संसद के चालू सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है। हालांकि मुस्लिम नेताओं से लेकर मुस्लिम संगठनों तक इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस विधेयक की जरिए मुस्लिमों के अधिकारों को हड़पने की सरकार कोशिश कर रही है। वहीं, जमीयत उलेमा ए हिंद से लेकर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी तक अफवाह फैला रहे हैं कि सरकार इस विधेयक के जरिए मुस्लिमों के मस्जिदों से लेकर उनकी संपत्तियों पर कब्जा कर लेगी। इस तरह के दावे करके ये लोग मुस्लिमों को गलत जानकारी दे रहे हैं और अफवाह फैलाकर उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
हमने अपने कई आलेखों में बताया कि इस तरह की अफवाह फैलाने के पीछे वास्तविक उद्देश्य क्या है। वहीं, वक्फ बोर्ड को पिछली कांग्रेस सरकारों ने इतना अधिकार दे दिया था कि ये समानांतर व्यवस्था चलाने लगे थे। वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपनी बताकर उस पर कब्जा कर लेता था और वक्फ कानून के तहत उसके इस दावों को कोर्ट में चुनौती तक नहीं दी जा सकती है। वक्फ के इन्हीं असीमित अधिकारों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पास किया है, जिसे संसद के दोनों सदनों से पास कराया जाना बाकी है। हमने अपने पिछले आलेख में बताया था कि वक्फ ने अनियंत्रित शक्तियों के दुरुपयोग करते हुए तमिलनाडु और कर्नाटक में कई गाँवों, सरकारी इमारतों, किलों और मंदिरों को संपत्ति घोषित कर दी। इसके साथ ही गुजरात वक्फ बोर्ड द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका और सूरत में वक्फ बोर्ड को दावों के बारे में बताया था।
इस आलेख में हम उत्तर प्रदेश में वक्फ द्वारा प्रमुख सरकारी संपत्तियों पर किए जाने वाले दावों की हम चर्चा करेंगे। प्रदेश की जिन सार्वजनिक संपत्तियों पर यूपी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोका, उनमें लखनऊ का छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, बेगम हजरत महल पार्क, शिव मंदिर, ऐशबाग ईदगाह, टीले वाली मस्जिद, राजभवन, बरनारस का यूपी कॉलेज, काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का शाही ईदगाह, आगरा का ताजमहल, आगरा का किला, फतेहपुर सीकरी का किला, संभल का ,विवादित ढांचा रामपुर का इमामबाड़ा किला-ए-मुअल्ला, रामपुर का काशबाग इमामबाड़ा, फैजाबाद का बहू बेगम का मकबरा, जौनपुर का अटाला मस्जिद, अयोध्या की अनेक संपत्तियाँ आदि प्रमुख नाम हैं। उत्तर प्रदेश का शायद ही ऐसा कोई जिला है, जहाँ की संपत्तियों पर वक्फ ने अपना दावा नहीं ठोका हो। उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड ने कुल 57,792 सरकारी संपत्तियों पर दावा किया है। इन संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 28,912 एकड़ है। वहीं, वक्फ द्वारा किया गया कुल दावा 14,000 हेक्टेयर यानी 34,595 एकड़ है। यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 2,10,239 संपत्तियों और शिया वक्फ बोर्ड ने 15,386 संपत्तियों पर दावा ठोका है।
उत्तर प्रदेश के पांच जिलों में यूपी वक्फ बोर्ड ने बड़ी संख्या में सरकारी संपत्तियों पर ना सिर्फ अपना दावा किया है, बल्कि उन पर कब्जा भी कर रखा है। इन पांचों जिले में से प्रत्येक जिले में वक्फ बोर्ड ने 2,000 से अधिक संपत्तियों पर दावा किया है। हालाँकि, इन जिलों के राजस्व रिकॉर्ड में संपत्तियाँ सरकारी हैं और वे सार्वजनिक उपयोग की श्रेणी में आती हैं। वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी वक्फ बोर्ड ने जिन संपत्तियों पर अपना दावा हैं, उनमें शाहजहाँपुर में 2,589 संपत्तियाँ दर्ज हैं। इन संपत्तियों में 2,371 सरकारी संपत्तियाँ हैं। रामपुर में वक्फ बोर्ड ने 3,365 संपत्तियों पर दावा किया है, जिनमें से 2,363 सरकारी संपत्ति हैं। इसी तरह अयोध्या में वक्फ बोर्ड ने 3,652 अपनी संपत्ति बताई है। इनमें से 2,116 सार्वजनिक संपत्ति हैं। जौनपुर में 4,167 संपत्तियों पर अपना दावा है, जिनमें से 2,096 सरकारी संपत्ति हैं। वहीं, बरेली में वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए 3,499 वक्फ संपत्तियों में से 2,000 सरकारी जमीनों पर बनी हैं।
इन जिलों के अलावा, उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड ने लखीमपुर खीरी में 1792 सरकारी संपत्तियों पर दावा किया है। उसी तरह बुलंदशहर में 1778, फतेहपुर में 1610, सीतापुर में 1581, आजमगढ़ में 1575, सहारनपुर में 1497, मुरादाबाद में 1471, प्रतापगढ़ में 1331 संपत्तियाँ सरकारी हैं। बनारस में वक्फ ने 406 सरकारी संपत्तियों को अपनी रजिस्टर में दर्ज कर लिया है। ये संपत्तियाँ लगभग 193 एकड़ में फैली हैं। ये संपत्तियाँ सरकार के विभिन्न विभागों की हैं, जिन पर कब्जा कर लिया गया है। इन पर मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान, दरगाह, इमामबाड़ा आदि बना दिए गए हैं। इस जिले में वक्फ ने कुल 1637 संपत्तियों पर दावा किया है। इनमें से 1537 पर सुन्नी वक्फ बोर्ड और 100 पर शिया वक्फ बोर्ड ने दावा किया है। जिन संपत्तियों पर वक्फ ने दावा किया है, उनमें खेत, खलिहान, मकान, सार्वजनकि जमीन, इमारतें आदि शामिल हैं।
कानपुर में भी सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ ने अपनी कुल 1,670 संपत्तियाँ बताई हैं। जिला प्रशासन ने सर्वे किया तो पता चला कि वक्फ बोर्ड ने 548 सरकारी संपत्तियों पर कब्जा रखा है। कानपुर में वक्फ जिन सरकारी संपत्तियों को अपनी बता रहा है, उन जमीनों पर मस्जिद और कब्रिस्तान बने हैं। आगरा, अलीगढ़, गाजीपुर, मेरठ, संभल, अमरोहा, देवरिया, बिजनौर आदि जिलों में भी वक्फ बोर्ड ने हजारों संपत्तियों पर दावा किया है। इनमें से अधिकांश संपत्तियाँ सरकारी हैं या सरकारी जमीनों पर बनी हैं या सरकारी इमारते हैं। दरअसल, साल 1989 में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार के एक आदेश के कारण प्रदेश की बंजर और ऊसर जमीनों को भी वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो सीएम योगी ने साल 2022 में इस आदेश को राजस्व कानूनों और वक्फ अधिनियम के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया था।