वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब शनिवार (1 फरवरी) को बजट पेश किया तो उनका सबसे ज़्यादा ध्यान देश के मिडिल क्लास लोगों पर था। सीतारमण ने कई बड़ी घोषणाएं की लेकिन इस बजट का सबसे बड़ा मुद्दा इनकम टैक्स में राहत ही रहा है। सरकार ने 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया है और वेतनभोगियों के लिए तो यह सीमा 12 लाख 75 हज़ार रुपए पहुंच गई है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनावी सरगर्मियों के बीच 22 जनवरी को ‘मिडिल क्लास’ के लिए पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया था। इस दौरान केजरीवाल ने मिडिल क्लास को ‘टैक्स टेररिज़्म’ का शिकार बताया था। मिडिल क्लास को लेकर तमाम तरह के सवाल उठाने वाले केजरीवाल की इस बजट के बाद टेंशन ज़रूर तो बढ़ गई होगी।
दिल्ली में मतदान में जब 4 ही दिन बाकी हैं तो ऐसे में मिडिल क्लास के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई यह राहत बीजेपी के लिए चुनावी फायदे का सौदा हो सकती है। दिल्ली में रहने वाले मतदाताओं में बड़ी संख्या में मिडिल क्लास के हैं और उनमें भी बड़ी संख्या में मिडिल क्लास के सरकारी कर्मचारी हैं। केजरीवाल कई बार मिडिल क्लास के समर्थन में टैक्स के मुद्दे को उठा चुका हैं उन्होंने टैक्स की छूट की सीमा को 7 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए करने की मांग की थी। शायद उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी और वे मिडिल क्लास को अपने पक्ष में लाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे थे। लेकिन बजट में केंद्र सरकार ने इससे भी दो कदम आगे बढ़कर इस सीमा को 12 लाख रुपए तक कर दिया है।
भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दों पर दिल्ली में विरोध का सामने कर रहे केजरीवाल को इसे एक बड़े चुनावी झटके के तौर पर देखा जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में मिडिल क्लास का समर्थन बीजेपी को मिलने का अनुमान है। दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनावों से बीजेपी ने दहाई का आंकड़ा पार नहीं किया है लेकिन इस बार पार्टी ने बूथ स्तर तक अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बीजेपी की पूरी मशीनरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर आरएसएस तक पूरी ताकत के साथ इस चुनाव में जुटे हुए हैं।
वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट में बिहार के लिए भी कई बड़े ऐलान किए गए हैं और इनमें में मिथिलांचल का खास तौर पर ध्यान रखा गया है। इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनावों के लिहाज से तो यह अहम है ही इसके अलावा दिल्ली में भी बड़ी संख्या में मिथिलांचल के लोग रहते हैं। मिथिला के लिए कोसी नहर परियोजना और मखाना बोर्ड की स्थापना का निर्णय बेहद अहम है और इसका असर दिल्ली के चुनावों पर भी नज़र आने का पूरा अनुमान है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में पूर्वांचल का मुद्दा गरमाया भी हुआ था और अब बिहार को मिली यह राहत बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।