‘राजस्थान में धर्म परिवर्तन कराने वालों की खैर नहीं’: धर्मांतरण-लव जिहाद किया तो होगी 10 साल की सजा, भजनलाल सरकार ने पेश किया बिल

धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने वाला 11वां राज्य होगा राजस्थान

धर्मांतरण कानून राजस्थान

राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने धर्मांतरण और लव जिहाद के बढ़ते मामलों को रोकने के विधानसभा में बिल पेश किया है। इसमें कई कड़े प्रावधान किए गए हैं। जबरन धर्मांतरण कराने पर 3 से 10 साल की तक सजा का तथा 5 लाख रुपए तक प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा अपनी मर्जी से धर्मांतरण करने के लिए 60 दिन पहले कलेक्टर को सूचित करना होगा।

राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने विधानसभा में यह बिल पेश किया। ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेद विधेयक 2025’ में जबरन धर्मांतरण, लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने और लव जिहाद जैसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया है। सरकार का कहना है कि प्रदेश में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके चलते यह कानून आवश्यक हो गया था।

इस बिल को बजट सत्र में पास कराया जाएगा। हालांकि सरकार ने इसकी कोई भी तारीख नहीं बताई है। इस बिल में कहा गया है कि यदि अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करना है तो भी कलेक्टर को सूचना देनी होगी। मर्जी से धर्म बदलने पर 60 दिन पहले कलेक्टर को सूचना देकर धर्म परिवर्तन किया जा सकता है। इसका उल्लंघन करने पर 3 साल तक की सजा और कम से कम 10000 रुपए का जुर्माना देना होगा।

इस बिल में लव जिहाद के खिलाफ भी प्रावधान किया है। बिल में कहा गया है कि यदि कोई धर्म परिवर्तन कराकर या कराने के लिए शादी करता है तो वह लव जिहाद माना जाएगा। अगर यह साबित होता है कि शादी का मकसद लव जिहाद है तो ऐसी शादी को रद्द करने का प्रावधान होगा। फैमिली कोर्ट ऐसी किसी भी शादी को रद्द कर सकती है।

कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में कहा गया है कि कानून का उल्लंघन करने वालों को 1 से 5 साल की जेल की सजा हो सकती है और न्यूनतम 15000 रुपए का जुर्माना हो सकता है। नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) से संबंधित व्यक्ति के धर्म परिवर्तन के मामले में, सजा 2-10 साल होगी और 25000 रुपए तक का जुर्माना होगा। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में सजा 3 से 10 साल तक की सजा और न्यूनतम 50000 रुपए तक का जुर्माना होगा।

10 राज्यों में लागू है धर्मांतरण विरोधी कानून

ओडिशा

देश में धर्मांतरण पर सबसे पहले कानून ओडिशा में बनाया गया था। यहां धर्मांतरण विरोधी कानून साल 1967 में लागू किया गया था। इस कानून के तहत जबरन या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने पर एक साल तक की जेल के साथ ही 5000 रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान है। यही नहीं, ओडिशा में एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर 2 साल की सजा के साथ ही 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने वाला देश का दूसरा राज्य था। यहां साल 1968 में लागू किए गए कानून में ओडिशा के जैसा ही कानून था। इसमें, जबरन धर्मांतरण कराने पर एक साल तक की जेल के साथ ही 5000 रुपए तक का जुर्माना तय किया गया था। इसके साथ ही एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर 2 साल की सजा के साथ ही 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया था।

हालांकि इसके बाद साल 2020 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 को विधानसभा में पारित कर इस कानून को नए तरीके से लागू किया था। इस विधेयक में शादी या फिर धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण भी अपराध माना गया था। इसके लिए सजा को 2 साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल करते हुए जुर्माना एक लाख रुपए तक बढ़ा दिया गया था।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश में ईसाई मिशनरियों के तेजी से सक्रिय होने के बाद साल 1978 में धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया गया था। इस कानून के अंतर्गत जबरन धर्मांतरण पर दो साल की सजा के साथ 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

गुजरात

साल 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में धर्मांतरण विरोधी कानून बना था। कानून बनाने के साथ ही गुजरात ऐसा पहला राज्य था, जहां धर्म परिवर्तन को कानूनी मान्यता देने के लिए जिला प्रशासन की मंजूरी आवश्यक थी। इसके बाद साल 2021 में इस कानून में संशोधन कर इसे गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2021 नाम दिया गया था। इस नए कानून के तहत किसी दूसरे धर्म की लड़की को बहला-फुसलाकर या धोखा व लालच देकर शादी करने के बाद उसका धर्म परिवर्तन करवाने पर 5 साल की कैद के साथ ही 2 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, यदि पीड़ित लड़की नाबालिग हो तो दोषी को 7 साल की सजा के साथ ही 3 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़

मध्य प्रदेश से अलग होकर साल 2000 में छत्तीसगढ़ नया राज्य बना था। लेकिन इसके बाद भी छत्तीसगढ़ ने मध्यप्रदेश में बने धर्मांतरण कानून को अपनाए रखा था। हालांकि फिर साल 2006 में इसे संशोधित कर धर्मांतरण से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में साल 2006 में धर्मांतरण विरोधी कानून बना था। इसके बाद साल 2019 में इसमें संसोधन कर जबरदस्ती, लालच या किसी अन्य तरीके से या फिर शादी के बाद धर्मांतरण के लिए मजबूर करने पर सजा का प्रावधान किया गया था। हालांकि इसमें साल 2022 में एक बार फिर संसोधन कर 10 साल की सजा और 2 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया।

झारखंड

झारखंड में ईसाई मिशनरियां जनजातियों को तेजी से धर्मांतरण का शिकार बना रही थीं। इसके चलते, साल 2017 में झारखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया था। इसमें, धर्मांतरण के दोषी को 3 साल तक की जेल या 50 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान किया गया था। इसके साथ ही, नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति को धर्मांतरण का शिकार बनाने पर 4 साल की कैद और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

उत्तराखंड

धर्मांतरण के खिलाफ उत्तराखंड में साल 2018 में कानून बनाया गया था। इसके बाद साल 2022 में इसमें संशोधन कर कानून को और सख्त किया गया था। इसमें जबरन धर्मांतरण कराने के दोषी को 10 साल की कैद के साथ ही 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। यही नहीं, धर्मांतरण कराने का दोषी पाए जाने पर, दोषी को पीड़ित व्यक्ति को पांच लाख रुपए तक का मुआवजा भी देना होगा।

हरियाणा

साल 2022 मे लागू हुए कानून के तहत हरियाणा में जबरन धर्मांतरण पर 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। शादी के लिए धर्म छुपाने पर 10 साल तक की सजा और कम से कम 3 लाख के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। सामूहिक रूप से जबरन धर्मांतरण कराने पर 10 साल की सजा और कम से कम 4 लाख का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा, एक से ज्यादा बार जबरन धर्मांतरण कराने का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश

साल 2020 में उत्तर प्रदेश में, ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून’ लागू किया गया था। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था। इसके बाद साल 2021 में कानून संशोधन कर जबरन धर्मांतरण के दोषी व्यक्ति को 5 साल तक की कैद के साथ ही 15,000 रुपये का जुर्माना देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि जुलाई 2024 में एक और संशोधन विधेयक पेश कर न्यूनतम कारावास की अवधि बढ़ाकर 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष कर दी गई है। इसके अलावा, जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 50000 रुपए कर दिया गया है।

साथ ही, यदि नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्ति के जबरन धर्मांतरण का दोषी पाया जाता है, 5 से लेकर 14 साल तक की सजा का प्रावधान है। यही नहीं, इसमें न्यूनतम जुर्माना भी 25000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा, सामूहिक धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर 14 साल तक की सजा के साथ ही 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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