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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार कौन, कितने हादसों के बाद सीखेगा रेलवे?

मृतकों में 9 लोग बिहार के रहने वाले हैं जबकि 8 दिल्ली के और एक शख्स हरियाणा का रहने वाला है

khushbusingh1 द्वारा khushbusingh1
17 February 2025
in चर्चित, समीक्षा
AI द्वारा बनाया गया भगदड़ का चित्र

AI द्वारा बनाया गया भगदड़ का चित्र

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार (16 फरवरी) की रात भीड़ के बीच मची भगदड़ में 4 बच्चों समेत 18 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 20 से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें से 10 यात्रियों की हालत गंभीर बताई जा रही है। मरने वालों में 9 महिलाएँ, 5 बच्चे और 4 पुरुष हैं। मृतकों में 9 लोग बिहार के रहने वाले हैं। वहीं, 8 दिल्ली के और एक शख्स हरियाणा का रहने वाला है। रेलवे ने इस हादसे में जान गँवाने वाले लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसके अलावा गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपए और मामूली रूप से घायल हुए लोगों को 1 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। इन सब सहायता राशि के बावजूद देश की राजधानी के रेलवे स्टेशन पर इस तरह का हादसा होना अपने आप में शर्मनाक है। हम किस आधार पर खुद को दुनिया में उभरती ताकत कहेंगे, जो रेलवे स्टेशन पर भीड़ तक को ढंग से नियंत्रित नहीं कर पाती है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे में प्रारंभिक तौर पर सिर्फ और सिर्फ रेलवे गुनाहगार नजर आ रहा है। कहा जा रहा है कि ये सभी श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ के लिए जा रहे थे। ये भगदड़ भीड़ और रेलवे की बदइंतजामी की वजह से हुई है। आवश्यकता से अधिक लोग रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए। इस दौरान ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदल दिया गया, जिसके कारण एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने को लेकर लोगों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इस धक्का-मुक्की में सीढ़ियों पर लोग गिरते चले गए और उनके ऊपर से लोग गुजरते चले गए। इसकी वजह से लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी।

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श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

और लोड करें

रेलवे के पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इस स्टेशन पर हर घंटे 1500 साधारण श्रेणी के टिकट बेचे जा रहे थे। इसके कारण रेलवे स्टेशन पर भीड़ बढ़ गई। इसके अलावा, ऐसे लोगों की गिनती ही नहीं है, जो बिना टिकट लिए प्रयागराज जाने के लिए स्टेशन पर आए थे। इधर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर एक्सप्रेस लेट हो गई थी, जिसके यात्री प्लेटफॉर्म पर ही ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। चार ट्रेनों की बदइंतजामी के कारण प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ती गई। कहा जा रहा है कि प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर प्रयागराज एक्सप्रेस आने वाली थी। वहीं, प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर बिहार के लिए ट्रेन आने वाली थी, जो देर चल रही थी। इस तरह, प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 पर काफी भीड़ जमा हो गई थी। इसी बीच अनाउंसमेंट हुआ कि प्लेटफॉर्म नंबर 16 से एक स्पेशल ट्रेन प्रयागराज के लिए जाएगी। इस घोषणा के बाद लोगों में अफरा-तफरी मच गई और लोग प्लेटफॉर्म नंबर 14 से प्लेटफॉर्म नंबर 16 की ओर बढ़ने लगे। प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पहले से भारी भीड़ थी। भीड़ सीढ़ियों की मदद से ऊपर की ओर बढ़ी, लेकिन वहाँ पैर रखने की जगह नहीं थी। इस धक्का-मुक्की में कुछ लोग बेहोश होकर गिर गए। फिर भीड़ उन्हें कुचलते हुए आगे बढ़ने लगी। प्लेटफॉर्म पर भगदड़ की स्थिति हो गई।

कुछ चश्मदीदों का कहना है कि अचानक अनाउंसमेंट ने स्थिति बिगाड़ दी। हालाँकि, रेलवे ने इन दावों को खारिज कर दिया है। उत्तर रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय का कहना है कि ट्रेन का प्लेटफॉर्म नहीं बदला गया और ना ही कोई ट्रेन कैंसिल की गई थी। ये सब अफवाहें हैं। रेलवे का कहना है कि प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 16 के करीब एस्केलेरेटर के पास भगदड़ मच गई। कुछ लोग गिर गए, इसके बाद स्थिति बिगड़ गई। इस मामले को लेकर वहाँ मौजूद लोगों का कहना है कि एस्केलेरेटर भी नहीं चल रहा था। लोगों को सीढ़ियाँ चढ़ने में काफी दिक्कत हो रही थी। अब रेलवे चाहे जो भी दावे करे और अपनी पीठ थपथपाए, लेकिन उसके दावे की सच्चाई यह घटना है कि रेलवे भीड़ को लेकर कितना सतर्क था और उसने कितनी तैयारी की थी। इस घटना ने रेलवे की क्राउड मैनेजमेंट व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे के इन दावों की पोल इस घटना की जाँच के लिए गठित कमिटी ने अपनी तात्कालिक रिपोर्ट में कर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज के लिए विशेष ट्रेन की घोषणा करने के बाद भगदड़ की स्थिति पैदा हुई।

इन सबके बीच रेलवे पुलिस या रेलवे का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था, जो इन भीड़ को संभालने की कोशिश करता। एक कुली ने बताया, “भगदड़ के समय पुलिस को कॉल किया गया तो जवाब मिला कि ‘हंगामा मत करो, पुलिस आ रही है।’ जब तक मदद पहुँची, तब तक हालात बेहद खराब हो चुके थे। तीन घंटे तक हम कुलियों ने घायलों और शवों को संभाला था।” इस तरह आम लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया। अगर वे बोरे की तरह लद कर अपने गंतव्य की बढ़ भी गए होते तो रेलवे को कोई फर्क नहीं पड़ता और आम लोग मर गए तब भी कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि रेलवे स्टेशन पर भीड़ में भगदड़ से होने वाली मौत की यह पहली घटना नहीं है। रेलवे पुलिस का कोई भी अधिकारी भीड़ के दौरान ना ही किसी सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है और ना ही कोई अधिकारी ऐसा करने का दावा कर रहा है। ऐसे में एक कमिटी गठित कर हमेशा की तरह जाँच की घोषणा कर दी जाएगी और फिर मामला दबकर रह जाएगा। रवैये में कोई बदलाव नहीं आएगा।

दरअसल, रेलवे दिल्ली में भीड़ का आंकलन करने में ही नाकाम रहा है, जबकि ये वही दिल्ली है जब त्योहारी सीजन में बिहार जाने के दौरान कई बार हादसे हो चुके हैं। हर तरफ प्रयागराज कुंभ जाने का शोर और ऊपर से लगन का मौसम होने के कारण बिहार जाने वाले लोगों की भीड़ ने हालात बदल दिए। प्रयागराज रेलवे स्टेशन की तरह दिल्ली में इस तरह इंतजाम नहीं किया गया। प्रयागराज रेलवे जंक्शन पर एकल दिशा योजना लागू की गई है। यानी की सिर्फ एक दिशा से प्रवेश होगा और दूसरी दिशा से निकास होगा। दोनों के लिए अलग-अलग रास्ते भी बनाए गए हैं। तीर्थयात्रियों के लिए कलर-कोडेड आश्रय स्थलों की व्यवस्था की गई है, जहाँ अस्थायी टिकट काउंटर, शौचालय और आराम की सुविधाएँ हैं। वहीं, अनारक्षित टिकटों की बुकिंग 15 दिन पहले से करने की योजना लागू की गई है। हालाँकि, प्रयागराज रेलवे स्टेशन की तरह दिल्ली के स्टेशनों पर ऐसी ही व्यवस्था नहीं लागू की गई थी।

अगर आम दिनों में भी देखें तो बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं होती। ऊपर से महाकुंभ जैसा आयोजन चल रहा है, जिसकी वजह से प्रयागराज की ओर जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं है। जिन लोगों के पास टिकट है, वे भी भीड़ की वजह से उसमें घुस नहीं पा रहे हैं। एसी फर्स्ट क्लास तक में लोग बोरे तक भरकर संगम की ओर जा रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोग रोज कहीं ना कहीं बेहोश हो रहे हैं। इन सबके बावजूद रेलवे गहरी नींद में सोया हुआ है और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बस रील बनाए जा रहे हैं। रेलवे ने यात्रियों के लिए पर्याप्त ट्रेनों की व्यवस्था नहीं की। जो ट्रेनों चल रही हैं, उनमें भी दो-चार ट्रेनें रोजाना रद्द ही रहती हैं। ऐसे में यात्रियों की भीड़ होना लाजिमी है।

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