DK शिवकुमार के कुंभ जाने से कर्नाटक सरकार से नाराज़ गांधी परिवार!, इन्वेस्टर्स समिट से किया किनारा

खरगे आगबबूला, लेकिन शिवकुमार ने लगाई आस्था की डुबकी

DK Shivkumar VS Congress

DK Shivkumar VS Congress (image source: OP India)

आज(11-02-2025) कांग्रेस शासित कर्नाटक में इन्वेस्टर्स समिट का भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की गैरमौजूदगी ने नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां कांग्रेस नेताओं ने इसे बजट पर जारी बहस में व्यस्तता का बहाना बताया, वहीं असली वजह कुछ और ही नजर आती है। दरअसल, इसे कांग्रेस के हिंदू विरोधी रुख से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो डीके शिवकुमार के कुंभ में स्नान और योगी सरकार की प्रशंसा ने गांधी परिवार को असहज कर दिया है।

वहीं इस घटना को लेकर यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या गांधी परिवार हिंदू परंपराओं और मान्यताओं से खुद को अलग रखने की कोशिश कर रहा है? गाँधी परिवार को आखिर हिन्दू आस्था के तुहारों से इतनी आपत्ति क्यों है ?

खरगे आगबबूला, लेकिन शिवकुमार ने लगाई आस्था की डुबकी

कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन से दूरी बनाए रखी है, लेकिन कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने संगम में डुबकी लगाकर न केवल सुर्खियां बटोरीं, बल्कि राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है। डिप्टी सीएम शिवकुमार, जो कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं, ने महाकुंभ में स्नान कर यह संदेश दिया है कि आस्था से जुड़े आयोजनों में उनकी गहरी दिलचस्पी है।

यह सब तब हुआ जब कुछ समय पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाकुंभ स्नान को लेकर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने सवाल किया था कि क्या गंगा में स्नान करने से गरीबी खत्म हो जाएगी। इस टिप्पणी को लेकर भारी विरोध हुआ, और उन्हें माफी मांगनी पड़ी। लेकिन उनकी इस टिप्पणी ने कांग्रेस नेतृत्व की धार्मिक आयोजनों और परंपराओं के प्रति सोच पर सवाल खड़े कर दिए थे।

इस बीच, डीके शिवकुमार का कुंभ में शामिल होना न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्था को दर्शाता है, बल्कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच इसे एक रणनीतिक कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। क्या शिवकुमार इस कदम के जरिए पार्टी आलाकमान को अपनी पकड़ दिखाना चाहते हैं, या यह उनके द्वारा हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश है?

ऐसे में इन्वेस्टर्स समिट जैसे अहम आयोजन से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की अनुपस्थिति ने कांग्रेस की प्राथमिकताओं पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या गांधी परिवार और कांग्रेस आलाकमान की हिंदू परंपराओं से दूरी एक सोची-समझी रणनीति है? राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो तो, डीके शिवकुमार का महाकुंभ में शामिल होना न केवल उनके आस्था के प्रति झुकाव को जाहिर करता है, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भीतर बढ़ते वैचारिक मतभेदों और बदलते समीकरणों को भी उजागर करता है।

DK शिवकुमार का कुंभ स्नान: कांग्रेस आलाकमान को खुली चेतावनी?

महाकुंभ 2025 में जहां देश-विदेश से श्रद्धालु संगम तट पर डुबकी लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेस के नेताओं की अनुपस्थिति ने एक बार फिर उनकी हिंदुत्व से दूरी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इस पवित्र स्नान में हिस्सा ले चुके हैं, लेकिन कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता प्रयागराज नहीं पहुंचा। उल्टा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद में यह विवादास्पद टिप्पणी की थी कि, “क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर हो जाएगी?” भारी विरोध के बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी।

खरगे के इस बयान के विपरीत, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने महाकुंभ में संगम पर डुबकी लगाकर एक अलग ही संदेश दिया है। अपनी पत्नी उषा के साथ शिवकुमार की संगम स्नान की तस्वीरें न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बन गई हैं। इन तस्वीरों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस आलाकमान की धड़कनें बढ़ा दी होंगी, खासकर तब जब कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें पहले से ही तेज हैं।

शिवकुमार का यह कदम केवल व्यक्तिगत आस्था का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि इसे कांग्रेस नेतृत्व को एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। जहां कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व धार्मिक आयोजनों, खासकर हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों से दूरी बनाए रखता है, शिवकुमार का कुंभ स्नान इस स्थापित रवैये के खिलाफ जाता है। मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेता हिंदू धार्मिक परंपराओं का मजाक उड़ाते रहे हैं, लेकिन डीके शिवकुमार के इस कदम को ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, जो हमेशा हिंदुत्व समर्थक आयोजनों से दूरी बनाए रखते हैं, इस घटनाक्रम से असहज महसूस कर सकते हैं। कर्नाटक में शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच पहले से खींचतान चल रही है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा, जहां सिद्धारमैया को कांग्रेस का जनता से जुड़ा चेहरा माना जाता है, वहीं शिवकुमार को एक कुशल चुनावी रणनीतिकार के तौर पर देखा जाता है। शिवकुमार का यह कदम कांग्रेस के आलाकमान को सीधा संदेश देता है कि वह न केवल पार्टी के भीतर मजबूत हैं, बल्कि हिंदू वोट बैंक को साधने की क्षमता भी रखते हैं।

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