मोदी और ट्रंप की मुलाकात से पहले अमरीका ने बढ़ाई भारत की सरदर्दी, केविन हैसेट का टैरिफ को लेकर बड़ा बयान

टैरिफ, जंगी वाहन-लड़ाकू विमानों जैसे इन मुद्द्दों पर हो सकती है बात

Pm Modi US Visit

Pm Modi US Visit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय पेरिस दौरे पर हैं और वहां से सीधे अमेरिका (PM Modi US Visit) के लिए रवाना होंगे। उनका अमेरिकी दौरा 12 से 14 फरवरी तक का होगा। इस दौरान पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय वार्ता तय है। इसके अलावा, वह प्रमुख बिजनेस लीडर्स और भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मुलाकात करेंगे। सूत्रों का कहना था कि इस मुलाकात में टैरिफ को लेकर भारत को राहत मिलने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन अमेरिकी आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट के हालिया बयान ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है। उनके इस बयान से दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता को लेकर नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

टैरिफ पर आया बड़ा बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रमुख आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने भारत के टैरिफ को लेकर एक कड़ा बयान दिया है, जो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के बीच नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है। हैसेट ने कहा कि भारत में आयात शुल्क (टैरिफ) काफी ऊंचे हैं, जो अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ट्रंप के साथ बातचीत के लिए कई अहम मुद्दे हैं, जिनमें टैरिफ का विषय सबसे प्रमुख होगा।”

CNBC को दिए गए एक इंटरव्यू में हैसेट ने स्पष्ट किया, “राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को भी उतने ही टैरिफ लगाने चाहिए जितने दूसरे देश अमेरिका पर लगाते हैं। अगर भारत अपने टैरिफ कम करता है, तो अमेरिका भी इन्हें कम करने को तैयार है।” उन्होंने यह भी बताया कि कनाडा, ब्रिटेन और मेक्सिको जैसे देश अमेरिका पर समान स्तर के टैरिफ लगाते हैं, लेकिन भारत और ताइवान जैसे देशों के टैरिफ अपेक्षाकृत काफी ऊंचे हैं।

इस बीच, रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी वाशिंगटन यात्रा से पहले अतिरिक्त टैरिफ में कटौती करने की योजना बना रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की तैयारी कर ली है, जो मौजूदा आयात शुल्क के अलावा होगा। यह कदम अगले कुछ दिनों में लागू किया जा सकता है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब मोदी-ट्रंप की बैठक को लेकर उम्मीदें जताई जा रही थीं कि व्यापार संबंधों में सुधार हो सकता है। अब सवाल यह है कि दोनों देशों के नेता इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं और क्या वाशिंगटन में होने वाली बातचीत व्यापारिक रिश्तों को नई दिशा दे पाएगी।

मोदी- ट्रम्प मुलाकात में इन मुद्दों पर हो सकती है बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह अमेरिका दौरा कई मायनों में बेहद अहम है। बीते कुछ समय में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐसे फैसले और बयान दिए हैं, जिनका भारत पर बड़ा असर पड़ा है। ऐसे में यह मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों को लेकर कई नई संभावनाओं को जन्म दे सकती है।

सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी को अपने कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्यों से मिलवाने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, अमेरिकी अरबपति कारोबारी और ट्रंप के करीबी एलन मस्क भी इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर सकते हैं। बातचीत का मुख्य केंद्र टेस्ला और स्टारलिंक जैसी कंपनियों को भारत में स्थापित करने पर रहेगा।

व्यापार बनेगा चर्चा का मुख्य विषय 

ट्रंप प्रशासन के कई तीखे बयानों के बाद, व्यापार को लेकर इस मुलाकात में खास बातचीत होने की संभावना है। ट्रंप ने हाल ही में भारत के टैरिफ को “अनुचित” करार देते हुए बराबरी के व्यापार (Fair Trade) की वकालत की थी। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि अगर भारत ने टैरिफ घटाने में आनाकानी की, तो अमेरिका आयात शुल्क बढ़ा सकता है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी का रुख दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है।

मोदी- ट्रम्प मुलाकात में इन मुद्दों पर हो सकती है बात

रक्षा सहयोग पर भी होगी चर्चा 

द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा सौदे एक और अहम मुद्दा होगा। भारत और अमेरिका के बीच कई रक्षा समझौतों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी इस मुलाकात में अमेरिका से लड़ाकू विमान और अन्य अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों की खरीद को लेकर बातचीत करेंगे। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप भारत को और ज्यादा अमेरिकी रक्षा सामग्री खरीदने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

 

H-1B वीजा पर बड़ा फोकस 

आव्रजन नीतियों को लेकर अमेरिका में हाल के दिनों में सख्ती के संकेत मिले हैं, जिससे भारतीय पेशेवरों में चिंता बढ़ गई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी H-1B वीजा की संख्या बढ़ाने पर ट्रंप से चर्चा करेंगे। अमेरिकी प्रशासन की ओर से कुशल पेशेवरों को प्रोत्साहन देने की मंशा जताई गई है, लेकिन इसके लिए बातचीत में कुछ ठोस प्रगति जरूरी होगी।

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