फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों की साजिश रचने का आरोपित उमर खालिद जेल में बंद है। उसे जमानत न मिलने को लेकर वामपंथी हो-हल्ला मचाते और सोशल मीडिया पर कई तरह के नैरेटिव गढ़ते रहते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वामपंथियों के तमाम नैरेटिव को एक झटके में ध्वस्त कर दिया है। चंद्रचूड़ ने कहा है कि उमर खालिद के वकील ने जमानत याचिका पर 7 बार स्थगन यानी सुनवाई टालने की मांग की थी।
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने यह खुलासा 13 फरवरी को बरखा दत्त के यूट्यूब चैनल MOJO पर किया है। बरखा दत्त ने चंद्रचूड़ से उमर खालिद को ज़मानत न दिए जाने को लेकर सवाल पूछा था। साथ ही जमानत न दिए जाने पर (वामपंथियों द्वारा) न्यायपालिका की आलोचनाओं का भी जिक्र किया था। (नीचे दिए वीडियो में इस बातचीत को 20:50 मिनट के बाद से देखा जा सकता है)
बरखा ने DY चंद्रचूड़ से सवाल करते हुए उनके एक बयान का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने वामपंथी और दक्षिणपंथी…मोहम्मद जुबैर और अर्नब गोस्वामी दोनों को जमानत देने में पक्षपात न करने की बात कही थी। इसके बाद बरखा ने उमर खालिद का जिक्र करते हुए कहा, “क्या आपको ऐसे मामलों पर अफसोस होता है जिनमें समय सीमा के भीतर कार्रवाई नहीं की गई?”
इस पर पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका यानी कोर्ट के काम करने के तरीकों को स्पष्ट करते हुए उमर खालिद के मामले को पर खुलकर बात की। चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस मामले की मेरिट यानी गुण-दोष को लेकर कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जब उमर खालिद की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी, तब खालिद और उसके वकील ने खुद 7 से अधिक बार जमानत याचिका पर स्थगन (adjournment) यानी सुनवाई टालने की मांग की थी।
चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “एक ओर जब किसी आरोपित की ओर से पेश होने वाले वकील बार-बार सुनवाई टालने की मांग करते हैं और फिर याचिका को वापस ले लेते हैं, तो फिर कोई भी चाहे वह बार काउंसिल हो या फिर आम लोग…क्या यह कह सकते हैं कि कोर्ट ने देरी की? कम से कम उन्हें कोर्ट का रिकॉर्ड देखना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “उमर खालिद का मामला ऐसा था जिसमें आरोपित के वकील ने खुद बार-बार अदालत से समय मांगा। आखिर क्यों? इस मामले में बहस के लिए लाने में इतनी हिचक क्यों थी? या तो वकील को पहले ही दिन इस पर बहस करना चाहिए था या फिर वह यह कह सकते थे कि उन्हें जमानत पर सुनवाई नहीं चाहिए। वकील जमानत याचिका की सुनवाई के हाई कोर्ट या ट्रायल कोर्ट के सामने पेश करने की बात भी कह सकते थे। लेकिन उमर खालिद के मामले में, यदि रिकॉर्ड देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है जमानत के लिए बार-बार याचिकाएं दायर की गई थीं और फिर सुनवाई के दौरान समय मांग लिया जाता था।”
पूर्व CJI ने आगे कहा कि इन सब चीजों के बाद सोशल मीडिया और मीडिया में एक खास नैरेटिव गढ़ दिया जाता है। लेकिन जजों के पास अपना बचाव या सफाई देने के लिए कोई तरीका नहीं होता।
इस तरह से पूर्व मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ ने दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों और उमर खालिद को लेकर वामपंथियों द्वारा गढ़े गए तमाम नैरेटिव को एक झटके में ध्वस्त कर दिया। गौरतलब है कि फरवरी 2024 में उमर खालिद की ओर से पेश हुए पूर्व कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि ‘परिस्थितियों में बदलाव’ के चलते वह याचिका वापस ले रहे हैं और ट्रायल कोर्ट में नए सिरे से ज़मानत की मांग करेंगे।