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Modi-Trump Talks: तेजस के लिए संकटमोचक और अब देगा दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार F-35: जानें क्यों खास है अमेरिका-भारत के बीच यह RDP समझौता

MAGA ने MIGA से मिलाया हाथ: भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी का नया अध्याय

himanshumishra द्वारा himanshumishra
14 February 2025
in चर्चित, रक्षा, विश्व
PM Modi In USA : RDP Deal

PM Modi In USA : RDP Deal (image Source: Economic Times)

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इस हफ्ते वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात ने भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया मोड़ दिया। जहां राष्ट्रपति ट्रंप(Modi-Trump Talks) का प्रसिद्ध नारा “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (MAGA) अमेरिका की मजबूती का प्रतीक है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने “मेक इंडिया ग्रेट अगेन” (MIGA) का नया दृष्टिकोण प्रस्तुत कर भारत को एक मजबूत वैश्विक शक्ति बनाने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों देशों ने एक 10-वर्षीय रक्षा ढांचे की रूपरेखा तैयार करने के लिए बातचीत शुरू करने पर सहमति जताई, जो 2025 से 2035 तक लागू होगी। इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और गहरा करना है। इसे “21वीं सदी में अमेरिका-भारत मेजर डिफेंस पार्टनरशिप” का नाम दिया गया है, जो संयुक्त सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने और सहयोग को नई ऊंचाई तक ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही, दोनों देश “रेसिप्रोकल डिफेंस प्रोक्योरमेंट” (RDP) समझौते पर चर्चा शुरू करने वाले हैं।

इस समझौते का मकसद रक्षा उपकरणों और सेवाओं की खरीद को आसान बनाना है, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और अधिक प्रभावी और तेज हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक फाइटर जेट्स में से एक ‘F-35’ देने की बात कही है।

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यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका, दोनों ही, वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस साझेदारी का असर न केवल दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं पर पड़ेगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर एक नई शक्ति संतुलन स्थापित करने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाएगा।

F-35: भारत के लिए गेमचेंजर फाइटर जेट, जो बदल सकता है सामरिक समीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान एक बड़ा ऐलान हुआ(Modi-Trump Talks), जो भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई तक ले जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका भारत को दुनिया के सबसे घातक और अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में से एक, एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट, देने के लिए तैयार है। इस ऐलान के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है, जिनके पास यह उन्नत तकनीक उपलब्ध है।

वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस(Modi-Trump Talks) में ट्रंप ने कहा, “हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।” यह कदम भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने के साथ-साथ भारत को वैश्विक रक्षा शक्ति बनाने में मदद करेगा।

F-35
F-35(Image Source: X)

 

हालांकि, एफ-35 की बिक्री प्रक्रिया में कई साल लग सकते हैं। यह विमान अपनी उन्नत तकनीक और जटिल उत्पादन प्रक्रिया के कारण बेहद संवेदनशील है। यही वजह है कि अमेरिका ने पहले तुर्की को एफ-35 देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसे आशंका थी कि रूस इस तकनीक को चुरा सकता है। लेकिन भारत के साथ अमेरिका का भरोसा और गहरी रणनीतिक साझेदारी इस डील को संभव बना सकती है।

एफ-35: भारत के लिए क्यों है खास?

एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है, दुनिया के सबसे उन्नत और बहुपयोगी फाइटर जेट्स में से एक है। यह केवल एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो आधुनिक युद्ध की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।

एफ-35 के तीन वेरिएंट्स:

  • F-35A: पारंपरिक टेकऑफ और लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया, जो वायुसेना के लिए है।
  • F-35B: वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (VTOL) की क्षमता, जिसे मरीन कॉर्प्स उपयोग करता है।
  • F-35C: एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेशन्स के लिए, नौसेना के लिए तैयार किया गया।

कौन-कौन कर रहा है एफ-35 का इस्तेमाल? 

वर्तमान में अमेरिका, यूके, इज़राइल, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इटली, नॉर्वे, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया और कनाडा जैसे देश एफ-35 का उपयोग कर रहे हैं। यदि भारत इसे प्राप्त करता है, तो यह देश की वायुसेना को न केवल नई क्षमताओं से लैस करेगा, बल्कि वैश्विक सैन्य मानचित्र पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।

एफ-35 की प्रमुख विशेषताएं:

  • स्टेल्थ टेक्नोलॉजी: यह लड़ाकू विमान रडार से बचने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह दुश्मन के इलाके में बिना पकड़े ऑपरेट करने की क्षमता रखता है।
  • मल्टीरोल क्षमता: यह हवा से हवा, हवा से जमीन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे मिशनों को अंजाम दे सकता है।
  • अत्याधुनिक एवियोनिक्स: इसमें एडवांस्ड सेंसर, डेटा लिंक और फ्यूजन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जो पायलट को युद्ध क्षेत्र की सटीक जानकारी प्रदान करता है।
  • सुपरसोनिक स्पीड: यह 1.6 मैक (1931 किमी/घंटा) तक की रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
  • वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (F-35B): इस विशेषता के कारण यह छोटे एयरक्राफ्ट कैरियर्स से भी ऑपरेट किया जा सकता है।
  • नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर: यह अन्य लड़ाकू विमानों, ड्रोन और ग्राउंड सिस्टम के साथ डेटा साझा कर सकता है, जिससे युद्ध में सामरिक बढ़त मिलती है।
  • अत्याधुनिक हथियार प्रणाली: एफ-35 में AIM-120 AMRAAM मिसाइल, JDAM बम, और ASRAAM मिसाइल जैसे उन्नत हथियार लगाए जा सकते हैं।

भारत के लिए क्या होगा इसका महत्व? 

एफ-35 का भारत में शामिल होना केवल वायुसेना की ताकत बढ़ाने तक सीमित नहीं रहेगा। यह भारत की सामरिक शक्ति को उस स्तर तक पहुंचाएगा, जहां वह चीन से न केवल बराबरी कर सके, बल्कि बढ़त भी हासिल कर सके।

यह डील भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रक्षा संबंधों का प्रतीक है। साथ ही, यह भारत की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य, ‘मेक इन इंडिया’, और ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’ (MIGA) के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

RDP समझौता

दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए ‘पारस्परिक रक्षा खरीद’ (Reciprocal Defence Procurement – RDP) समझौते पर बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया है। यह RDP समझौता दोनों देशों की रक्षा खरीद प्रणालियों को एकरूप करेगा और उन्हें रक्षा वस्तुओं और सेवाओं की आपसी आपूर्ति में मदद देगा।

इस समझौते के तहत, भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष, वायु रक्षा, मिसाइल, समुद्री और पानी के नीचे की तकनीकों में आपसी सहयोग को तेज करने का वादा किया है। संयुक्त बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (F-35) और पानी के भीतर संचालित रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति पर अपनी नीति की समीक्षा करेगा।

अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा उपकरणों की बिक्री और सह-उत्पादन को बढ़ाने की योजना बनाई है। इसमें अत्याधुनिक “जैवलिन” एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और “स्ट्राइकर” इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल का सह-उत्पादन शामिल है। इसके साथ ही, भारतीय महासागर में निगरानी क्षमता को और मजबूत करने के लिए भारत छह और P-8I समुद्री गश्ती विमानों की खरीद को अंतिम रूप देने के करीब है।

संयुक्त बयान(Modi-Trump Talks) में कहा गया है कि “भारत के सैन्य बेड़े में पहले से ही अमेरिकी रक्षा उपकरणों का महत्वपूर्ण स्थान है। इनमें C-130J सुपर हरक्यूलिस, C-17 ग्लोबमास्टर III, P-8I पोसिडॉन विमान; CH-47F चिनूक, MH-60R सीहॉक्स, और AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर शामिल हैं। इसके अलावा हार्पून एंटी-शिप मिसाइलें, M777 होवित्ज़र और MQ-9B ड्रोन जैसे उपकरण भी भारतीय सेना का हिस्सा बन चुके हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की कि भारत की रक्षा आवश्यकताओं को तेजी से पूरा करने के लिए “जैवलिन” और “स्ट्राइकर” जैसे उपकरणों के लिए नए सह-उत्पादन और खरीद समझौतों को इस वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके अलावा, संयुक्त बयान(Modi-Trump Talks) में कहा गया है कि छह अतिरिक्त P-8I गश्ती विमानों की खरीद से भारत की समुद्री निगरानी क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।

यह कदम न केवल दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत करेगा, बल्कि भारत को अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने में मदद करेगा। रक्षा सहयोग का यह नया दौर, भारत और अमेरिका की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में सहयोग करेंगे।

तेजस के लिए भी संकटमोचन बना था अमरीका

भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम तेजस को अमेरिका का अहम सहयोग मिला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मार्च-अप्रैल तक पांच तेजस फाइटर जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने बड़ा कदम उठाते हुए तेजस जेट के लिए संशोधित एयरोइंजन की डिलीवरी मार्च से शुरू करने का वादा किया है।

तेजस प्रोग्राम भारत की रक्षा क्षमता को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम पहल है। हालांकि, इसके उत्पादन में हो रही देरी भारतीय वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रनों की घटती संख्या के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी। ऐसे में अमेरिका की यह मदद तेजस प्रोजेक्ट को गति देने और वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

तेजस मार्क-1ए में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और इजरायली रडार का सफल इंटीग्रेशन पहले ही पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा, स्वदेशी एस्ट्रा एयर-टू-एयर मिसाइल का परीक्षण जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इस विमान ने मार्च 2024 में अपनी पहली उड़ान भरी थी और अब इसे वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक तैयार किया जा रहा है।

हालांकि, 99 जीई-404 इंजनों की डिलीवरी में दो साल की देरी ने प्रोजेक्ट की रफ्तार को धीमा कर दिया था। HAL ने इसके लिए अगस्त 2021 में 5,375 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। अब, जनरल इलेक्ट्रिक ने अगले महीने से इंजन की डिलीवरी शुरू करने का भरोसा दिया है। डिलीवरी योजना के तहत, 2026 तक 12 इंजन और उसके बाद हर साल 20 इंजन भारत को सौंपे जाएंगे।

यही नहीं, साल 2022 में तेजस ने वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस समेत छह देशों ने तेजस में दिलचस्पी दिखाई, जबकि मलेशिया ने अपने अधिग्रहण कार्यक्रम के तहत इस जेट को पहले ही शॉर्टलिस्ट कर लिया है। यह सहयोग न केवल तेजस के उत्पादन को गति देगा, बल्कि भारतीय वायुसेना की ताकत को भी मजबूती प्रदान करेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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