संबंधितपोस्ट
भारत आज अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्तव्य पथ पर झंडा फहराया है। भारत को अंग्रेजों से आज़ादी भले ही 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी लेकिन एक गणतंत्र के रूप में भारत का जन्म 26 जनवरी 1950 को हुआ था। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के रूप में अपना पहला राष्ट्रपति मिला था। जहां 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण (Flag Hoisting) करते हैं वहीं 26 जनवरी के दिन भारत के राष्ट्रपति कर्तव्य पथ पर झंडा फहराते (Flag Unfurling) हैं। ध्वजारोहण और झंडा फहराने दोनों की विधि अलग-अलग होती है, आइए आपको बताते हैं कि इन दोनों के बीच क्या अंतर है?
ध्वजारोहण (Flag Hoisting)
15 अगस्त को देश की स्वतंत्रता के उपलक्ष्य में लाल किले पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज को पोल के नीचे से ऊपर खींचते हैं। इसे अंग्रेज़ी में Flag Hoisting कहा जाता है। ध्वजारोहण की प्रक्रिया इस बात का प्रतीक है कि 1947 में भारत ने ब्रिटिश शासन से आज़ादी प्राप्त की थी और यह स्वतंत्रता का उत्सव है। जब प्रधानमंत्री तिरंगे से बंधी डोर को खींचते हैं, तो झंडा धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता है और पोल के शीर्ष पर पहुंचकर लहराने लगता है। भारत के अंग्रेज़ी सत्ता से आज़ाद होने पर अंग्रेजी सरकार का झंडा उतारकर हमारे राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर चढ़ाया था और इसी के चलते 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है।
झंडा फहराना (Flag Unfurling)
26 जनवरी को राष्ट्रपति कर्तव्य पथ पर तिरंगे को फहराते हैं। इस प्रक्रिया को अंग्रेज़ी में Flag Unfurling कहा जाता है। इसमें झंडा पहले से ही पोल के शीर्ष पर बंधा होता है, लेकिन वह तह किया हुआ रहता है। जब राष्ट्रपति डोर खींचकर उसकी गांठ खोलते हैं, तो तिरंगा खुलकर लहराने लगता है। यह गणतंत्र दिवस का प्रतीक है, जो भारत के संविधान लागू होने और गणराज्य बनने का जश्न मनाता है।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति क्यों फहराते हैं झंडा?
यह सवाल लोगों के मन में उठता है कि गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने की ज़िम्मेदारी राष्ट्रपति की क्यों होती है जबकि स्वतंत्रता दिवस पर यह कार्य प्रधानमंत्री करते हैं। इसका संबंध भारत के ऐतिहासिक घटनाक्रम और संवैधानिक परंपराओं से है।
15 अगस्त 1947 को जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की तब प्रधानमंत्री देश के कार्यकारी प्रमुख थे। उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार लाल किले से तिरंगा फहराया था। यह परंपरा स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण के रूप में जारी रही। वहीं, 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया और खुद को एक गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया। इस दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और भारत के संवैधानिक प्रमुख बन गए थे। संविधान लागू होने के साथ गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की जिम्मेदारी राष्ट्रपति को सौंपी गई क्योंकि वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का प्रतिनिधित्व करते हैं।
तब से, गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं जबकि स्वतंत्रता दिवस पर यह कार्य प्रधानमंत्री करते हैं। यह परंपरा भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और ऐतिहासिक महत्व को प्रतिबिंबित करती है। जहां स्वतंत्रता दिवस आज़ादी के संघर्ष का प्रतीक है वहीं गणतंत्र दिवस संविधान और लोकतंत्र की स्थापना का उत्सव है।