हत्या हुई बल्कि देशभर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया।

प्रियंका भारती

अब वही मीडिया एक और ‘तस्लीम रहमानी’ तैयार करने में जुटी है। इस बार मीडिया की दुलारी बनी हैं राजद प्रवक्ता प्रियंका भारती, जिन्हें टीवी डिबेट्स में बार-बार बुलाया जाता है, शायद इसलिए कि वह हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलें। 18 दिसंबर, 2024 को उन्होंने सारी हदें पार कर दीं—न सिर्फ हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए, बल्कि धार्मिक किताब को भी अपमानित किया। क्या यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी घटनाओं को मंच देकर समाज में और अधिक जहर घोलती रहे?

हिंदुओं पर हमला और जहरीली बहस कब तक

17 दिसंबर को राज्यसभा में अमित शाह द्वारा आंबेडकर पर दिए गए बयान ने सियासी गलियारों में उबाल ला दिया। विपक्ष जहां इस मुद्दे पर अमित शाह का इस्तीफा मांग रहा है, वहीं भाजपा इसे कांग्रेस की ‘फूट डालो और राज करो’ वाली राजनीति का उदाहरण बता रही है। लेकिन असली खेल तो मेनस्ट्रीम मीडिया ने शुरू किया, जिसने इस विवाद को टीआरपी के लिए भुनाना शुरू कर दिया। 18 दिसंबर को इंडिया टीवी की एक बहस में, राजद की प्रवक्ता प्रियंका भारती ने न सिर्फ हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला, बल्कि लाइव शो में धार्मिक किताब को अपमानित करते हुए फाड़ डाला। इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि इस कार्यक्रम की एंकर मीनाक्षी जोशी ने न तो इस हरकत का विरोध किया, न ही शो में कोई रोकटोक लगाई।

यह वही राजद है, जिसके नेताओं ने बार-बार हिंदुओं की आस्था पर चोट की है। इनके शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरित मानस को ‘नफरत फैलाने वाला ग्रंथ’ बता चुके हैं, और विधायक रीतलाल यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि “रामचरित मानस मस्जिद में लिखा गया।” अब प्रियंका भारती की मानसिकता पर सवाल उठना चाहिए। वह धार्मिक किताब, जिसे करोड़ों हिंदू पूजनीय मानते हैं, उसे फाड़कर क्या साबित करना चाहती हैं? क्या प्रियंका भारती में इतनी हिम्मत है कि वह उन मजहबी किताबों पर सवाल उठा सकें, जिनमें औरतों के खिलाफ घृणित बातें लिखी गई हैं?

असल मुद्दा यह है कि प्रियंका भारती जैसे प्रवक्ता और मेनस्ट्रीम मीडिया के प्रायोजित कार्यक्रम केवल हिंदुओं की भावनाओं को कुचलने और समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। यह एक बार फिर साबित करता है कि मीडिया का एक बड़ा वर्ग न केवल जिम्मेदारी निभाने में विफल हो रहा है, बल्कि वह खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ इस तरह की मानसिकता को मंच देने में लगा है। क्या मीडिया का काम यह है कि वह समाज को बांटने के लिए ऐसे कट्टरपंथियों को हवा दे? अगर नहीं, तो आखिर क्यों प्रियंका भारती को बार-बार बुलाकर ऐसी हरकतों को बढ़ावा दिया जाता है?

मजहबी किताबों को छूने की भी हिम्मत?

प्रियंका भारती ने हिन्दू धर्म ग्रन्थ को लाइव शो में फाड़ा लेकिन क्या कभी वो उन मजहबी किताबों को भी फाड़ने की हिम्मत दिखा पाएंगी, जो महिलाओं को दोयम दर्जा देती हैं और कट्टरपंथ को बढ़ावा देती हैं? जाहिर है, उनका एजेंडा हिंदुओं की भावनाओं को कुचलना और समाज को बांटने का है। और इससे भी ज्यादा शर्मनाक है मुख्यधारा की मीडिया का रवैया, जो ऐसी जहरीली हरकतों को बढ़ावा देती है।

आखिर मीडिया कब अपनी रीढ़ सीधी करेगा और टीआरपी की गंदगी से बाहर निकलेगा? देश को बांटने वाली इन बेतुकी बहसों के बजाय, क्या मीडिया कभी विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे असली मुद्दों पर भी बात करेगा? अगर यह ज़हरीली पत्रकारिता बंद नहीं हुई, तो यह देश को एक ऐसे दलदल में धकेल देगी, जहां से वापसी मुश्किल होगी।

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