हिंदुओं के त्यौहारों पर लगातार हमले: कैसे कट्टरपंथ की प्रयोगशाला बन रहा है झारखंड?

भारत में कट्टरपंथियों की हिम्मत इस हद तक बढ़ चुकी है कि पुलिस और सुरक्षा बल उनके सामने बौने साबित हो रहे हैं- ना उन्हें कानून का डर है और ना किसी सज़ा का खौफ है। हर दिन हिंदुओं के त्यौहारों, जुलूसों, शोभायात्राओं पर हमले हो रहे हैं। हाल ही में झारखंड के हज़ारीबाग में रामनवमी के मंगला जुलूस पर जामा मस्जिद चौक के पास पथराव किया गया है। झारखंड में हिंदुओं को निशाने बनाने का यह सिलसिला कोई नया नहीं है, झारखंड पिछले कुछ वर्षों में कट्टरपंथ की नई प्रयोगशाला की तरह उभरकर सामने आ रहा है। झारखंड में आए दिन हिंदुओं पर हमले होते हैं, पिछले महीने ही होली से लेकर महाशिवरात्रि तक झारखंड में हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। इस लेख में हम जानेंगे कि पिछले कुछ वर्षों में झारखंड में कैसे हिंदुओं के त्यौहारों को निशाना बनाया गया है।

2025 में हिंदुओं के त्यौहारों पर हमले-

2024 में झारखंड में हिंदुओं के त्यौहारों पर हमले-

2023 में झारखंड में हिंदुओं के त्यौहारों पर हमले-

2022 में झारखंड में हिंदुओं के त्यौहारों पर हमले-

हिंदुओं पर हमले की ये घटनाएं बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह झारखंड में कोई भी त्यौहार बिना हमले, दंगे के पूरा करना एक चुनौती बन गया है। अपनी पहचान स्थापित करने के लिए एक समूह लगातार देश में आक्रामकता दिखा रहा है। सहिष्णुता बनाम कट्टरता की यह लड़ाई दिन-ब-दिन गहराती जा रही है। इसके चलते धार्मिक आयोजन और उत्सव अब डर और तनाव का कारण बन गए हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक पक्षपाती रुख ने इन घटनाओं को और बढ़ावा ही दिया है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो समाज में एक बड़ी खाई पैदा हो सकती है, जो आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकती है।

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