अफ्रीका में 10000 घट गई शेरों की संख्या, गीर में 29% की वृद्धि: भारत मे सुरक्षित है जंगल के राजा का भविष्य

जानें अब की स्थिति और पहले कितने थे

गिर नेशनल पार्क में शेरों की संख्या में 29% इजाफा

गिर नेशनल पार्क में शेरों की संख्या में 29% इजाफा

सोमवार (3 मार्च 2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गुजरात दौरे के तहत जूनागढ़ स्थित गिर नेशनल पार्क पहुंचे, जहां उन्होंने जंगल सफारी का लुफ्त उठाया। यह सफारी सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, बल्कि कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। दुनियाभर में शेरों की आबादी लगातार घट रही है, जिसकी मुख्य वजह जंगलों की अंधाधुंध कटाई और अवैध शिकार मानी जाती है। खासतौर पर अफ्रीका में हालात गंभीर होते जा रहे हैं।

2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते 10 वर्षों में अफ्रीकी देशों में शेरों की संख्या में 10,000 की कमी दर्ज की गई है। एक सदी पहले वहां शेरों की आबादी 2 लाख से अधिक थी, लेकिन लगातार गिरावट के चलते 2020 तक यह संख्या 40,000 से घटकर महज 20,000 रह गई। पश्चिमी अफ्रीका में तो हालात और भी चिंताजनक हैं, जहां कई प्रजातियां तेजी से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं।

गिर नेशनल पार्क में शेर

वहीं, भारत में स्थिति थोड़ी अलग है। केंद्र सरकार के निरंतर प्रयासों के चलते शेरों की आबादी में 29% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी को देखते हुए गिर नेशनल पार्क पहुंचे पीएम मोदी ने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की 7वीं बैठक के दौरान घोषणा की कि देश में एशियाई शेरों की गिनती के 16वें चक्र का ऐलान किया । इसके साथ ही, शेरों के संरक्षण को और अधिक मजबूती देने के लिए ‘प्रोजेक्ट लायन’ के तहत 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी भी दी गई है।

भारत में शेरों का भविष्य सुरक्षित

गिर नेशनल पार्क, जिसे एशियाई शेरों का आखिरी घर माना जाता है, भारत के सबसे प्रतिष्ठित वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। यह 1,412 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और दुनियाभर में एशियाई शेरों की जीवित आबादी का अंतिम प्राकृतिक निवास स्थान है। गिर के जंगलों में शेरों के साथ ही 2,375 से अधिक प्रजातियों के अन्य वन्यजीव भी बसे हुए हैं, जो इसे जैव विविधता के लिहाज से बेहद खास बनाते हैं।

जहां एक तरफ अफ्रीका में शेरों की संख्या लगातार घट रही है, वहीं भारत ने इस मोर्चे पर एक बड़ी सफलता हासिल की है। केंद्र सरकार के संरक्षण प्रयासों के चलते गिर के जंगलों में शेरों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। 2020 की गणना के अनुसार, गिर में शेरों की संख्या 674 तक पहुंच गई, जो 2015 में 523 थी। महज पांच सालों में शेरों की संख्या में 29% की वृद्धि दर्ज की गई है। यही नहीं, 2020 के आंकड़ों के अनुसार, गिर जंगलों में शेरों के फैलाव क्षेत्र में भी 36% की बढ़ोतरी हुई है, जिससे उनके लिए सुरक्षित आवास और बेहतर परिस्थितियां तैयार हो रही हैं।

गिर के अलावा, उत्तर प्रदेश की इटावा लॉयन सफारी में भी 20 शेरों को बसाया गया है, जो भारत में शेरों के संरक्षण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। सरकार की प्रभावी नीतियों और संरक्षण योजनाओं ने भारत को उन गिने-चुने देशों में शामिल कर दिया है, जहां शेरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

भारत ने एशियाई शेरों के संरक्षण में जो सफलता हासिल की है, वह वैश्विक स्तर पर एक मिसाल बन चुकी है। गिर जंगलों में शेरों की संख्या में वृद्धि न केवल देश के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों की जीत है, बल्कि यह साबित करता है कि सही रणनीतियों से विलुप्तप्राय प्रजातियों को बचाया जा सकता है। लेकिन इस उपलब्धि को बनाए रखने के लिए सतत प्रयासों की जरूरत होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी जंगलों में शेरों की दहाड़ सुन सकें।

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