आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा संचालित वेंकटेश्वर मंदिर में मिलने वाले लड्डू में फिश ऑयल, बीफ और चर्बी के इस्तेमाल को लेकर हुए विवाद के बाद अब TTD ने एक और बड़ा फैसला लिया है। TTD ने अपने मंदिरों व अन्य संस्थाओं में काम करने वाले 18 कर्मचारियों को गैर-हिंदू गतिविधियों को लेकर हटाने की तैयारी पूरी कर ली है। ट्रस्ट ने इन 18 कर्मचारियों के सामने किसी दूसरे सरकारी विभाग में ट्रांसफर लेने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने की शर्त रखी है।
TTD का कहना है कि यह कार्रवाई ट्रस्ट के अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देश पर की गई है। बकौल TTD, ये सभी कर्मी TTD में काम करने के बावजूद गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं का पालन कर रहे थे और अब इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। TTD अध्यक्ष नायडू ने इससे पहले कहा था कि केवल हिंदू कर्मचारियों को TTD मंदिरों और उसके संबद्ध विभागों में काम करने की अनुमति दी जाएगी।
#TTD BOARD TO TAKE ACTION AGAINST NON-HINDU STAFF WORKING IN TIRUMALA.
18 NON-HINDUS REPORTEDLY IN VIOLATION, PARTICIPATING IN NON-HINDU RELIGIOUS ACTIVITIES
BANS THEM FROM WORKING IN TIRUMALA & #Tirumala RELATED INSTITUTIONS, GIVING OPTION FOR VRS / TRANSFER @BollineniRNaidu pic.twitter.com/dtAtDqbQlq
— Apoorva Jayachandran (@Jay_Apoorva18) February 5, 2025
TTD ट्रस्ट ने क्या कहा?
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि ट्रस्ट के कर्मचारी सदियों से चली आ रही परंपराओं को कायम रखते हुए मंदिर की पवित्रता और भक्तों की मान्यताओं को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। TTD ने कहा, “गैर-हिंदू धार्मिक मान्यताओं का अभ्यास कर रहे थे, हालांकि उन्होंने भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी वरु की मूर्ति के सामने हिंदू धर्म और हिंदू परंपराओं का पालन करने और गैर-हिंदू धार्मिक मान्यताओं का पालन ना करने की शपथ ली थी। इसके चलते इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने और अभ्यास करने से तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच रही है।”
वही, नायडू ने कहा कि उन्होंने 4 फरवरी को बोर्ड की एक मीटिंग में इससे जुड़ा एक प्रस्ताव पेश किया था और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था। साथ ही, तिरुमाला में राजनीतिक बयान देने पर रोक लगाने वाला एक प्रस्ताव भी बोर्ड की बैठक के दौरान पारित किया गया है। जिसके बाद TTD नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ-साथ राजनीतिक दलों का प्रचार करने वाले लोगों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसे फैसले का क्या रहा आधार?
असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?
AIMIM के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से वक्फ बिल को लेकर सवाल पूछे हैं। ओवैसी ने ‘X’ पर एक पोस्ट में लिखा, “तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने 18 ऐसे कर्मचारियों की पहचान की है जो हिंदू परंपराओं का पालन नहीं करते या गैर-हिंदू हैं। टीटीडी का तर्क है कि चूंकि यह एक हिंदू संस्था है, इसलिए गैर-हिंदुओं को इसमें काम नहीं करना चाहिए। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है।”
उन्होंने नायडू को टैग करने हुए लिखा, “नायडू को बताना चाहिए कि उनकी पार्टी ने संयुक्त कार्यसमिति में भाजपा के वक्फ विधेयक का समर्थन क्यों किया। विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिमों का होना अनिवार्य किया गया है। विधेयक में यह अनिवार्यता भी हटा दी गई है कि परिषद और बोर्ड में मुसलमानों का बहुमत होना चाहिए।” ओवैसी का कहना है कि अगर हिंदू बंदोबस्त पर केवल हिंदुओं का ही शासन होना चाहिए और वहां केवल हिंदू ही कर्मचारी होने चाहिए तो, मुस्लिम वक्फ के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है।