छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज अब कहां हैं?

छत्रपति शिवाजी के सिर्फ दो पुत्र थे हालांकि उन्होंने आठ शादियां की थीं

मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज

मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज

हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘छावा’ के बाद एक बार फिर छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर खूब चर्चा हो रही है। छत्रपति शिवाजी के पुत्र संभाजी महाराज के अदम्य साहस और मुगल आक्रांता औरंगज़ेब की क्रूरता की कहानी बताती ‘छावा’ को सोशल मीडिया पर लोगों को खूब तारीफें मिल रही हैं। हालांकि, कुछ मुगल प्रेमी इसे लेकर भी आलोचना कर रहे हैं लेकिन ऐसे लोग सदा से ही ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर देखने के आदी रहे हैं। छत्रपति शिवाजी और संभाजी महाराज का वीरतापूर्ण जीवन ना केवल मराठा गौरव की गाथा है बल्कि यह भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। आज हम आपको बताएंगे कि शिवाजी महाराज के वंशज इन दिनों क्या कर रहे हैं?

शिवाजी महाराज के दो पुत्र थे। उनके बड़े बेटे संभाजी भोंसले का जन्म 14 मई 1657 को पुणे के पास पुरंदर किले में हुआ था। संभाजी जब 2 ही वर्ष के थे तो उनकी मां का निधन हो गया था और वे पिता और दादी जीजाबाई की देखरख में बड़े हुए थे। शिवाजी महाराज के दूसरे पुत्र छत्रपति राजाराम भोसले का जन्म 24 फरवरी 1670 को रायगढ़ के किले में हुआ था। वैभव पुरंदरे ने अपनी किताब ‘शिवाजी इंडियाज़ ग्रेट वारियर किंग’ में लिखा है, “छत्रपति शिवाजी के सिर्फ दो पुत्र थे हालांकि उन्होंने आठ शादियां की थीं। शिवाजी ने इनमें से बहुत सी शादियां केवल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए की थीं। उनकी छह बेटियां भी थीं जिनकी प्रतिष्ठित मराठा परिवारों में शादियां हुई थीं।”

महाराष्ट्र में मौजूदा समय में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों की दो गद्दियां हैं। पहली गद्दी सातारा की है और इस पर शिवाजी के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के 13वें वंशज छत्रपति उदयनराजे भोसले विराजमान हैं। वहीं, दूसरी गद्दी कोल्हापुर में है और इस पर शिवाजी के दूसरे बेटे राजाराम भोसले के 12वें वंशज शाहू शाहजी महाराज यहां गद्दी संभाल रहे हैं और उनके बेटे संभाजीराजे छत्रपति, राजाराम भोसले के 13वें वंशज हैं।

छत्रपति उदयनराजे भोसले

उदयनराजे भोसले वर्तमान में महाराष्ट्र के सतारा से बीजेपी के लोकसभा सांसद हैं। 24 फरवरी 1966 को सतारा में ही उनका जन्म हुआ था। स्थानीय लोगों के बीच में ‘राजा उदयन’ नाम से लोकप्रिय उदयनराजे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 के दशक में बीजेपी से की थी। छत्रपति के वंशज की राजनीति शुरुआत नगर सेवक के रुप मे हुई थी। 1991 में नगर पालिका के चुनाव में वे दो वार्डों से चुनाव लड़े और जीत हासिल की थी। 1998-99 के दौर में वे महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं और उन्होंने बीजेपी-शिवसेना सरकार में राजस्व मंत्री के रूप में कार्य किया था।

2008 में उदयनराजे कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन सतारा सीट गठबंधन के चलते शरद पवार की NCP को चली गई थी। शरद पवार ने उदयनराजे को NCP में शामिल कर लिया और उन्होंने 2009, 2014 और 2019 में NCP के टिकट पर सतारा से लोकसभा चुनाव जीता। 2019 में वे NCP छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और 2020 में उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा सांसद बनाया था। उदयनराजे को लग्जरी कारों और बाइक्स का शौक है और उनके बेड़े में कई लग्जरी कारें और महंगी बाइक्स शामिल हैं। उदयनराजे भोसले के एक बेटा और एक बेटी है।

शाहू शाहजी महाराज

76 वर्षीय शाहूजी शाहजी महाराज (शाहू II) छत्रपति शिवाजी की कोल्हापुर गद्दी के वारिस हैं। वर्तमान में वे कोल्हापुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद हैं। शाहू महाराज को उनकी सौम्य छवि, मधुर व्यवहार और जनता से मिलने-जुलने के लिए जाना जाता है। शाहूजी के दादा राजर्षि शाहू महाराज ने महाराष्ट्र में वंचित वर्ग के उत्थान के लिए खूब काम किया था। राजर्षि शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर राज्य की बागडोर 1894 में संभाली थी और इसके चार वर्ष पहले 28 नवंबर 1890 को महात्मा ज्योतिबा फुले का निधन हो गया था। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के राजनीति में पदार्पण से पहले तक राजर्षि शाहूजी ने वंचित वर्ग के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। राजर्षि शाहूजी ने करीब 100 वर्ष पहले ही अलग-अलग जातियों एवं धर्मों के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास एवं स्कूल-कालेज बनवाए थे। महाराष्ट्र में वंचित वर्ग के उत्थान के लिए जाने जानी वाली तिकड़ी ‘फुले-शाहू-आंबेडकर’ के वे अहम कड़ी रहे थे।

वहीं, 2024 शाहू महाराज ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। बताया जाता है कि महाविकास आघाड़ी ने उन्हें तीनों पार्टियों में से किसी के टिकट पर भी चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने खुद को कांग्रेस की विचारधारा के ज़्यादा नजदीक पाया और वे कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़े और जीते भी। शाहू महाराज की बदौलत कांग्रेस ने 25 साल बाद इस सीट पर जीत दर्ज की थी। शाहूजी के दो बेटे संभाजी राजे छत्रपति और मालोजी राजे हैं।

संभाजी राजे छत्रपति

शाहूजी महाराज के बड़े बेटे संभाजीराजे छत्रपति राज्यसभा सांसद रहे हैं और रायगड विकास प्राधिकरण (महाराष्ट्र सरकार) के अध्यक्ष हैं। 11 फरवरी 1971 को बैंगलोर में जन्मे संभाजीराजे ने राजनीति विज्ञान में स्नातक (बीए) किया और कोल्हापुर के शिवाजी विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। भारतीय विरासत और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किलों और ऐतिहासिक स्मारकों के जीर्णोद्धार में उनकी गहरी रुचि रही है। वे मराठा आंदोलन का भी प्रमुख चेहरा रहे हैं और उन्हें मनोज जरांगे पाटिल का करीबी माना जाता है। शुरुआत में बीजेपी से जुड़े रहे संभाजीराजे ने अगस्त 2022 में महाराष्ट्र स्वराज्य पार्टी नाम से अलग दल बनाया था। वे 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पिता के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के फैसले के बाद वे मैदान में नहीं उतरे। वर्तमान में वे स्वराज्य पार्टी के अध्यक्ष हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हैं।

मालोजी राजे

शाहूजी महाराज के छोटे बेटे मालोजी राजे महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे हैं। 2004 में वे कोल्हापुर उत्तर से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 2014 में भी कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने की पेशकश की थी लेकिन उन्होंने खुद को सक्रिय राजनीति से दूर रखने का मन बना लिया था। वे पुणे की ऑल इंडिया श्री शिवाजी मेमोरियल सोसाइटी के सचिव हैं।

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