बुधवार, 18 दिसंबर 2024 को विधानसभा घेराव के दौरान 28 वर्षीय कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत अभी तक एक रहस्य बनी हुई है। जहां कांग्रेस ने इसे प्रशासन द्वारा की गई “बर्बरता” का परिणाम बताते हुए लखनऊ में पार्टी के विरोध प्रदर्शन में इसे पुलिस क्रूरता से जोड़ा है, वहीं ग्रामीणों ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रभात की मौत का जिम्मेदार भी कांग्रेस को ठहराया। मृतक के चाचा ने भी इस मामले में कई सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है और अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उनका सवाल है, “दो घंटे तक बेहोश रहने के बावजूद अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया?”
पुलिस के मुताबिक, कांग्रेस कार्यालय में घटनास्थल से छेड़छाड़ की गई है। जिस कमरे में प्रभात का शव मिला, उसे साफ करने की बात भी पुलिस जांच में सामने आई है। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय समेत दस लोगों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है।
सवालों के घेरे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय
यूपी विधानसभा घेराव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत पर अब कांग्रेस की लापरवाही और छिपाने की मंशा पूरी तरह से सामने आ रही है. पुलिस ने मामले की जांच को और तेज करते हुए गुरुवार को कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर उस कमरे का निरीक्षण किया, जहां प्रभात पांडे का शव मिला था। पुलिस के मुताबिक, कांग्रेस कार्यालय में घटनास्थल से छेड़छाड़ की गई और जिस कमरे में प्रभात का शव पाया गया, उसे जानबूझकर साफ करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय समेत दस लोगों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है।
पुलिस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, जिला अध्यक्ष वेद प्रकाश त्रिपाठी, आर्यन मिश्रा, नितांत सिंह नितिन, और जिस इनोवा से प्रभात को सिविल अस्पताल ले जाया गया, उसके ड्राइवर ग़यास, कांग्रेस कार्यालय के केयरटेकर द्वारिका प्रसाद शुक्ला, नगर अध्यक्ष शहजाद आलम (जहां प्रभात बेहोश मिले थे), अमित श्रीवास्तव और विकास रावत को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। तीन दिन के अंदर इन सभी से बयान दर्ज कराए जाएंगे और पुलिस छेड़छाड़ की वजह से कांग्रेस के काले कारनामों पर सवाल उठाएगी।
प्रभात पांडे की मौत का रहस्य अब भी अनसुलझा
दो दिन बाद भी कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे की मौत का रहस्य नहीं सुलझ पाया है, और कांग्रेस की लापरवाही की परतें लगातार उभरकर सामने आ रही हैं। घटना के दिन, 4:15 बजे कांग्रेस दफ्तर से प्रभात के चाचा मनीष पांडे को कॉल किया गया था, लेकिन हैरानी की बात यह है कि 5:05 बजे मनीष पांडे ने खुद प्रभात को सिविल अस्पताल में एडमिट कराया। आरोप है कि कांग्रेस मुख्यालय से किसी ने भी प्रभात को अस्पताल पहुंचाने की पहल नहीं की, जो कांग्रेस की घोर लापरवाही को उजागर करता है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो पाई है, और उसकी वजह से शव के ह्रदय और विसरे को सुरक्षित रखा गया है। शव पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए, लेकिन इससे भी कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठते हैं। गुरुवार को प्रभात पांडे का अंतिम संस्कार गोरखपुर में किया गया, जहां ग्रामीणों ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रभात की मौत का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराया। यह घटना कांग्रेस की लापरवाह रवैये को बेनकाब करती है, जिसने न केवल एक कार्यकर्ता की जान को खतरे में डाला, बल्कि उसके परिवार और समुदाय को भी गहरे आघात पहुंचाया।