महाकुंभ के साथ प्रदेशभर के धार्मिक स्थलों पर भी उमड़ा आस्था का महासागर, आस्था के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में भी मजबूती

सनातन आस्था का अभूतपूर्व जनसैलाब

संगम नगरी में महाकुंभ के साथ प्रदेशभर के धार्मिक स्थलों पर भी उमड़ा आस्था का महासागर

संगम नगरी में महाकुंभ के साथ प्रदेशभर के धार्मिक स्थलों पर भी उमड़ा आस्था का महासागर

संगम नगरी प्रयागराज इन दिनों 144 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आयोजित 45 दिवसीय महाकुंभ(MahaKumbh 2025) के ऐतिहासिक और अद्भुत पल का गवाह बन रही है। अब तक करीब 7 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर चुके हैं, जबकि महाकुंभ के पहले तीन दिनों में ही 3 करोड़ से अधिक भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई।

इस महापर्व ने केवल आध्यात्मिकता को नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की दिव्यता को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अखाड़ों की भव्य शोभायात्राएं, नागा साधुओं के “हर हर महादेव” के जयघोष, और देश विदेश से आए श्रद्धालुओं की भक्ति ने आयोजन की भव्यता में चार चांद लगा दिए हैं।

महाकुंभ के इस पावन अवसर का प्रभाव केवल संगम तक सीमित नहीं रहा। प्रयागराज के अन्य पवित्र स्थलों के साथ-साथ चित्रकूट, अयोध्या और प्रदेश के विभिन्न तीर्थस्थलों पर भी श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब देखने को मिला। बीते तीन दिनों में ही इन धार्मिक स्थलों पर 26 लाख से अधिक भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जो आस्था और परंपरा की गहराई को प्रदर्शित करता है।

तीन दिनों में 26 लाख से अधिक श्रद्धालु

तीन दिनों में 26 लाख से ज्यादा श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक स्थलों पर पहुंचे, जो आस्था और श्रद्धा की शक्ति का प्रतीक बन गए हैं। मकर संक्रांति स्नान के पवित्र अवसर पर, प्रयागराज के महाकुंभ(MahaKumbh 2025) के साथ-साथ श्रृंगवेरपुर, चित्रकूट, वाराणसी, मां विंध्यवासिनी धाम, नैमिषारण्य और अयोध्या जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इन स्थलों पर बीते तीन दिनों में लगभग 26 लाख भक्तों ने दर्शन और पूजा की।

भगवान राम की पवित्र नगरी अयोध्या में बीते तीन दिनों में ही आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला, जहां 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु रामलला और हनुमानगढ़ी के दर्शन के लिए उमड़े। इसी तरह, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों का सैलाब नजर आया, जहां 7.41 लाख से अधिक लोगों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य किया। मां विंध्यवासिनी धाम में भी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रही, जहां 5 लाख भक्त मां की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। नैमिषारण्य धाम में भी श्रद्धालुओं का आना जारी रहा, और अब तक एक लाख से ज्यादा भक्त वहां अपनी आस्था प्रकट कर चुके हैं।

मथुरा और वृंदावन भी महाकुंभ के श्रद्धालुओं से गुलजार हो गए हैं। यहां एक दर्जन से अधिक बसों के साथ-साथ ट्रेन और निजी वाहनों से भक्तों का आगमन जारी है। मथुरा और वृंदावन में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे हैं।

आस्था के साथ साथ मजबूत होती अर्थव्यवस्था भी

महाकुंभ मेला, जो दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक मिलन है, सिर्फ आध्यात्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 2024 के महाकुंभ से अनुमानित 4 लाख करोड़ रुपये का व्यापार भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया बल देगा। इस आयोजन से देश की जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है, और यह सरकारी राजस्व को भी एक नई ऊंचाई तक पहुंचाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, इस पवित्र आयोजन में 40 करोड़ से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों के शामिल होने की संभावना है। अगर हर व्यक्ति औसतन 5,000 से 10,000 रुपये खर्च करता है, तो कुल खर्च 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। महाकुंभ का यह प्रभाव न केवल भारत की धार्मिक पहचान को और मजबूत करेगा, बल्कि इसके आर्थिक लाभ से भी देश को एक मजबूत दिशा मिलेगी।

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