नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम के दौरान हफ्ते में 90 घंटे तक काम करने की सलाह दी थी जिस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। दुनिया भर में समय-समय पर काम के घंटों और उत्पादकता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कुछ हफ्तों पहले की ही बात है जब इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम की सलाह दी थी उसके कुछ समय बाद लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी। अब अमिताभ कांत की सलाह और अखिलेश की प्रतिक्रिया को लेकर एक बार काम के हफ्तों को लेकर बहस शुरू हो गई है।
अमिताभ कांत ने क्या कहा?
अमिताभ कांत ने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के ‘मंथन शिखर सम्मेलन’ में सलाह दी थी कि भारतीयों को 2047 तक 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। कांत ने कहा कि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया ने एक मजबूत कार्य नीति के ज़रिए ही सफलता हासिल की है और भारत में भी इसी तरह की मानसिकता विकसित किए जाने की ज़रूरत है। कांत ने कहा कि कड़ी मेहनत ना करने की बात करना नया ‘फैशन’ बन गया है।
उन्होंने कहा, “मैं कड़ी मेहनत में दृढ़ता से विश्वास करता हूं। भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए, चाहे वह सप्ताह में 80 घंटे हों या 90 घंटे (काम करना) हो। यदि आपकी महत्वाकांक्षा 4 ट्रिलियन डॉलर से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है, तो आप इसे मनोरंजन के माध्यम से या कुछ फिल्मी सितारों के विचारों का अनुसरण करके नहीं कर सकते।”
अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांत के इस बयान के बाद प्रतिक्रिया देते हुए एम्प्लॉयीज़ के नाम एक ‘पत्र’ लिखा है। अखिलेश ने कहा, “जो लोग एम्प्लॉयीज़ को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं क्योंकि इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है। और आम जनता का सवाल ये भी है कि जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का फ़ायदा कुछ गिने चुने लोगों को ही मिलना है तो ऐसी 30 ट्रिलियन की इकोनॉमी हो जाए या 100 ट्रिलियन की, जनता को उससे क्या।”
अखिलेश ने आगे कहा, “यह लोग न भूलें कि युवाओं के सिर्फ़ हाथ-पैर या शरीर नहीं, एक दिल भी होता है जो खुलकर जीना चाहता है और बात घंटों काम करने की नहीं होती बल्कि दिल लगाकर काम करने की होती है। आज जो लोग युवाओं को ये सलाह दे रहे हैं, वो दिल पर हाथ रखकर बताएं कि ये विचार उन्हें तब आया था क्या जब वो युवा थे और आया भी था और उन्होंने अपने समय में अगर 90 घंटे काम किया भी था तो फिर आज हम इतने कम ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी तक ही क्यों पहुँचे।”
उन्होंने आगे कहा, “वर्क एंड लाइफ का बैलेंस ही मानसिक रूप से एक ऐसा स्वस्थ वातावरण बना सकता है, जहाँ युवा क्रिएटिव और प्रॉडक्टिव होकर सही मायने में देश और दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं। अगर भाजपाई भ्रष्टाचार ही आधा भी कम हो जाए तो अर्थव्यवस्था अपने आप दुगनी हो जाएगी। जिसकी नाव में छेद हो उसकी तैरने की सलाह का कोई मतलब नहीं।”
मोदी-मुलायम से सीखेंगे अखिलेश?
अमिताभ कांत ने जो बातें कही हैं उनमें उनकी सलाह भारत को भविष्य के लिए तैयार करने पर है। अमिताभ का मानना है कि यदि हमें एक विकसित, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत बनाना है, तो प्रत्येक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी। इस उदाहरण को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने जब सपा की स्थापना की थी तो वे खुद भी कितने घंटे काम करते हैं। दावा किया जाता है कि मुलायम सिंह यादव हर दिन 14-15 घंटे काम करते थे। जिस पार्टी को आज अखिलेश यादव हक के साथ चलाते हैं उसे खड़ा करने में मुलायम ने जी-तोड़ मेहनत की थी। तब शायद ‘वर्क लाइफ बैलेंस’ का खयाल भी मुलायम के मन में नहीं आया होगा।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विषय में माना जाता है कि वे रोज़ाना करीब 18 घंटे काम करते हैं। पीएम मोदी 74 वर्षों के हैं। उन्हें वर्क लाइफ बैलेंस की कितनी चिंता है और उनका ‘वर्क लाइफ बैलेंस’ 18 घंटे काम करने के क्या वाकई बिगड़ जाता है? दूसरी ओर एक युवा आबादी से जिससे ज़्यादा काम की अपेक्षा किए जाने को भी अखिलेश यादव ने ‘बीजेपी के भ्रष्टाचार’ से जोड़ दिया है। देश की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कड़ी मेहनत किए जाने की ज़रूरत है इसमें कोई दो राय नहीं है। ऐसे में इस तरह की सलाह को भी ‘भ्रष्टाचार’ जैसी चीज़ों से जोड़ दिए जाएगा तो युवाओं पर उसका क्या असर होगा, यह सोचा जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी अखिलेश यादव पर देर से काम शुरू करने के आरोप लगाते आए हैं। योगी आदित्यनाथ के बारे में कहा जाता है कि वे सुबह 3-4 बजे उठ जाते हैं वे अक्सर अखिलेश को लेकर कहते हैं कि वे 12 बजे तक सोते रहते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण हो जाती है कि क्या वे नहीं चाहते हैं कि देश के युवा और मेहनत करें। देश की प्रगति उसके नागरिकों की मेहनत पर निर्भर करती है। जब हर व्यक्ति अपने कार्य को ईमानदारी और परिश्रम से करेगा तब ही समाज आगे बढ़ेगा। भारत को विकसित बनने के लिए उद्योग से लेकर कृषि और शिक्षा से लेकर विज्ञान तक, हर क्षेत्र में जी-तोड़ मेहनत किए जाने की ज़रूरत है।
भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए मेहनत जरूरी है, बेशक संतुलन भी आवश्यक है। युवाओं की मेहनत के दम पर ही भारत वे लक्ष्य हासिल कर सकता है जिनका लक्ष्य 2047 तक तय किया गया है। सशक्त राष्ट्र बनने के लिए यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति अपने कार्य को पूरी निष्ठा से करे। भारत को अपने सपनों को सच करना है तो इसमें मेहनत भी करनी होगी उसी से भारत फिर एक बार ‘विश्व गुरु’ के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा। जब देश की प्रगति होगी तो देश के हर नागरिक की प्रगति होगी, यह बोलने में अखिलेश यादव हिचक रहे हैं जो बिल्कुल सही नहीं ठहराया जा सकता है।