आज जब पूरा भारत बसंत पंचमी और सरस्वती पूजन के पावन पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मना रहा है, संगम तट पर महाकुंभ के अंतिम शाही स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़े हैं। इस भव्य आयोजन के बीच, सोशल मीडिया पर एक तीन साल पुरानी तस्वीर फिर से चर्चा में आ गई है। यह तस्वीर माता सरस्वती की भव्य प्रतिमा की है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देश इंडोनेशिया(Indonesia) ने अमेरिका(USA) को उपहार में दिया था।
दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देशों में से एक इंडोनेशिया ने जब यह ऐतिहासिक पहल की, तो पाकिस्तान और भारत में बैठे वामी-काौमी गैंग के पेट में दर्द शुरू हो गया। इसकी सबसे बड़ी वजह थी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका डीएनए भारतीय है। यह सुनते ही पाकिस्तान और उसके हमदर्दों को मिर्ची लग गई। और सिर्फ पाकिस्तान(Pakistan) ही क्यों? भारत में भी वामी-काौमी गैंग के चेहरे उतर गए। ये वही लोग हैं, जो हर बार राम मंदिर, जय श्री राम और हिंदू परंपराओं को राजनीति से जोड़कर इन्हें बदनाम करने की साजिशें रचते हैं। महाकुंभ(Mahakumbh) जैसे पवित्र आयोजनों पर अफवाहें फैलाना, हिंदू त्योहारों पर झूठा प्रोपेगेंडा चलाना और सनातन संस्कृति को कट्टरता का नाम देना इनकी आदत बन चुकी है।
ऐसे में सवाल यहाँ उठता है कि जब एक इस्लामिक देश इंडोनेशिया तक हिंदू परंपराओं का सम्मान कर सकता है, तो भारत में बैठे ये वामी-काौमी तत्व क्यों इसे नीचा दिखाने में लगे रहते हैं? आखिर इनका असली एजेंडा क्या है?
Indonesia ने U.S. को भेंट की थी सरस्वती प्रतिमा
तीन साल पहले, इंडोनेशिया, जो दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, ने अमेरिका को एक 16 फीट ऊंची सरस्वती की प्रतिमा उपहार में दी थी। इस भव्य प्रतिमा में ज्ञान की देवी मां सरस्वती कमल के फूल पर स्थापित है और भारतीय दूतावास से एक ब्लॉक की दूरी पर, महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने रखी गई है। इंडोनेशिया के दूतावास ने इस प्रतिमा की स्थापना को एक सांस्कृतिक कदम बताते हुए कहा, “देवी सरस्वती शिक्षा और ज्ञान की प्रतीक हैं, और यह प्रतिमा केवल धार्मिक कारणों से नहीं बल्कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए दी गई है।”
यही नहीं इसके साथ ही 26 जनवरी 2025 को इंडोनेशिया ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए अपनी संस्कृति और परंपराओं को महत्व दिया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने अपने डीएनए को भारतीय बताया। हालांकि उनका यह बयान न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि भारत के वामी-काौमी गैंग के लिए भी खटकने वाला था, क्योंकि ये वही लोग हैं जो जय श्री राम जैसे नारों को हिंसा से जोड़ने की कोशिश करते हैं और महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों में भी भ्रामक ख़बरें फैलीं की कोशिश करते हैं.
अब सवाल यह है कि जब एक इस्लामिक देश अपनी संस्कृति का सम्मान कर सकता है, तो हमारे देश की वामी कौमी गैंग क्यों नहीं कर सकती? यह वही लोग हैं जो हिंदू संस्कृति पर उंगली उठाते हैं और सनातन परंपराओं पर कुठाराघात करते आये हैं।