समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गौशाला से दुर्गंध आने को लेकर दिए गए बयान को लेकर ज़ोरदार हंगामा मचा हुआ है। गाय को हिंदू धर्म में माता के रुप में पूजा जाता है और गौशालाएं इन्हीं के संरक्षण का केंद्र हैं। भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति अखिलेश की संवेदनहीनता जगजाहिर है और इस बयान ने उनकी तुष्टिकरण की नीति में एक और आयाम जोड़ दिया है। अखिलेश के इस बयान की कई साधु-संतों ने आलोचना की है। अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने भी अखिलेश यादव के बयान की तीखी आलोचना करते हुए उनके बयान की निंदा की है।
अखिलेश ने क्या कहा था?
अखिलेश यादव ने कन्नौज में बीजेपी को घेरते हुए गौशाला से दुर्गंध आने को लेकर बयान दिया था। अखिलेश यादव ने कहा था कि समाजवादी लोग विकास और खुशहाली चाहते हैं। उन्होंने कहा, “कन्नौज में रहकर हम लोगों ने भाईचारे की सुगंध दी है। ये जो भाजपा के लोग हैं उनकी नफरत की दुर्गंध है।” अखिलेश ने कहा, “मैं कन्नौज के सुगंध वाले लोगों से कहूंगा कि ये लोग भाजपा के दुर्गंध को हटाएं। अभी तो थोड़ी हटाई है, अगली बार और हटा दो जिससे की कन्नौज का रुका हुआ विकास आगे बढ़ जाए। दुर्गंध पसंद करते हैं इसलिए गौशाला बना रहे हैं। हम सुगंध पसंद कर रहे थे इसलिए इत्र पार्क बना रहे थे। हम लोग सुगंध पसंद करने वाले लोग हैं, इसलिए परफ्यूम पार्क बना रहे हैं। ये दुर्गंध वाले लोग हैं।”
#WATCH कन्नौज: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “…ये(भाजपा) दुर्गंध पसंद करते हैं इसलिए गौशाला बना रहे हैं, हम सुगंध पसंद कर रहे थे इसलिए इत्र पार्क बना रहे थे। सरकार सांड पकड़ रही है या नहीं? उसका भी पैसा खा जा रहे हैं।” (26.03) pic.twitter.com/iTEyYd3q9h
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 27, 2025
जितेंद्रानंद सरस्वती ने दी प्रतिक्रिया
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एक वीडियो जारी किया है। जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, “जिस यदुवंशी को गौ माता के गोबर से दुर्गंध आने लगे, उस यदुवंशी का विनाश निकट होता है। मैं तो ये कहूंगा कि जिस यदुवंशी को गाय के दूध, गोबर, गोशाला से दुर्गंध आती हो, उसे अपना डीएनए टेस्ट कराना चाहिए। इनके पुरखे ऊपर बैठकर रो रहे होंगे कि कैसा कपूत पैदा किया है जिसे अपने यदुवंश के बारे में भी ठीक से पता नहीं है।”
साथ ही, जितेंद्रानंद सरस्वती ने अखिलेश के इत्र पार्क बनाने से जुड़े बयान पर कहा कि इत्र तो मुसलमान लगाते थे जो महीनों नहीं नहाते थे और जिनके शरीर से दुर्गंध आती थी। उन्होंने कहा कि किसी यदुवंशी को अगर गौशाला व गोबर से दुर्गंध और इत्र से खुशबू आती हो तो उसका डीएनए भी संदेह के घेरे में है।
अखिलेश यादव का यह बयान साफ तौर पर दिखाता है कि किस तरह वो केवल एक वोट बैंक को खुश करने की कोशिश में गौशाला पर इस तरह के सवाल उठा रहे हैं। खुद को यादव समुदाय का नेता कहने वाले अखिलेश तुष्टिकरण की राजनीति में यह भी भूल गए कि उनका समुदाय खुद परंपरागत रूप से गौपालन से जुड़ा रहा है। इस बयान से ना सिर्फ उनकी संकीर्ण सोच पता चलती है बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि वे तुष्टिकरण की नीति पर चलने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।