महाकुंभ में शाही स्नान और इसका महत्व: समझिए क्या-क्या हैं नियम, इस बार कब-कब शुभ मुहूर्त

हिन्दू ग्रंथों में शाही स्नान का महत्व

Mahakumbh Shahi Snan

Mahakumbh Shahi Snan (image Source: Times Of India)

भारत की संस्कृति में उत्सव को मिलजुलकर मनाने की एक खास जगह है, और महाकुंभ और कुंभ स्नान इस संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन की शुद्धि और आत्म निर्भरता के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में विशेष रूप से महाकुंभ के शाही स्नान के महत्व को महत्वपूर्ण रूप से रेखांकित किया गया है।

ऋग्वेद में वर्णित एक श्लोक के अनुसार, इंद्र ने वर्षा के माध्यम से नदियों को पुनः जल से भर दिया, ठीक वैसे ही जैसे कुंभ स्नान व्यक्ति के पापों को धोकर उसे शुद्ध करता है। कुंभ पर्व का उद्देश्य केवल बाहरी शुद्धता नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता और नूतनता की प्राप्ति भी है।

प्रयाग-कुंभ-रहस्य में इसे इस प्रकार समझाया गया है कि कुंभ पर्व के दौरान किए गए कर्म, जैसे दान और होम, व्यक्ति के जीवन से दोष और पाप को समाप्त करते हैं, जिससे वह नयापन और शांति महसूस करता है। महाभारत में भी इस पर्व को जीवन के पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का रास्ता बताया गया है।

अब हम जानेंगे महाकुंभ 2025 में शाही स्नान के सही समय और नियम, ताकि आप इस पवित्र अवसर को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मना सकें।

 

महाकुंभ में शाही स्नान के शुभ मुहुर्त

महाकुंभ एक ऐसा धार्मिक आयोजन है जो भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ें और आस्थाओं का प्रतीक है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, जीवन के पापों से मुक्ति और आशीर्वाद का अवसर भी है। महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का विशेष महत्व है, क्योंकि यह समय श्रद्धालुओं के लिए पवित्र नदियों में स्नान करने और अपने जीवन को शुद्ध करने का होता है।

2025 में महाकुंभ का पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन होगा। यह शुभ मुहुर्त 13 जनवरी को सुबह 5:03 बजे से शुरू होगी और 14 जनवरी को रात 3:56 बजे तक चलेगी। ब्रह्म मुहूर्त, जो शाही स्नान के लिए आदर्श समय माना जाता है, सुबह 5:27 से 6:21 बजे तक रहेगा।

इसके अलावा, कुछ और महत्वपूर्ण मुहूर्त भी होंगे:
– विजय मुहूर्त: दोपहर 2:15 से 2:57 बजे तक
– गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:42 से 6:09 बजे तक
– निशिता मुहूर्त: रात 12:03 से 12:57 बजे तक

महाकुंभ 2025 में शाही स्नान के लिए प्रमुख तिथियाँ इस प्रकार हैं:
– 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा)
– 14 जनवरी (मकर संक्रांति)
– 29 जनवरी (मोनी अमावस्या)
– 3 फरवरी (बसंत पंचमी)
– 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा)
– 26 फरवरी (महाशिवरात्रि)

इन तिथियों पर शाही स्नान करने का मौका श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव होगा, जो उन्हें मानसिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग दिखाएगा।

शाही स्न्नान के नियम

शाही स्नान एक बहुत ही पवित्र और सम्मानित परंपरा है, जिसमें कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है। पहले साधु-संत इस पवित्र जल में स्नान करते हैं, और उसके बाद आम श्रद्धालु स्नान करने का अवसर प्राप्त करते हैं। इस दौरान साबुन या शैंपू का इस्तेमाल करना मना है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इनका उपयोग संगम के पवित्र जल को अशुद्ध कर सकता है। स्नान के बाद दान करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जहां श्रद्धालु जरूरतमंदों को कपड़े, अन्न और अन्य चीजें दान करते हैं, जो पुण्य की प्राप्ति का एक तरीका माना जाता है।

महाकुंभ के दौरान, ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति विशेष रूप से पवित्र होती है, और इस कारण संगम का जल और भी अधिक शुद्ध माना जाता है। यही कारण है कि शाही स्नान को अत्यधिक शुभ और शांति देने वाला अवसर माना जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आस्था की गहरी जड़ों को भी सशक्त बनाती है, जो हमें हर कदम पर शुद्धता और सौम्यता की दिशा में मार्गदर्शन देती है।

Exit mobile version