हाल ही में किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर का दायित्व सौंपा था। हालांकि, इस फैसले पर शंकराचार्यों सहित कई धार्मिक गुरुओं ने नाराजगी जताई, जिससे विवाद खड़ा हो गया। इस बढ़ते विवाद के बीच ममता कुलकर्णी ने अब इस पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, “कुछ लोगों को मेरे महामंडलेश्वर बनने से आपत्ति है, चाहे वह शंकराचार्य हों या कोई और। मैं इस विवाद में फंसना नहीं चाहती, इसलिए मैंने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। लेकिन साध्वी होने का मेरा जीवन और यह यात्रा हमेशा जारी रहेगी।”
पैसे के लेन-देन के आरोपों पर सफाई
साध्वी ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देते हुए अपने ऊपर लगे पैसों के लेन-देन के आरोपों पर खुलकर सफाई दी। उन्होंने कहा, “महामंडलेश्वर पद को मैंने सम्मान के रूप में स्वीकार किया था, ताकि नई पीढ़ी को ज्ञान और सही दिशा दे सकूं। लेकिन इन आरोपों और विवादों के चलते मैं अब इस पद से अलग हो रही हूं।”
अपने वीडियो संदेश में ममता ने अपनी तपस्या और साधना के प्रति अपने समर्पण का उल्लेख करते हुए कहा, “मैंने 25 वर्षों तक साधना की है। मेरे लिए किसी कैलाश या मानसरोवर जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पूरा ब्रह्मांड मेरे ध्यान में समाहित है। मैं अपने ध्यान और समाधि से कभी समझौता नहीं करूंगी।”
#WATCH प्रयागराज: ममता कुलकर्णी ने कहा, “मैं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा दे रही हूं। मैं 25 साल से साध्वी हूं और आगे भी रहूंगी…”
(सोर्स – ममता कुलकर्णी) pic.twitter.com/aqtUsK9WgV
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 10, 2025
वहीं, महामंडलेश्वर बनने के लिए पैसों के लेन-देन के आरोपों पर उन्होंने कहा, “जब मुझसे ₹2 लाख मांगे गए, तब मेरे पास इतने पैसे नहीं थे। जय अंबा गिरी महामंडलेश्वर ने खुद अपने पास से ₹2 लाख दिए। लेकिन अब कहा जा रहा है कि मैंने 2 करोड़, 4 करोड़ दिए। यह सब सरासर झूठ है।”
इस वीडियो में आगे साध्वी ममता कुलकर्णी ने कहा कहा, “मैं महामंडलेश्वर पद से हट रही हूं, लेकिन साध्वी के रूप में मेरी यात्रा अनवरत जारी रहेगी।”
महामंडलेश्वर बनने पर उठा विवाद
प्रयागराज के महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े में दीक्षा ग्रहण की और इसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर घोषित किया गया। दीक्षा के दौरान उन्होंने संगम में स्नान किया, पिंडदान किया और उनका पट्टाभिषेक किया गया। लेकिन उनके महामंडलेश्वर बनने के बाद विवाद खड़ा हो गया।
बाबा रामदेव समेत कई संतों और अखाड़े के कुछ सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि एक ऐसा व्यक्ति, जो पहले सांसारिक जीवन में लिप्त था, उसे इतनी महत्वपूर्ण धार्मिक पदवी कैसे दी जा सकती है। यह भी कहा गया कि अखाड़े की परंपराओं को ध्यान में रखते हुए इस तरह का फैसला विवादास्पद है।
इस पर ममता कुलकर्णी ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि महामंडलेश्वर बनाए जाने से पहले उनकी कड़ी परीक्षा ली गई थी। उन्होंने कहा, “चार जगतगुरुओं ने मेरी परीक्षा ली और मुझसे कठिन प्रश्न पूछे गए। उनके प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर मुझे यह पद दिया गया। यह कोई एक दिन का फैसला नहीं था।”
ममता ने यह भी स्पष्ट किया कि पदवी देने से पहले उनसे दो दिनों तक इस पद को स्वीकार करने का आग्रह किया गया था। उन्होंने कहा, “मैंने शुरुआत में इस पद को लेने से मना किया था। लेकिन परंपरा और अखाड़े की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए मैंने इसे स्वीकार किया।”