इस साल गणतंत्र दिवस 2025(Republic Day 2025) परेड में भारत अपनी सैन्य ताकत का अभूतपूर्व प्रदर्शन करेगा। जहां भारत की पहली स्वदेशी क्वासि बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ और अत्याधुनिक युद्ध निगरानी प्रणाली ‘संजय’ का प्रदर्शन होगा, जो हमारी रक्षा क्षमताओं को और भी प्रगति की ओर ले जाएंगे।
‘प्रलय’ मिसाइल, जो भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने का उदाहरण है, दुश्मन की रणनीतियों को ध्वस्त करने में सक्षम है। यह मिसाइल हमारी सैन्य सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है और रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
साथ ही, ‘संजय’ प्रणाली, भारतीय सेना की युद्ध निगरानी क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाएगी, जो हमारे दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेगी। यह दोनों प्रणालियाँ हमारे दृढ़ संकल्प और सैन्य श्रेष्ठता को दर्शाती हैं।
क्यों खास है ‘प्रलय’
गणतंत्र दिवस 2025 में पहली बार भारत की पहली स्वदेशी क्वासि बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का प्रदर्शन किया जाएगा। इसे भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है और यह दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने की शक्ति रखती है। ‘प्रलय’ भारत की पहली जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है, जो भारतीय सैन्य रणनीतियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी।
प्रलय मिसाइल की ताकत
‘प्रलय’ मिसाइल की रेंज लगभग 400 किलोमीटर है, जो इसे ब्रह्मोस और परहार मिसाइलों के साथ भारतीय सैन्य बलों के स्टैंडऑफ मिसाइल स्ट्राइक्स विकल्प का हिस्सा बनाती है। यह मिसाइल एलओसी (Line of Control) और एलएसी (Line of Actual Control) दोनों क्षेत्रों में तैनात करने के लिए तैयार की गई है, जिससे हमारे सीमा सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।
‘प्रलय’ एक सतह से सतह तक मार करने वाली मिसाइल है, जिसे विभिन्न प्रकार के वारहेड्स के साथ विभिन्न लक्ष्य पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिसाइल Research Centre Imarat, हैदराबाद द्वारा विकसित की गई है जिसका 21 और 22 दिसंबर 2022 को भी दो बार परीक्षण किए गए थे। इन सफल परीक्षणों के बाद, ‘प्रलय’ मिसाइल को भारतीय सेना में शामिल किया गया है और इसे चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया गया है।
प्रलय का परीक्षण और सफलताएँ
‘प्रलय’ का विकास 2015 में शुरू हुआ था, और इसका पहला फ्लाइट टेस्ट दिसंबर 2021 में सफलतापूर्वक किया गया। इस परीक्षण में दो दिन लगातार सफल परीक्षण किए गए, जिसमें मिसाइल ने अपेक्षित क्वासी-बैलिस्टिक ट्राजेक्टरी का पालन किया और निर्दिष्ट लक्ष्य पर अत्यधिक सटीकता से वार किया। DRDO के जनवरी 2022 के समाचार पत्र के अनुसार, सभी उप-प्रणालियाँ संतोषजनक रूप से कार्यरत पाई गईं।
‘प्रलय’ मिसाइल ठोस प्रोपेलेन्ट रॉकेट मोटर से संचालित है, जिसमें 500 से 1,000 किलो तक का पेलोड लोड करने की क्षमता है। यह मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं को एक नई दिशा देने के साथ-साथ हमारे आत्मनिर्भर रक्षा दृष्टिकोण का प्रतीक है।
क्यों खास है युद्ध निगरानी प्रणाली ‘संजय’
भारत की सेना अब अपनी युद्ध रणनीतियों को और भी सशक्त बनाने जा रही है, और इसका एक प्रमुख उदाहरण है ‘संजय’ युद्ध निगरानी प्रणाली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अत्याधुनिक प्रणाली को शुक्रवार को भारतीय सेना के लिए हरी झंडी दिखाई। ‘संजय’ को मार्च से अक्टूबर तक तीन चरणों में भारतीय सेना के सभी ऑपरेशनल ब्रिगेड, डिवीजन और कोर में शामिल किया जाएगा, जो सेना के निर्णय लेने की क्षमता को और भी प्रभावी बनाएगा।
‘संजय’ की ताकत
‘संजय’ को 2,402 करोड़ रुपये की लागत से पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इससे पहले भारतीय सेना के पास एक सामान्य एकीकृत युद्ध निगरानी प्रणाली नहीं थी, लेकिन अब ‘संजय’ सेना को युद्ध की वास्तविक स्थिति को समझने और उस पर आधारित निर्णय लेने में मदद करेगा। यह प्रणाली युद्ध क्षेत्र में अलग-अलग निगरानी उपकरणों से जानकारी इकट्ठा करके उसे एक साथ जोड़ती है, जिससे कमांडर को एक स्पष्ट और सटीक स्थिति मिलती है, जो रणनीतिक फैसलों को आसान और सटीक बनाती है।
मोबाइल और स्वचालित प्रणाली
‘संजय’ एक मोबाइल और स्वचालित प्रणाली है, जो पूरे युद्ध क्षेत्र में सक्रिय रहती है। इसमें एक मॉनिटरिंग सेंटर, कम्युनिकेशन कंट्रोल यूनिट, जनरेटर और विभिन्न टर्मिनल्स शामिल होते हैं, जो डेटा को आसानी से साझा करने और निगरानी करने में मदद करते हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा विकसित इस प्रणाली को भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट द्वारा संचालित किया जाएगा। ‘संजय’ पूरी तरह से स्वदेशी निर्माण है, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस प्रणाली के जरिए, भारतीय सेना अपनी रक्षा क्षमता को और भी बेहतर बनाएगी और भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहेगी।