मराठा ‘चाणक्य’ जिसने बचा कर रखा मराठा सम्राज्य: तब अंग्रेज-निजाम-टीपू से था ख़तरा, बुद्धि से सबको दी मात

माधवराव की मौत के बाद उनके छोटे भाई नारायणराव पेशवा बने। नारायणराव की उनके चाचा रघुनाथ राव ने हत्या कर दी और कुछ समय के लिए पेशवा बन गए, लेकिन यहाँ पर नाना फडणवीस ने दिमाग का उपयोग किया और सात महीने में ही रघुनाथ राव की पेशवाई को उखाड़ फेंका।

नाना फडणवीस, मराठा सम्राज्य

नाना फडणवीस ने मराठा सम्राज्य को अपनी बुद्धि से मजबूत बनाए रखा

पेशवा माधवराव प्रथम ने उन्हें फडणवीस (पेशवाई की आय-व्यय का लेख-जोखा रखने वाला) के पद पर नियुक्त किया था। इसके कारण वे फडणवीस कहलाने लगे। हालाँकि, 14 जनवरी, 1761 को पानीपत की तीसरी लड़ाई में अफगान आक्रांता अहमदशाह अब्दाली के हाथों मराठों को भीषण पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद मराठा साम्राज्य हर तरह से क्षत-विक्षत हो गया। खजाने खाली हो गए। राजनीतिक हालात बिगड़ गए। ऐसे विकट समय में नाना फडणवीस ने साम्राज्य को सँभाला। उन्होंने व्यवस्था बहाल की और आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश की। बिगड़ चुके राजनीतिक हालात को संभारने के लिए उन्होंने अंग्रेजों और यहाँ तक मुगलों एवं निजामों तक से संधि की। सत्ता के लालची पेशवा रघुनाथराव जैसे आंतरिक खतरों से भी उन्होंने मराठा साम्राज्य को बचाया।

बालाजी जनार्दन भानु का जन्म चितपावन परिवार में 12 फरवरी, 1762 को हुआ था। उनके पिता का नाम जनार्दन और माँ का नाम रख्माबाई था। नाना फडणवीस का संबंध भानु घराने से था, जबकि पेशवाओं का संबंध भट्ट घराने था। दोनों घराने से पीढ़ियों से एक-दूसरे से संबंधित थे। भट्ट घराने में दो भाई थे- बालाजी विश्वनाथ और जानोजी विश्वनाथ। वहीं, भानु घराने में चार भाई थे- नारायण, हरि, रामचंद्र और बलवंत। एक बार भट्ट भाइयों को भानु भाइयों ने अपनी सूझ-बूझ से बचा लिया। इसके बाद बालाजी विश्वनाथ ने भानु बंधुओं से कहा कि ‘हम जो भी रोटी लाएँगे, उसमें एक रोटी तुम्हें भी मिलेगी।’ भट्ट परिवार ने भानु परिवार को दिया यह वचन निभाया।

छत्रपति शाहूजी महाराज ने 1714 में बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया। इसके बाद बालाजी ने भानु भाइयों में से हरि को फडणवीस बनाया। फडणवसी पेशवा के आय-व्यय का लेखा जोखा देखने वाला विश्वसनीय अधिकारी होता था। हरि की मौत के बाद बलवंत को यह उपाधि मिली। बलवंत के बाद यह काम रामचंद्र को मिला और उनकी मौत के बाद उनके बेटे बालाजी जनार्दन भानु यानी नाना फडणवीस को यह पदवी एवं काम मिला। जनार्दन की मौत भी उत्तर भारत में एक सैन्य अभियान के दौरान हो गई। इसके पहले भी कई फडणवीसों की ऐसे ही मौत हुई। आखिरकार पेशवाओं ने अपना वादा निभाते हुए जनार्दन के बाद उनके बेटे नाना को फडणवीस बनाया। नाना कूटनीति में माहिर थे।

माधव राव को पेशवा बनाया, टीपू सुल्तान की सुनिश्चित की हार

पानीपत की तीसरी लड़ाई में हार के बाद अगले छह महीने में नानासाहेब पेशवा की मौत हो गई। इसके बाद नानासाहेब के बड़े भाई माधवराव पेशवा बने। नाना फडणवीस माधवराव के साथ काम करने लगे। नाना शरीर से बेहद दुर्बल थे, लेकिन दिमाग के बहुत तेज थे। पेशवा जब सैन्य अभियान पर होते तो राजकाज की सारी जिम्मेदारी नाना फडणवीस के हवाले करके जाते थे। बिगड़े मराठा साम्राज्य का सारा भार नाना फडणवीस पर आ गया।

नाना फडणवीस ने माधवराव पेशवा को आंतरिक विरोध से रक्षा थी। माधव राव और रघुनाथ राव के बीच पेशवाई को लेकर खींचतान चल रही थी। माधवराव ने रघुनाथ को शनिवारवाडा में कैद कर रखा। वे बाहर ना निकलें, इसकी जिम्मेदारी नाना फडणवीस को दी गई थी। 2 अप्रैल, 1769 को रघुनाथ राव ने जेल से भागने की कोशिश की, लेकिन नाना ने उन्हें पकड़ लिया और उन पहरा सख्त कर दिया। माधवराव की मौत के बाद उनके छोटे भाई नारायणराव पेशवा बने। नारायणराव की उनके चाचा रघुनाथ राव ने हत्या कर दी और कुछ समय के लिए पेशवा बन गए, लेकिन यहाँ पर नाना फडणवीस ने दिमाग का उपयोग किया और सात महीने में ही रघुनाथ राव की पेशवाई को उखाड़ फेंका।

इस दौरान नारायणराव की गर्भवती से सवाई माधव राव नाम का एक पुत्र उत्पन्न हुआ। नाना फडणवीस की अगुवाई में गठित एक परिषद ने छोटे से बालक माधव राव को पेशवा घोषित कर दिया और उनके नाम पर नाना ने राजकाज सँभाल लिया। इस दौरान नाना फडणवीस ने नागपुर के भोसले और निजाम-हैदर से गठबंधन किया। बाद में हैदर के बेटे टीपू सुल्तान ने दक्षिण में हमला किया तो नाना फडणवीस ने अंग्रेजों और निजाम से गठबंधन कर लिया। टीपू सुल्तान की इसमें हार हो गई। अंग्रेजों का ध्यान अब पेशवा की ओर गया, लेकिन यह सब आसान नहीं था।

निजाम और अंग्रेज जैसे खतरों के बीच नाना फडणवीस ने मराठाओं को मजबूत किया

पेशवा सवाई माधव राव के संरक्षक नाना फडणवीस ने इस दौरान आंतरिक भीतरघात और अंग्रेजों एवं निजाम की नजरों से जूझते हुए मराठाओं को एकत्रित करना जारी रखा। अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए कर की वसूली पर ध्यान दिया, ताकि राजकाज चलाने के लिए पर्याप्त धन आदि का आगमन हो सके। सवाई माधवराव के समय में नाना फडणवीस ने कभी युद्ध, कभी मित्रता तो कभी शांति की नीति अपनाई। उन्होंने फ्रांसीसियों का स्वागत और आतिथ्य सत्कार किया, ताकि अंग्रेजों को भ्रमित किया जा सके। आगे चलकर माधवराव ने शनिवार वाडा में छत से कूद कर आत्महत्या कर ली। हालाँकि, इसके लिए नाना फडणवीस को दोषी बताया जाता है, लेकिन नाना ने मराठा साम्राज्य को बचाने के लिए हर जतन किए।

बाद में रघुनाथ राव के बेटे बालाजी द्वितीय ने पेशवा पद पर कब्जा कर लिया और नाना फडणवीस को जेल में डाल दिया। सन् 1800 में नाना फडणवीस ने मराठा साम्राज्य को अपनी छत्रछाया में ना सिर्फ बचाए रखा, बल्कि एकसूत्र में पिरोया भी और उसे इस मुकाम तक पहुँचाया कि वो अंग्रेज और निजाम जैसे समृद्ध तंत्रों से युद्ध कर सकें। यह सब कुछ नाना फडणवीस जैसा कुशल रणनीतिकार ही कर सकता था।

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