10 दिसंबर 2024 को बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष(Atul Subhash) की आत्महत्या ने वोक फेमिनिज्म और लचर कानून व्यवस्था को उजागर करते हुए पूरे भारत में सनसनी मचा दी है। सोशल मीडिया से लेकर गली चौराहों तक इस मुद्दे ने तूल पकड़ा है। इसी कड़ी में अब बहुत से ऐसे ही मामले जुड़ते जा रहे हैं जहां लचर न्याय व्यवस्था की भेंट चढ़े सैकड़ों पुरुषों ने आत्यहत्या कर ली है।
दास्तां रवि त्रिवेदी की
बेंगलुरु आत्महत्या केस(Bengaluru Suicide Case) के बाद से ही देश भर से ऐसे कई अन्य पीड़ितों की दिल दहला देने वाली खबरें सामने आ रही हैं। इन्हीं घटनाओं की कड़ी में उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के निवासी ने एक घटना का जिक्र करते हुए X पर अपनी पीड़ा साझा की है।
Like Atul Subhash, my brother was also driven to take his own life due to unbearable harassment by his wife, Shikha Awasthi. On December 27, 2023, he committed suicide, unable to bear her cruelty anymore. #JusticeforRishi #ArrestShikhaAwasthi #JusticeForAtulSubhash pic.twitter.com/NJzXtPg4KS
— Omji Trivedi (@KarnTheReviewer) December 10, 2024
उन्होंने लिखा कि, “मेरे भाई ऋषि त्रिवेदी ने भी अतुल सुभाष की तरह अपनी पत्नी शिखा अवस्थी द्वारा किए गए असहनीय उत्पीड़न के चलते आत्महत्या कर ली। 27 दिसंबर 2023 को, उनकी पत्नी की क्रूरता और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने अपनी जान दे दी। एक साल बीतने के बावजूद, शिखा(पीड़ित की पत्नी) के खिलाफ न तो एफआईआर दर्ज हुई है और न ही उसे गिरफ्तार किया गया है। भाई की मौत के अगले ही दिन, शिखा अपने मायके से आई, घर में तमाशा खड़ा किया, और मेरे पिता से ₹5 लाख की मांग की। उसने धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए गए, तो वह भाई का अंतिम संस्कार नहीं करने देगी। उसने सड़क पर चिल्लाकर हमारे परिवार को अपमानित किया और गालियां दीं। बावजूद इसके, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस द्वारा नहीं लिखी गयी शिकायत
ओमजी आगे लिखते हैं कि मैंने थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने उसे नजरअंदाज कर दिया। फरवरी 2024 में, शिखा ने हमारे परिवार पर झूठे घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, और भरण-पोषण के मुकदमे दर्ज कर दिए। अब वह मेरे 65 वर्षीय पिता को निशाना बना रही है और उन्हें लगातार परेशान कर रही है। मेरा भाई एक मेहनती व्यक्ति था, जो टैक्सी चलाकर उसके अंतहीन आर्थिक माँगों को पूरा करता था। वह दिन में 12-14 घंटे काम करता, रात को देर से घर लौटता और फिर भी उसे उसकी क्रूरता का सामना करना पड़ता। शिखा ने उसे खाना तक नहीं दिया और उसे भूखे सोने को मजबूर किया। जब मेरी माँ उसे खाना देने जातीं, तो शिखा पूरे परिवार पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की धमकी देती, जिससे हमारा पूरा परिवार अलग-थलग पड़ गया।
शादी के चार दिन बाद ही, शिखा को गहने चोरी करते हुए पकड़ा गया। शादी के दो हफ्तों में ही उसकी असली सच्चाई सबके सामने आ गई, जिसके बाद उसने हमें डराना-धमकाना शुरू कर दिया। 24 दिसंबर को, उसने अपनी बहन को हमारे घर की गली में बुलाया, तमाशा किया और मेरे भाई को सार्वजनिक रूप से अपमानित करके चली गई। जाते-जाते उसने अपनी साड़ी उसके ऊपर फेंकी और कहा, “इसीसे फांसी लगा लेना।” 25 दिसंबर को, मेरा भाई अपनी टैक्सी लेकर दिल्ली से बाहर चला गया। अगले दिन, उसी साड़ी से उसने अपनी जान दे दी। हैरत की बात तो यह है कि आज भी, शिखा केवल पैसों के पीछे है, और कानून उसे जिम्मेदार ठहराने में नाकाम रहा है। इसके बजाय, हमारा शोकाकुल परिवार झूठे मुकदमों और अंतहीन उत्पीड़न का शिकार हो रहा है।
प्रताड़ना में शामिल था पूरा परिवार
ऋषि के भाई ओमजी इस खबर की जानकरी देते हुए आगे लिखते हैं कि,” मेरे भाई की मौत सिर्फ व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है; यह देश में पुरुषों के खिलाफ कानूनों के दुरुपयोग और न्याय की विफलता का एक स्पष्ट उदाहरण है। वह महिला हमेशा कहती थी, “महिलाओं का हमेशा ऊपरी हाथ होता है, और एक चाल में तुम्हें और तुम्हारे पूरे परिवार को जेल भिजवा दूंगी।” शिखा और उसकी बहन रुचि दीक्षित लगातार मेरे भाई को झूठे मामलों में फंसाने और पैसों की मांग करने की धमकी देती थीं। इसमें शिखा का पूरा परिवार—उसके पिता, माँ, भाई और बहन—इस उत्पीड़न में उसका साथ देते थे।