इटावा (उत्तर प्रदेश)। त्योहार न केवल संस्कृति के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं बल्कि इनका बड़ा आर्थिक असर भी नज़र आता है। होली के त्योहार की रौनक देशभर के बाज़ारों में नज़र आ रही है। इस बार एक नया ट्रेंड सबको अपनी ओर खींच रहा है। यहां ‘मेक इन इंडिया’ का असर साफ दिख रहा है। जहां पिछले सालों में चीनी सामानों का बोलबाला था, वहीं इस बार स्वदेशी उत्पादों की बिक्री में भारी वृद्धि देखी जा रही है। होली के इस त्योहार पर बच्चों और युवाओं के लिए पिचकारियां हमेशा आकर्षण का केंद्र रही हैं। पहले बाजारों में चीनी पिचकारियों की भरमार थी लेकिन इस बार भारतीय निर्मित पिचकारियों की मांग ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश के इटावा में भी होली के बाज़ार सज चुके हैं। यहां पर एक दुकानदार गोविंद वर्मा का कहना है, “भारतीय पिचकारियां चाइनीज पिचकारियों से ज्यादा मजबूत और टिकाऊ होती हैं, जिस कारण ग्राहक इन्हें ज्यादा पसंद कर रहे हैं। पहले लोग सस्ती चाइनीज पिचकारियों को खरीदते थे। लेकिन, अब वे स्वदेशी उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं।” होली के बाजार में मुखौटों की हमेशा मांग रहती है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखौटे की बिक्री ने सबको हैरान कर दिया है। दुकानदारों का कहना है कि इस बार मोदी जी के मुखौटों की मांग बहुत ज्यादा है। हर साल बॉलीवुड और राजनीतिक हस्तियों के मुखौटे बाजार में आते हैं। लेकिन इस बार मोदी मुखौटे की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है।
वहीं, होली पर रंगों के चलते कुछ लोगों की त्वचा पर असर पड़ने की भी संभावना रहती है। इसे लेकर डॉक्टर अमित गुप्ता का कहना है कि हर साल होली पर लोग रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे त्वचा और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इस बार लोग हर्बल रंगों और गुलाल को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने बताया, “रासायनिक रंग त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जबकि हर्बल रंग सुरक्षित होते हैं और शरीर को ठंडक भी देते हैं। हमें हमेशा प्राकृतिक गुलाल और हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।”
व्यापारियों का कहना है कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का सकारात्मक असर अब बाजारों में दिखाई देने लगा है। पहले सस्ते दामों के कारण चीनी सामान ज्यादा बिकते थे, लेकिन अब स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता के कारण लोग इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं। इस बार की होली में जहां एक तरफ पर्यावरण का ख्याल रखा जा रहा है, वहीं ‘मेक इन इंडिया’ के प्रभाव से स्वदेशी सामानों की बिक्री भी बढ़ रही है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री व बीजेपी सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि होली के त्योहार की बिक्री में चीन का बने हुए सामान का व्यापारियों एवं ग्राहकों ने बहिष्कार किया और भारत में ही निर्मित सामानों की जमकर बिक्री हो रही है। कैट के आंकड़ों की मानें तो इस साल होली के त्योहार पर 60,000 करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। पिछले वर्ष यही कारोबार लगभग 50,000 करोड़ रुपये का था।