प्रयागराज के पवित्र संगम में चल रहे महाकुंभ (MahaKumbh 2025) के दौरान अखाड़ों ने अपने-अपने महामंडलेश्वर और महंतों की घोषणा शुरू कर दी है, और इसमें एक और बड़ा नाम सामने आया है – पीलीभीत के बीजेपी विधायक स्वामी प्रवक्तानंद। निर्मल अखाड़े ने रविवार को उन्हें अपना महामंडलेश्वर घोषित किया है, और इस अवसर पर कई संतों ने चादर उठाकर उन्हें आशीर्वाद दिया। साथ ही, जूना अखाड़े ने भी 9 संतों को महामंडलेश्वर बनाया है।
स्वामी प्रवक्तानंद फिलहाल खमरिया स्थित अक्रिय धाम के पीठाधीश्वर के रूप में सेवा दे रहे हैं, जहां उन्होंने 2003 में गुरु स्वामी अलख आनंद से दीक्षा ली थी। यह कदम स्वामी प्रवक्तानंद की हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रति अडिग आस्था को दर्शाता है, और यह उनके राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और बीजेपी से जुड़ी उनकी प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
बीजेपी विधायक का राजनितिक सफर
स्वामी प्रवक्तानंद का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है, लेकिन उनकी मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उन्हें अंततः सफलता दिलाई। स्वामी प्रवक्तानंद, जो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के रतनपुरी गांव के रहने वाले हैं, ने 2012 में बीजेपी के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार हेमराज वर्मा से करीब 32,000 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
2017 में, स्वामी प्रवक्तानंद ने फिर से बरखेड़ा विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर दावेदारी की, लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद, वे राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) में शामिल हो गए और उसी सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी उन्हें हार मिली। हार के बाद, स्वामी प्रवक्तानंद कुछ समय के लिए राजनीति से दूर रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार मानने का नाम नहीं लिया। वे फिर से बीजेपी में लौटे और इस बार जिला पंचायत सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा।
स्वामी प्रवक्तानंद की राजनीतिक यात्रा में एक और मोड़ तब आया जब उन्होंने समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए समर्थन लिया, लेकिन बीजेपी के नेताओं के समझाने के बाद वे फिर से पार्टी में लौट आए। इसके बाद, उन्होंने दलजीत कौर को निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में मदद की, जिससे उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और बल साबित हुआ।
साल 2022 में, बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर बरखेड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया। इस बार उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 1,51,498 वोट हासिल किए, जबकि सपा के हेमराज वर्मा को सिर्फ 70,299 वोट मिले। स्वामी प्रवक्तानंद की 81,199 वोटों से इस बड़ी जीत ने न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक यात्रा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि उनका हिंदुत्व के प्रति विश्वास और पार्टी के लिए समर्पण उन्हें हर चुनौती में मजबूत बनाए रखता है।