कहते हैं कि जब सेनापति के अभाव में सेना बिखर जाती है। बिहार (Bihar) की राजनीति में कुछ ऐसा ही मंजर देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अस्वस्थता और उनकी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं का रवैया बता रहा है कि पार्टी में लीडर की पकड़ कमजोर पड़ते ही हर कोई अपनी मर्जी का मालिक हो जाता है। अनुशासनहीनता आम हो जाती है। खुद को स्वतंत्र और बादशाह समझने लगता है। ऐसा ही आजकल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में देखने को मिल रहा है। इसको लेकर विपक्षी दल हमलावर हैं और आरोप लगा रहे हैं कि राज्य में नीतीश कुमार का इकबाल खत्म हो गया है।
जदयू सांसद की गुंडागर्दी
दरअसल, भागलपुर में बुधवार (29 जनवरी 2025) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दौरे की तैयारी का कवरेज करने गए पत्रकारों को जदयू के सांसद अजय मंडल ने जमकर पिटाई कर दी। सांसद अजय मंडल ने पत्रकार कुणाल शेखर और सुमित कुमार की जमकर पिटाई करने के साथ-साथ उन्हें भद्दी-भद्दी गालियाँ भी दीं। इस हमले में दोनों पत्रकार घायल हो गए। तैयारियों का वीडियो बनाने से सांसद नाराज हो गए थे। इसके बाद उनके इशारे पर उनके पाँच गुर्गों ने पत्रकारों को पीट दिया।
इसी तरह, पिछले दिनों नवगछिया में एक कार्यक्रम के दौरान जदयू के विधायक गोपाल मंडल का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वे अपने NDA के सहयोगी भाजपा के जिलाध्यक्ष को आगे की कुर्सी पर बैठने के कारण सरेआम बेइज्जत कर दिया। उम्र में बड़े भाजपा नेता मुक्तिनाथ सिंह को गोपाल मंडल ने बदतमीजी से बात करते हुए पीछे की कुर्सी पर बैठने के लिए भेज दिया। इसको लेकर जदयू की तमाम आलोचना हुई और नीतीश कुमार की पार्टी पर पकड़ ढीली को लेकर तमाम दावे किए गए।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ताली
अब विपक्ष दल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इकबाल खत्म होने की बात कर रहे हैं तो इसके पीछे कुछ वजह है। यह वजह 30 जनवरी को महात्मा गाँधी की शहादत दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में देखने को मिला। पटना के गाँधी घाट पर महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देने के लिए एक सभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान भाजपा नेता एवं उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और भाजपा नेता एवं बिहार(Bihar) विधानसभा के स्पीकर नंदकिशोर यादव 2 मिनट का मौन रखकर बापू को श्रद्धांजलि दे रहे थे। इस दौरान नीतीश कुमार शांत खड़े रहे और अचानक ताली बजाने लगे। इसको देखकर उनके साथ खड़े नेता और अधिकारी भी सकपका गए और ताली बजाने लगे। तभी नीतीश कुमार के बगल में खड़े नंदकिशोर यादव ने उन्हें हाथों से इशारा करके उन्हें रोका। तब नीतीश कुमार फिर से सीधे खड़े हो गए।
महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद ताली बजाने लगे सीएम नीतीश कुमार…स्पीकर नंद किशोर यादव ने सीएम नीतीश कुमार को रोका..पटना के गाँधी घाट पर आयोजित श्रधांजलि सभा मे पहुँचे थे सीएम नीतीश कुमार..देखिए पूरी खबर…
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— Bihar Tak (@BiharTakChannel) January 30, 2025
यह वीडियो सामने आने के बाद लोग नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर फिर से चर्चा करने लगे हैं। लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या वाकई नीतीश कुमार किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। ये पहली बार नहीं है कि नीतीश कुमार ने ऐस तरह की अजीबो-गरीब हरकत की है। इसके पहले बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन का एक वीडियो वायरल हुआ था। सत्र के दौरा नीतीश कुमार के बगल में बैठे मंत्री अशोक चौधरी खड़े होकर किसी मुद्दे पर बोल रहे थे। उसी दौरान नीतीश कुमार अपने मंत्री चौधरी के हाथ में पहने ब्रेसलेट को उसी तरह छूने और हिलाने लगे, जैसे कोई बच्चा किसी सामान से खेलता है।
इस साल दशहरा के दौरान भी ऐसा नहीं वाकया देखने को मिला था, जब गाँधी मैदान में रावण वध के दौरान हाथ में तीर और धनुष लेकर रावण वध का इंतजार करते हैं। जब मौका आते है तो उनके साथ खड़े नेता धनुष पर रखकर तीर को रावण की मूर्ति की तरफ छोड़ते हैं, लेकिन नीतीश कुमार धनुष और तीर को जमीन पर फेंक देते हैं। ये अपने आप में चौंकाने वाला था। वहाँ मौजूद लोग इसे देखकर हतप्रभ रह गए थे। इसी तरह पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उनसे बड़े होने के बावजूद वे पीएम मोदी का सार्वजनिक रूप से पैर छूने लगे थे। इसको लेकर विपक्षी दलों ने उनकी भूलने की बीमारी को लेकर तमाम तरह के सवाल किए थे।
साल 2023 में नीतीश कुमार अपनी सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के पिता महावीर प्रसाद की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे। वहाँ उन्होंने दिवंगत महावीर प्रसाद की तस्वीर पर चढ़ाने के लिए रखे गए फूल उठा कर उनके बेटे अशोक चौधरी पर फेंकने लगे। इसे देखकर लोग हैरान रह गए थे। उसी दौरान उन्होंने स्त्री-पुरुष संबंधों को लेकर विधान परिषद में ऐसी बातें कह दीं, जो बेहद अश्लील मानी जाती हैं। उसी साल नीतीश कुमार के सामने एक फरियादी ने कहा कि कुछ दबंग लोगों ने उसकी जमीन कब्जा कर लिया है। इस पर नीतीश ने अपने साथ खड़े अधिकारी से कहा कि गृह मंत्री को फोन लगाइए। नीतीश कुमार भूल गए थे कि बिहार के गृहमंत्री भी वही हैं। कोई गृह राज्यमंत्री भी नहीं है।
इतना ही नहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मोतिहारी में महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के लिए बिहार के दौरे पर गई थीं। राष्ट्रपति जब अपने अपने अस्थायी कक्ष में थीं तो मंच पर बैठे नीतीश कुमार ने तत्कालीन राज्यपाल से कहने लगे कि ‘जाइए जरा देखिए कि क्यों राष्ट्रपति महोदया को इतना टाइम लग रहा है’। उस समय बिहार में उसकी भी खूब चर्चा हुई थी। तबसे उनके स्वास्थ्य को लेकर तमाम तरह की चर्चाएँ चल रही हैं। बिहार का लगभग हर विपक्षी नेता इसको लेकर सवाल उठा चुका है।
एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में कानाफूसी है कि नीतीश कुमार बीमार चल रहे हैं। इसके पीछे वजह भी है। 24 जनवरी को भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई गई। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पटना और समस्तीपुर के दौरे पर आए थे। प्रोटोकॉल के अनुसार, नीतीश कुमार को पटना एयरपोर्ट पर उपराष्ट्रपति का स्वागत करना था, लेकिन वे वहाँ नहीं गए। इसके बाद कर्पूरी ठाकुर के गाँव में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ नीतीश कुमार को भी मौजूद रहना था, लेकिन नीतीश कुमार इस समारोह में भी नहीं गए। कहा गया उनकी तबीयत नहीं है।
इस पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद के नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक हालत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा था कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की बिहार(Bihar) यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था। प्रोटॉकॉल के अनुपालन में सीएम नीतीश की असमर्थता बताती है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। प्रशांत किशोर भी इसका दावा कर चुके हैं। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया था कि नीतीश कुमार अपने मंत्रीमंडल के सभी मंत्रियों के नाम भी नहीं बता सकते हैं। जीतनराम माँझी ने भी नीतीश कुमार को अस्वस्थ बताया था। वहीं, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेता संजय राऊत ने भी कहा था कि नीतीश कुमार को यादाश्त की समस्या है। उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता है।
नीतीश कुमार की बीमारी को लेकर सहयोगी दल भाजपा भी परेशान है। हालाँकि, वह खुलकर कुछ नहीं कह रही है। भाजपा को कुछ महीनों में ही आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर संकट दिख रहा है। भाजपा पसोपेश में है कि ‘अस्वस्थ’ नीतीश कुमार Bihar विधानसभा चुनावों के दौरान कितने सक्रिय रह पाएँगे, क्योंकि उनके सामने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसा मजबूत प्रतिद्वंद्वी मैदान है। ऐसे में बिहार में NDA का एक मजबूत स्तंभ जदयू में नेता को लेकर अराजकता का सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। विपक्षी दल वैसे भी नीतीश कुमार को लेकर तरह-तरह के दावे कर रहे हैं।
संभवत: यही वजह से नीतीश कुमार के लगभग 5 दशक के राजनीतिक करियर में राजनीति से दूर रहा उनका परिवार इस समय राजनीति के केंद्र बिंदु में है। उनके बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने के चर्चे शुरू हो गए। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की भूलने और उनकी गरीबो-गरीब हरकतों की वजह से जदयू में सँभालना मुश्किल होता जा रहा है। अब निशांत ही अपने पिता की जगह लेंगे और धीरे-धीरे पार्टी को सँभालेंगे। जदयू से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार अब अपने बेटे निशांत को आगे लाएँ, ताकि भविष्य में जदयू को बिखराव का सामना ना करना पड़े। नीतीश कुमार के 49 वर्षीय इकलौते बेटे निशांत कुमार के जल्दी ही जदयू में शामिल होने की चर्चा बिहार की राजनीति के गलियारे में तेज है। निशांत इंजीनियर हैं।
दरअसल, 17 जनवरी को नीतीश ने अपने पिता की जयंती मनाई तो उस कार्यक्रम में निशांत भी शामिल हुए। उन्होंने मीडिया के माध्यम से अगले विधानसभा चुनावों में अपने पिता के लिए वोट करने की अपील की। इसके बाद से ही निशांत की राजनीति में एंट्री की बात होने लगी। हालाँकि, नीतीश कुमार ने इसको लेकर अभी तक को स्पष्ट संकेत नहीं दिया है, लेकिन नीतीश कुमार सबको चौंकाने के लिए जाने जाते हैं। निशांत कुमार के जदयू में शामिल होने की चर्चाओं के बीच जदयू नेताओं की तरफ से भी उत्साहजनक प्रतिक्रियाएँ आने लगी हैं। इससे लग रहा है कि वे निशांत के नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार हैं। हालाँकि, निशांत को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बनाए जाने को लेकर संजय झा, ललन सिंह, विजय चौधरी और अशोक चौधरी जैसे जेडीयू कई नेताओं से टक्कर मिलने की उम्मीद है।
बिहार(Bihar) सरकार के मंत्री अशोक चौधरी कहते हैं, “जब मेरी बेटी राजनीति में आ सकती है, तो वो क्यों नहीं आ सकते हैं? अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो हमलोग उनका स्वागत करेंगे।” वहीं, जदयू नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह ने कहा, “ये सब हमलोगों का विषय नहीं है। लेकिन, पत्रकार का बेटा पत्रकार होता है, डॉक्टर का बेटा डॉक्टर होता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर होता है। निशांत का अगर फैसला राजनीति में जाने का होगा तो नई पीढ़ी का सभी स्वागत करेंगे।” इससे तय है कि बिहार(Bihar) के जदयू के नेता नीतीश कुमार के बाद उनके बेटे को नेता मानने के लिए तैयार हैं, किसी बाहरी को नहीं जैसा कि सीपी सिंह और मनीष वर्मा के मामले में देखा जा चुका है।