मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए इन दंगों के लिए माफी मांगी थी लेकिन इसका पीड़ितों के दर्द पर कितना असर हुआ होगा?...
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    RJD सुप्रीमो लालू यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

    आंबेडकर का अपमान बनेगा बिहार चुनाव का मुद्दा, पीएम मोदी के बयान के क्या हैं मायने?

    पाकिस्तान के डिप्टी PM का ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा कबूलनामा,  इशाक डार बोले- हमने US और सऊदी से मांगी थी मदद

    पाकिस्तान के डिप्टी PM का ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा कबूलनामा, इशाक डार बोले- हमने US और सऊदी से मांगी थी मदद

    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

    दयानिधि मारन का भाई कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    GDP

    क्रिसिल का अनुमान: FY26 में फिर घटेंगी ब्याज दरें, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर टिकी

    इस साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है

    RBI Repo Rate Cut: 50 बेसिस पॉइंट घटाया गया रेपो रेट, EMI में आएगा ये बदलाव

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    महिला सशक्तिकरण

    जम्मू में लड़कियों के लिए 15 दिवसीय आत्मरक्षा शिविर, घरेलू सामान से रक्षा की ट्रेनिंग पर ज़ोर

    ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट

    क्यों 4 दिनों से भारत में फंसा है ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट?

    Falcon 2000 जेट (Photo- Blade.com)

    भारत में पहली बार बनेंगे Falcon 2000 जेट: रिलायंस और Dassault की ऐतिहासिक साझेदारी

    Pakistan India Defence Budget

    पाकिस्तान ने 20% बढ़ाया रक्षा बजट लेकिन भारत की तुलना में कितना है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    Hindu temples in Iran

    मुस्लिम देश ईरान में हैं कई हिंदू मंदिर, जंग से जूझ रहे देश में जानें सनातन का स्थान

    Is America Enter in Israel Iran War

    क्या इजरायल-ईरान जंग में कूदने जा रहा है अमेरिका? डूम्सडे प्लेन की उड़ान और ORDER01 ने बढ़ाई चिंता

    ग्रेटर इज़रायल को दो नदियों के बीच का क्षेत्र माना गया है (चित्र: MEPEI)

    बाइबिल का वादा पूरा करने लिए युद्ध में उलझे हैं नेतन्याहू!, जानें क्या है ग्रेटर इज़रायल?

    Israel Iran War Benjamin Netanyahu And Ayatollah Ali Khamenei

    युद्ध के साये में जागी देशभक्ति: इजरायल के हमलों से कैसे मजबूत हुए ईरानियों के इरादे?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पुरी की रथ यात्रा ना केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि यह एक सांस्कृतिक यात्रा भी है

    हाथी रूप में दर्शन, मौसी के घर विश्राम और रसगुल्ला से मनुहार: पढ़ें पुरी रथ यात्रा की अनकही कहानियां

    हर एक ग्रह को 3 नक्षत्र का स्वामी माना गया है

    केवल ग्रह ही नहीं नक्षत्र भी बनते हैं कर्म, स्वभाव और भाग्य के कारक

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    संगीत सम्राट तानसेन के जीवन के अज्ञात पहलुओं को जानने का खजाना है राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर बढ़ा विवाद; थरूर बोले-'मतभेद पार्टी के भीतर ही उठाऊंगा'

    थरूर ने कांग्रेस से मतभेदों को स्वीकारा, गांधी परिवार से वैचारिक दूरी के दिए संकेत

    घड़े का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है: एक्सपर्ट

    गर्मियों में ‘अमृत’ के समान है घड़े का पानी; मिलते हैं ये फायदे

    अमेरिका में iPhone बनाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है

    अमेरिका में बनने लगे iPhone तो क्या हो सकती है कीमत?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    RJD सुप्रीमो लालू यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

    आंबेडकर का अपमान बनेगा बिहार चुनाव का मुद्दा, पीएम मोदी के बयान के क्या हैं मायने?

    पाकिस्तान के डिप्टी PM का ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा कबूलनामा,  इशाक डार बोले- हमने US और सऊदी से मांगी थी मदद

    पाकिस्तान के डिप्टी PM का ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा कबूलनामा, इशाक डार बोले- हमने US और सऊदी से मांगी थी मदद

    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

    दयानिधि मारन का भाई कलानिधि पर ₹8,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    GDP

    क्रिसिल का अनुमान: FY26 में फिर घटेंगी ब्याज दरें, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर टिकी

    इस साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है

    RBI Repo Rate Cut: 50 बेसिस पॉइंट घटाया गया रेपो रेट, EMI में आएगा ये बदलाव

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    महिला सशक्तिकरण

    जम्मू में लड़कियों के लिए 15 दिवसीय आत्मरक्षा शिविर, घरेलू सामान से रक्षा की ट्रेनिंग पर ज़ोर

    ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट

    क्यों 4 दिनों से भारत में फंसा है ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट?

    Falcon 2000 जेट (Photo- Blade.com)

    भारत में पहली बार बनेंगे Falcon 2000 जेट: रिलायंस और Dassault की ऐतिहासिक साझेदारी

    Pakistan India Defence Budget

    पाकिस्तान ने 20% बढ़ाया रक्षा बजट लेकिन भारत की तुलना में कितना है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    Hindu temples in Iran

    मुस्लिम देश ईरान में हैं कई हिंदू मंदिर, जंग से जूझ रहे देश में जानें सनातन का स्थान

    Is America Enter in Israel Iran War

    क्या इजरायल-ईरान जंग में कूदने जा रहा है अमेरिका? डूम्सडे प्लेन की उड़ान और ORDER01 ने बढ़ाई चिंता

    ग्रेटर इज़रायल को दो नदियों के बीच का क्षेत्र माना गया है (चित्र: MEPEI)

    बाइबिल का वादा पूरा करने लिए युद्ध में उलझे हैं नेतन्याहू!, जानें क्या है ग्रेटर इज़रायल?

    Israel Iran War Benjamin Netanyahu And Ayatollah Ali Khamenei

    युद्ध के साये में जागी देशभक्ति: इजरायल के हमलों से कैसे मजबूत हुए ईरानियों के इरादे?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पुरी की रथ यात्रा ना केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि यह एक सांस्कृतिक यात्रा भी है

    हाथी रूप में दर्शन, मौसी के घर विश्राम और रसगुल्ला से मनुहार: पढ़ें पुरी रथ यात्रा की अनकही कहानियां

    हर एक ग्रह को 3 नक्षत्र का स्वामी माना गया है

    केवल ग्रह ही नहीं नक्षत्र भी बनते हैं कर्म, स्वभाव और भाग्य के कारक

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    संगीत सम्राट तानसेन के जीवन के अज्ञात पहलुओं को जानने का खजाना है राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर बढ़ा विवाद; थरूर बोले-'मतभेद पार्टी के भीतर ही उठाऊंगा'

    थरूर ने कांग्रेस से मतभेदों को स्वीकारा, गांधी परिवार से वैचारिक दूरी के दिए संकेत

    घड़े का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है: एक्सपर्ट

    गर्मियों में ‘अमृत’ के समान है घड़े का पानी; मिलते हैं ये फायदे

    अमेरिका में iPhone बनाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है

    अमेरिका में बनने लगे iPhone तो क्या हो सकती है कीमत?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

‘बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है’: जब राजीव गांधी ने सिखों के जख्मों पर छिड़का नमक; मनमोहन सिंह को मांगनी पड़ी माफी

मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए इन दंगों के लिए माफी मांगी थी लेकिन इसका पीड़ितों के दर्द पर कितना असर हुआ होगा?

Shiv Chaudhary द्वारा Shiv Chaudhary
14 February 2025
in इतिहास
‘बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है’: जब राजीव गांधी ने सिखों के जख्मों पर छिड़का नमक; मनमोहन सिंह को मांगनी पड़ी माफी
Share on FacebookShare on X

1984 का सिख नरसंहार भारतीय इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक हैं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भीड़ ने हज़ारों बेगुनाह सिखों की हत्या कर दी, उनके घरों और दुकानों में आग लगा दी और हज़ारों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा है। कहीं लोगों के गले में टायर डालकर आग लगा दी गई तो कहीं महिलाओं का रेप किया गया। नरसंहार की भयावहता की कहानी आप दंगों से जुड़ी हमारी पिछली रिपोर्ट में यहां पढ़ सकते हैं।

इस नरसंहार में सिर्फ लोगों ने दम नहीं तोड़ा बल्कि मानवता और इंसानियत भी दम तोड़ रही थी। भयानक त्रासदी के बीच जब लोग न्याय की आस में सरकार की ओर देख रहे थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनके जख्मों पर मरहम करने के बजाय अपने शब्दों से नमक छिड़कने का काम किया था। सरकार ने इन दंगों की जांच के लिए कई आयोग और समितियां बनाईं लेकिन अधिकतर जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में ही चली गई हैं। हालांकि, मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए इस नरसंहार के लिए माफी मांगी थी लेकिन इसका पीड़ितों के दर्द पर कितना असर हुआ ये तो वो ही बेहतर बात पाएंगे।

संबंधितपोस्ट

देश में संकट, मां सोनिया बीमार फिर राहुल गांधी कहां ‘फरार’?

नेहरू से राहुल तक सरेंडर की विरासत, और आज कांग्रेस अलाप रही ‘Narendra Surrender’! जानें कैसा रहा है कांग्रेस का इतिहास

RSS के मंच पर आएंगे इंदिरा सरकार में मंत्री रहे आदिवासी नेता अरविंद नेताम, क्या हैं मायने?

और लोड करें

‘बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है’

एक और जहां लोग दंगों की पीड़ा से जूझ रहे थे तो दूसरी ओर इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी और उनके पुत्र राजीव गांधी के एक बयान ने सनसनी मचा दी थी। 19 नवंबर 1984 को बोट क्लब में इकट्ठा हुए लोगों के हुजूम के सामने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था, “जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी़, तो हमारे देश में कुछ दंगे-फसाद हुए थे। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना गुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है, जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।” जिस समय हज़ारों सिखों की हत्या हो गई थी और हज़ारों परिवार बेघर थे ऐसे में राजीव गांधी के इस बयान की खूब आलोचना हुई और इसे जख्मों पर नमक छिड़कने जैसे बताया गया था।

जांच के लिए बने कई आयोग और समितियां

रंगनाथन मिश्रा आयोग, 1985

प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस नरसंहार की जांच के लिए 1985 में सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग नियुक्त किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह हिंसा इंदिरा गांधी के हत्यारों के लिए गहरे दुख, पीड़ा और घृणा की भावना से पैदा हुई एक प्रतिक्रिया थी। रिपोर्ट में हिंसा का ठीकरा पुलिस पर फोड़ा गया और बताता गया कि पुलिस के उच्च अधिकारी शहर की स्थिति का उचित आकलन करने में सफल नहीं रहे। इस रिपोर्ट में बताया, “कांग्रेस पार्टी या उसके नेताओं ने दंगों में भाग नहीं लिया था, हालांकि कांग्रेस पार्टी से संबंधित कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थों के लिए दंगों में भाग लिया था।”

कपूर-मित्तल समिति, 1987

राजीव गांधी द्वारा बनाए गए मिश्रा आयोग की रिपोर्ट के बाद दिल्ली के प्रशासन ने 1987 में तीन समितियों का गठन किया। इनमें कपूर-मित्तल समिति शामिल थी और इसे दिल्ली पुलिस अधिकारियों के आचरण और लापरवाही की जांच करने के लिए बनाया गया था। इस समिति में हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप के. कपूर और भारत सरकार की पूर्व सचिव कुसुम लता मित्तल शामिल थीं।

हालांकि, दोनों सदस्यों के बीच मतभेद के चलते यह समिति ठीक से काम नहीं कर पाई थी। मित्तल ने 28 फरवरी 1990 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जबकि न्यायमूर्ति कपूर ने अगले दिन अपनी अलग रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। गृह मंत्रालय ने कपूर की रिपोर्ट को समाजशास्त्रीय विश्लेषण मानते हुए इसे स्वीकार नहीं किया और मित्तल की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इसमें 72 पुलिस अधिकारियों को नरसंहार को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया गया था।

जैन-रेनिशन समिति, 1987

दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमएल जैन के नेतृत्व वाली इस समिति में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ई. एन. रेनिशन शामिल थे और इसे नरसंहार के दौरान हुए गंभीर अपराधों की जांच करनी थी। साथ ही, इस समिति को अभियोजन एजेंसी को दिशा-निर्देश भी देने थे। हालांकि, रेनिशन ने इस समिति से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद उनकी जगह रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ए.के. बनर्जी को शामिल किया गया। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक अंतरिम स्थगन आदेश के कारण जैन-बनर्जी समिति कोई विशेष प्रगति नहीं कर सकी थी।

आहूजा समिति, 1987

गृह मंत्रालय में सचिव आर.के. आहूजा को निर्देश दिया गया कि वे दिल्ली में हुए नरसंहार के दौरान मारे गए सिखों की कुल संख्या का पता लगाने के लिए जांच करें और उनके परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि और अन्य राहत के संबंध में उचित सिफारिशें करें। आहूजा समिति ने विस्तृत जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि दिल्ली में 2,733 मौतें हुई थीं। समिति ने 1 जून 1988 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी और इसमें राहत और उसके वितरण की प्रक्रिया पर सिफारिशें दी गई थीं।

पोती-रोशा समिति, जैन-अग्रवाल समिति, 1990

दिल्ली हाईकोर्ट ने जैन-बनर्जी समिति को दिल्ली पुलिस अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के विपरीत मानते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद दिल्ली प्रशासन ने 23 मार्च 1990 को नई समिति गठित की जिसमें गुजरात हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश पी. सुब्रमण्यम पोती और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी पी.ए. रोशा शामिल थे।

एक बार फिर इस समिति का पुनर्गठन किया गया और इसमें नई पुनर्गठित समिति में दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जे.डी. जैन और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी डी.के. अग्रवाल को शामिल किया गया। इस समिति ने मिश्रा आयोग के समक्ष दायर 669 हलफनामों की समीक्षा की और 415 नए हलफनामे प्राप्त किए। साथ ही, इस समिति ने दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गईं 403 एफआईआर की भी जांच की थी।

इस समिति ने अपनी जांच में कई गंभीर खामियों को उजागर किया था। समिति ने पाया कि पुलिस ने प्रत्येक घटना के लिए अलग-अलग एफआईआर दर्ज नहीं की थी और ना ही किसी मामले की स्वतंत्र रूप से जांच की गई। साथ ही, मुकदमे के दौरान घटना-विशेष साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किए गए, जिससे अधिकतर मामलों में आरोपी बरी हो गए। समिति ने माना कि अधिकतर मामलों में पुलिस की जांच लापरवाही भरी, सतही और त्रुटिपूर्ण थी। शिकायतकर्ताओं के बयान संक्षिप्त और अधूरे दर्ज किए गए और गवाहों को ढूंढने या साक्ष्य जुटाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।

समिति ने पुलिस पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाते हुए दावा किया कि पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने, हथियारों को बरामद करने या लूट का सामान वापस लाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने (पुलिस) अपराधियों को लूटी गई संपत्ति को चुपचाप सड़क किनारे फेंकने के लिए कह दिया था। समिति ने निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की और पाया कि कुछ उपायुक्त (DCP) और सहायक आयुक्त (ACP) पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट गए थे।

नानावटी आयोग, 2000

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जी.टी. नानावटी की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया। इस आयोग का उद्देश्य मुख्य रूप से आपराधिक हिंसा और दंगों के कारणों और घटनाक्रम की जांच करना था। इस आयोग ने 9 फरवरी 2005 को प्रस्तुत रिपोर्ट की और कई कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को दंगों में शामिल होने का दोषी ठहराया था। आयोग ने केंद्र सरकार को सिफारिश की कि सभी पीड़ितों को जल्द से जल्द समान रूप से मुआवजा दिया जाए और उन परिवारों के एक सदस्य को नौकरी देने पर विचार किया जाए।

प्रमोद अस्थाना एसआईटी, 2015

नरेंद्र मोदी सरकार ने इन दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों को 5 लाख रुपये की अतिरिक्त मदद देने की मंजूरी दी और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जी.पी. माथुर को यह जांचने का कार्य सौंपा कि क्या 1984 के मामलों की दोबारा जांच के लिए SIT का गठन किया जा सकता है। जस्टिस माथुर की सिफारिश पर फरवरी 2015 में 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोद अस्थाना के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया। इस टीम में रिटायर्ड जज राकेश कपूर और दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त कुमार ज्ञानेश भी शामिल थे।

नवंबर 2016 में दाखिल एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने बताया कि 1984 दंगों से जुड़े कुल 650 मामलों में से 18 मामले रद्द कर दिए गए थे जबकि 268 मामलों को ट्रेस नहीं किया जा सकता था। वहीं, एसआईटी 286 मामलों की दोबारा जांच कर रही थी। मार्च 2017 में इस एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 199 मामलों को बंद कर दिया है और अगस्त में सरकार ने कहा कि 42 और मामले बंद कर दिए गए हैं। यह एसआईटी केवल 12 मामलों में ही आरोपपत्र दाखिल कर पाई थी।

जस्टिस ढींगरा समिति, 2018

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इन दंगों के 186 मामलों की जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एस.एन. ढींगरा की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। इसमें पूर्व आईएएस अधिकारी राजदीप सिंह और आईपीएस अधिकारी अभिषेक दुल्लर शामिल थे। हालांकि, राजदीप सिंह ने खुद को इस एसआईटी से अलग कर लिया था और बाकी दोनों ने ही इसकी जांच की थी। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि कई मामलों के रिकॉर्ड की जांच नहीं की जा सकी क्योंकि उन्हें नष्ट कर दिया गया था। इस रिपोर्ट में पुलिस और अन्य अधिकारियों की भूमिका की कड़ी आलोचना की गई थी।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पुलिस अधिकारियों ने जांच के दौरान बेहद सुस्त और लापरवाही भरा रवैया अपनाया था जिसके कारण बड़ी संख्या में अपराधियों को सजा नहीं मिल पाई। साथ ही, दंगा पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया था और पुलिस ने कुछ व्यक्तियों को बचाने के लिए जानबूझकर मामलों को बंद कर दिया था। रिपोर्ट में कहा गया कि अदालतों ने कई मामलों में कानून सम्मत प्रक्रिया का पालन नहीं किया और अभियोजन पक्ष व न्यायाधीशों ने पक्षपातपूर्ण तरीके से सुनवाई की थी।

मनमोहन सिंह ने मांगी माफी, सोनिया ने भी जताया दुख

इस घटना को लेकर कांग्रेस के नेताओं पर लगातार आरोप लगते रहे हैं और इससे सिख समाज के बीच कांग्रेस की साख को भी बट्टा लग रहा था। राजीव गांधी के बयान के बाद सिखों की भावनाएं आहत थीं। इन सबके बीच कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जनवरी 1998 में इन दंगों को लेकर ‘खेद’ व्यक्त किया था। सोनिया ने कहा था कि सिखों के दर्द को समझ सकती हैं क्योंकि उन्होंने खुद इसका अनुभव किया है उन्होंने भी हिंसक घटनाओं में अपने पति राजीव और सास इंदिरा गांधी को खो दिया था। उन्होंने कहा था कि कोई भी शब्द दर्द पर मरहम नहीं लगा सकते हैं।

अगस्त 2005 में देश के इकलौते सिख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दंगों के लिए संसद में देश से माफी मांगी थी। उन्होंने राज्य सभा में कहा था, “मुझे ना केवल सिख समुदाय से बल्कि पूरे देश से माफी मांगने में कोई झिझक नहीं है। मैं शर्म से अपना सिर झुकाता हूं कि ऐसी घटना घटी थी।” उन्होंने आगे कहा था, “1984 में जो कुछ हुआ वह हमारे संविधान में निहित राष्ट्रवाद की अवधारणा का खंडन है।”

2019 में मनमोहन सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल की 100वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, “1984 की दुखद घटना की शाम को गुजराल जी तत्कालीन गृह मंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के पास गए और उनसे कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि सरकार को जल्द से जल्द सेना बुलानी चाहिए। अगर उस सलाह पर ध्यान दिया जाता, तो शायद 1984 में हुआ नरसंहार टाला जा सकता था।”

कई सिखों को अभी न्याय का इंतजार है, दशकों बाद भी केस खत्म नहीं हुए हैं और पीड़ितों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा। दशकों बाद भी कई पीड़ित इंसाफ की आस में अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। सरकारें बदलीं, आयोग बने, रिपोर्टें आईं लेकिन सिख समुदाय को अपने दर्द का सही जवाब नहीं मिला है। मनमोहन सिंह ने माफी मांग ली लेकिन क्या सिर्फ माफी से घाव भर सकते हैं? सिख विरोधी दंगे सिर्फ एक भयावह त्रासदी नहीं हैं बल्कि ये दंगे न्याय की उस अधूरी लड़ाई का प्रतीक हैं, जो आज भी जारी है।

स्रोत: 1984 सिख नरसंहार, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, नानावटी आयोग, 1984 Sikh massacre, Rajiv Gandhi, Indira Gandhi, Manmohan Singh, Sonia Gandhi, Nanavati Commission
Tags: 1984 Sikh massacre1984 सिख नरसंहारIndira GandhiManmohan SinghNanavati CommissionRajiv Gandhisonia gandhiइंदिरा गाँधीनानावटी आयोगमनमोहन सिंहराजीव गांधीसोनिया गाँधी
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘इंटेलिजेंस फाइलों’ को सार्वजनिक करने की मांग फिर हुई तेज़

अगली पोस्ट

केजरीवाल के ‘शीशमहल’ को किया जाएगा ध्वस्त ! BJP की शिकायत के बाद एक्शन मोड में CVC, विस्तृत जांच के आदेश

संबंधित पोस्ट

कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा
इतिहास

कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

14 June 2025

एक समय था जब ईरान अग्नि और सूर्य उपासकों की भूमि था तब इसे फारस के नाम से जाना जाता था। यहां जरथुस्त्र धर्म (Zoroastrianism)...

राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’
इतिहास

संगीत सम्राट तानसेन के जीवन के अज्ञात पहलुओं को जानने का खजाना है राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

13 June 2025

  पुस्तक का नाम: तानसेन का ताना-बाना लेखक: राकेश शुक्ला प्रकाशक: सुरुचि प्रकाशन दिल्ली पृष्ठ: 115 एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि इतिहास लेखन और...

बिरसा मुंडा
इतिहास

‘मैं देह नहीं…जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूँ’: जानिए कैसे पादरी के बेटे ने हिला दी थी ब्रिटिश हुकूमत की नींव – बिरसा मुंडा पुण्यतिथि पर विशेष

9 June 2025

भारत के इतिहास में कुछ नाम केवल स्मृति नहीं, चेतना बन जाते हैं। बिरसा मुंडा उन्हीं में से एक हैं एक ऐसा नाम जिसने जंगलों...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

when the God leaves the temple to be with his devotees.

when the God leaves the temple to be with his devotees.

00:05:31

R.P. Singh Exposes AAP: Following Indira's Model of Separatist Appeasement?

00:11:04

kamakhya Devi and the Power of Menstruation: Ambubachi Mela Explained.

00:04:47

From love to murder- how five plots took down raja raghuvanshi

00:04:38

Marriage gone murderous: expert explains the gruesome murder case.

00:13:01
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited