महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे ने गुरुवार (20 फरवरी) शाम को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के ज़रिए बताया कि उन्हें ‘बेल्स पाल्सी’ नामक बीमारी हो गई है। मुंडे ने ‘X’ पर लिखा, “15 दिन पहले मेरी दोनों आंखों की सर्जरी हुई थी। डॉक्टर ने मुझे 10 दिनों तक आंखों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी थी। इसी दौरान, मुझे ‘बेल्स पाल्सी’ का पता चला।” उन्होंने आगे कहा, “इस बीमारी का इलाज रिलायंस अस्पताल में चल रहा है। इस बीमारी के कारण मैं लगातार दो मिनट भी ठीक से बोल नहीं पाता हूं। मैं जल्द ही इस बीमारी से उबर कर वापस आऊंगा।” मुंडे को ‘बेल्स पाल्सी’ होने का पता चलने के बाद कई लोगों ने उनके जल्द ठीक होने की कामना की है।
क्या है ‘बेल्स पाल्सी’?
‘बेल्स पाल्सी’ को ‘इडियोपैथिक फेशियल पाल्सी’ के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी में चेहरे की एक तरफ की मांसपेशियों में अचानक कमज़ोरी आ जाती है या लकवे जैसी स्थिति हो जाती है। मानव सिर में 12 प्रमुख तंत्रिकाएं होती हैं जिन्हें कपाल तंत्रिकाएं (फेशियल नर्व्स) कहते हैं। ‘बेल्स पाल्सी’ तब होती है जब सातवीं कपाल तंत्रिका ठीक से काम नहीं करती है। यह तंत्रिका ‘चेहरे की मांसपेशियों को हिलाती है’, ‘सलाइवा और आंसू की ग्रंथियों को उत्तेजित करती है’, ‘जीभ के सामने के दो तिहाई हिस्से को स्वाद का पता लगाने में सक्षम बनाती है’ और ‘सुनने में शामिल मांसपेशियों को नियंत्रित’ करती है। इस मामले में आम तौर पर चेहरे की एक तरफ लकवा जैसी स्थिति होती है लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा दोनों तरफ होता है।
क्या हैं ‘बेल्स पाल्सी’ के लक्षण?
‘बेल्स पाल्सी’ के लक्षण अचानक नज़र आते हैं और इन्हें आप खाने या पीने की कोशिश करते समय महसूस कर सकते हैं। आम तौर पर इसके लक्षणों की शुरुआत कान के पीछे दर्द होने से होती है और कुछ ही घंटों के भीतर चेहरे की मांसपेशियों में अचानक कमज़ोरी आ सकती है। 48 से 72 घंटों में यह कमजोरी बढ़ती जाती है। इसके बाद चेहरे के भाव बनाने या बदलने में पीड़ित व्यक्ति को समस्या होने लगती है। चेहरे के प्रभावित हिस्से पर माथे पर झुर्रियां पड़ना, पलकें झपकाना और मुस्कुराना मुश्किल या लगभग नामुमकिन हो जाता है। इससे जुड़े अन्य लक्षणों में ‘शुष्क मुंह या आंख’, ‘सिरदर्द’, ‘खाने-पीने में कठिनाई’, ‘आंखों में जलन’ और ‘प्रभावित हिस्से वाले कान में तेज़ आवाज़ का सुनाई देना’ शामिल हो सकते हैं।
क्या हैं ‘बेल्स पाल्सी’ के कारण?
‘बेल्स पाल्सी’ का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि यह वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण या अन्य बीमारी की वजह से ‘बेल्स पाल्सी’ हो जाती है। हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस को इसकी आम वजह माना जाता है। इस वायरस के कारण त्वचा, मुंह, होंठ, आंखों या जननांगों पर फफोले के बार-बार होने की घटना होती है। वहीं, कॉक्ससैकीवायरस, साइटोमेगालोवायरस और जिन वायरस से कोविड-19, मंप्स, रूबेला, मोनोन्यूक्लियोसिस या इन्फ़्लूएंज़ा होता है उनसे भी ‘बेल्स पाल्सी’ हो सकती है। इन वायरस के इंफेक्शन की वजह से तंत्रिका में सूजन हो सकती है जिससे यह दब जाती है और चेहरे की तंत्रिका में ‘पाल्सी’ का कारण बनती है।
कितनी खतरनाक है यह बीमारी?
विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक, इस स्थिति से पीड़ित 85% रोगी लक्षण विकसित होने के तीन सप्ताह के भीतर अपने आप ठीक हो जाते हैं। अधिकांश रोगियों को पूरी तरह से तंत्रिका ठीक होने का अनुभव होता है। केवल दुर्लभ मामलों में ही लोगों को कुछ मांसपेशियों की कमज़ोरी या कमी का अनुभव होता है। अलग-अलग लक्षणों के लिए विभिन्न इलाज किए जाते हैं जिनमें सूजन से राहत के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, आंखों को हाइड्रेटेड रखने में मदद करने के लिए आई ड्रॉप्स, दर्द निवारक और एंटीवायरल दवाएं शामिल होती हैं। गर्भवती महिलाओं, श्वसन संबंधी संक्रमण से पीड़ित लोगों और डाइबटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए ‘बेल्स पाल्सी’ अधिक खतरनाक साबित हो सकती है।