आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद खराब रहे हैं। पाकिस्तानी सरकार और वहां बैठे आतंकी हमेशा ही भारत के खिलाफ साजिश रचते रहे हैं। उनके नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना के साथ ही खुफिया एजेंसी भी 24 घंटे एक्टिव रहती है। भारत की तरह ही पाकिस्तान की भी खुफिया एजेंसी है। लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे जासूस के बारे में बताने वाले हैं जिसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का दिमाग ऐसा घुमाया जिससे पूरा का पूरा पाकिस्तान सन्न रह गया था। उसने पाकिस्तान जाकर न केवल वहां की लड़की से प्यार किया बल्कि पाकिस्तानी सेना में अफसर भी बना और 8 साल तक भारत की मदद करता रहा। भारतीय जासूस रविंद्र कौशिक
भारत के इस सबसे बड़े जासूस की कहानी की शुरुआत होती है राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले से जहां रहते थे रविंद्र कौशिक। उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। इसके चलते लोग उन्हें विनोद खन्ना भी कहा करते थे। एक्टिंग के साथ ही रवींद्र कौशिक के दिल में देश को लेकर भी जमकर जुनून था। इसके चलते वह एक्टिंग करते समय देशभक्त या सेना के अफसर का रोल प्ले किया करते थे।
साल 1975 में कुछ ऐसा हुआ, जिससे उनका पूरा जीवन बदल गया। दरअसल, तब लखनऊ में एक शो होना था, जहां कौशिक को आर्मी अफसर का किरदार निभाना था। उस शो में भारतीय खुफिया एजेंसी R&AW के कुछ अधिकारियों की नजर उन पर पड़ी। कहा तो यह भी जाता है कि कॉलेज के दिनों से ही खुफिया एजेंसी की नजर उन पर थी। शो के बाद भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी रविंद्र कौशिक से मिले और एड्रेस देते हुए कहा कि अगर देश के लिए कुछ करना चाहते हो तो दिल्ली आकर मिलो।
रविंद्र कौशिक को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसने कौन मिलने वाला है। लेकिन जब वह दिल्ली पहुंचे तो भारतीय खुफिया एजेंसी R&AW के अधिकारी उन्हें ऑफिस ले गए। इसके बाद कौशिक को पहली बार भारतीय खुफिया एजेंसी के बारे में पता चला। इसके बाद R&AW के अधिकारियों ने उन्हें दुनिया भर में काम कर रहे भारतीय जासूसों और उनके द्वारा किए गए कारनामों के बारे में बताया। इससे, रवींद्र बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद अधिकारियों ने रवींद्र को भी भारत का जासूस बनने का ऑफर दे दिया। रविंद्र ने इसके लिए तुरंत ही हां कर दी और फिर शुरू हुई भारत के सबसे बड़े जासूस की ट्रेनिंग।
इसके लिए कौशिक को देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित ट्रेनिंग दी गई। उन्हें पाकिस्तान के लिए तैयार करना था, इसलिए पंजाबी, उर्दू, अरबी पढ़ने-लिखने के साथ ही इस्लाम से जुड़ी छोटी-छोटी तालीमें दी गईं। इसके बाद, पाकिस्तान के नक्शे से लेकर वहां की राजनीतिक पार्टियों और आर्मी के ठिकानों और हथियार चलाने और जासूसी की बारीकी से ट्रेनिंग दी गई। इतना ही नहीं, पकड़े जाने पर किसी को शक न हो इसलिए उनका खतना तक करा दिया गया।
रविंद्र कौशिक पाकिस्तान जाने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके थे। लेकिन वहां से भेजने पहले खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें दूसरे देशों में भेजकर आसान टास्क दिए, जिसमें वह पूरी तरह खरे उतरे। फिर क्या था करीब 2 साल बाद उन्हें पाकिस्तान भेजा गया। इसके लिए उनका नाम और पता दोनों बदल दिए गए, नया नाम था नबी अहमद शाकिर और पता पाकिस्तान का पंजाब।
रविंद्र कौशिक ने अपने घर के लोगों से कहा कि दुबई में उनकी नौकरी लग गई है और फिर वह पाकिस्तान के लिए रवाना हो गए। कराची पहुंचकर वह वहां लोगों से मिल जुलकर रहने लगे और फिर कॉलेज में भी एडमिशन ले लिया। R&AW के अधिकारी रविंद्र कौशिक को जितना समझदार समझते थे, वह उससे कहीं अधिक तेज और होशियार निकले। कुछ दिनों बाद पाकिस्तान आर्मी में वैकेंसी निकली तो रवींद्र ने सोचा कि जासूसी के लिए इससे बेहतर कोई और रास्ता नहीं हो सकता। उनकी किस्मत इतनी अच्छी थी कि पाकिस्तानी आर्मी में उनका सलेक्शन भी हो गया।
इसके बाद उनके काम के चलते पाकिस्तानी सेना में उन्हें प्रमोशन पर प्रमोशन मिलते चलते गए और वह मेजर के पद पर पहुंच गए। साथ ही वह एक-एक इनफॉर्मेशन भारत भेजने लगे। इससे भारत को पाकिस्तानी सरकार और वहां की सेना के हर एक कदम की जानकारी होती थी। उनकी इस बहादुरी के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ कहती थीं।
इसी बीच रविंद्र कौशिक को पाकिस्तानी सेना के अफसर की बेटी अमानत से प्यार हो गया है वह उससे शादी करना चाहते थे। इसको लेकर उन्होंने भारतीय खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से बात की। इस पर अधिकारियों ने उन्हें शादी करने की अनुमति देते हुए कहा कि यदि वह अमानत से शादी कर लेंगे तो इससे उनकी पहचान और भी छिपी रहेगी। इसके बाद उन्होंने अमानत से निकाह कर लिया, लेकिन अपनी पहचान छिपाए रखी।
रविंद्र इतने बड़े जासूस थे कि उन्होंने अपने पूरे करियर में कोई भी गलत नहीं की थी और न ही ऐसा कोई काम किया, जिससे उन पर किसी को शक हो सके। लेकिन फिर साल 1983 में दूसरे की गलती ने पूरा खेल पलट कर रख दिया। दरअसल हुआ यह है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रवींद्र को कुछ मैसेज भेजना चाहती थी। इसके लिए इनायत मसीह नामक एक अन्य जासूस को पाकिस्तान भेजा गया। लेकिन पाकिस्तान में पहुंचते ही वहां की सेना ने मसीह को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद उसे जमकर टॉर्चर किया गया। इसके चलते इनायत मसीह ने खुद को भारत का जासूस बताने के साथ ही रविंद्र कौशिक की सच्चाई भी पाकिस्तानी आर्मी के सामने रख दी। जब पाकिस्तानी आधिकारियों को यह पता चला कि उनकी आर्मी में मेजर बनकर बैठा हुआ व्यक्ति भारतीय जासूस है तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
फिर क्या था पाकिस्तानी आर्मी ने बिना देर किए रविंद्र कौशिक उर्फ नबी अहमद शाकिर को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान ने रविंद्र कौशिक जमकर टॉर्चर किया। लेकिन उन्होंने भारत से जुड़ी कोई बात नहीं बताई। पाकिस्तान में पहले तो उन्हें फांसी की सजा सुनाई लेकिन फिर उस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
जेल में लगातार बंद रहने के दौरान वह कई भयानक बीमारियों से पीड़ित हो गए थे। इसके चलते नवंबर 2001 में पाकिस्तान की जेल में ही उनका निधन हो गया। इस तरह से भारत के सबसे बड़े जासूस ‘एक ब्लैक टाइगर’ की कहानी ‘एक था टाइगर’ बन कर रह गई।