प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) ने आम जनता को किफायती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाएँ उपलब्ध कराकर देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है। इस पहल के तहत जरूरतमंदों तक सस्ती और सुलभ चिकित्सा सुविधाएँ पहुँचाने का लक्ष्य तेजी से पूरा किया जा रहा है। इसी संदर्भ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि अब तक जन औषधि केंद्रों के माध्यम से गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ जन औषधि योजना ही नहीं, बल्कि आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम जैसी अन्य सरकारी योजनाओं से भी करोड़ों जरूरतमंदों को बड़ा आर्थिक लाभ मिला है। नड्डा के मुताबिक, आयुष्मान योजना और डायलिसिस कार्यक्रम के तहत गरीब मरीजों के 16 हजार करोड़ रुपये बचाए गए हैं, जिससे उन्हें बेहतर इलाज मिल सका है।
जन औषधि केंद्रों की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि देशभर में फिलहाल 15 हजार जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं और अगले दो वर्षों में इनकी संख्या 25 हजार तक बढ़ाने का लक्ष्य है। वहीं, प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम के तहत 748 जिलों में 1,575 केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां अब तक 26.49 लाख से अधिक मरीजों को लाभ मिला है और 3.17 करोड़ से ज्यादा डायलिसिस सेशन पूरे किए जा चुके हैं।
जेपी नड्डा का बयान
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे बदलावों को लेकर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि 2014-15 में स्वास्थ्य बजट मात्र 38 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह बढ़कर अब लगभग एक लाख करोड़ रुपये हो चुका है। यह बढ़ोतरी दिखाती है कि सरकार आम नागरिकों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में टीबी के मामलों में 17.7% की कमी आई है, जो वैश्विक औसत से दोगुनी है। वहीं, टीबी से होने वाली मृत्यु दर में 21% की गिरावट दर्ज की गई है और उपचार के दायरे में भी 32% की वृद्धि हुई है। यह स्पष्ट करता है कि सरकार की योजनाएं न केवल प्रभावी हैं, बल्कि देश के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं।
सरकार अब 30 साल की उम्र के बाद सभी नागरिकों के ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की नियमित जांच सुनिश्चित कर रही है। अब तक 100 करोड़ से अधिक लोगों की ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग हो चुकी है और 88.5 करोड़ लोगों की डायबिटीज जांच पूरी हो चुकी है। इसके अलावा, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की पहचान और रोकथाम के लिए सरकार बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग अभियान चला रही है। अब तक 26.9 करोड़ लोगों की ओरल कैंसर की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 1.63 लाख मरीजों का उपचार शुरू कर दिया गया है। इसी तरह, 14.6 करोड़ महिलाओं की स्तन कैंसर जांच की गई, जिनमें से 57 हजार मरीजों में कैंसर की पुष्टि हुई। सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए 9.04 करोड़ महिलाओं की स्क्रीनिंग हो चुकी है, जिनमें 97 हजार महिलाओं को बीमारी की पहचान के बाद इलाज मुहैया कराया जा रहा है।
जेपी नड्डा ने यह भी बताया कि झज्जर (हरियाणा) में एक विश्व स्तरीय कैंसर संस्थान स्थापित किया गया है, जिसे दुनिया के बेहतरीन कैंसर उपचार केंद्रों में शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा, कोलकाता स्थित चित्तरंजन कैंसर इंस्टीट्यूट को भी 500 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है, जिससे वहां के मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। इसके साथ ही, सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब तक 4.80 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, और 1.65 करोड़ लोगों को विशेष कार्ड जारी किए गए हैं। इन कार्डों की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कोई दंपति इस बीमारी को अगली पीढ़ी तक पहुंचा सकता है या नहीं, जिससे नवजात शिशुओं को इस अनुवांशिक बीमारी से बचाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, सरकार ने 225 मेडिकल स्टोर खोले हैं, जहां कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की ब्रांडेड दवाइयां भी 50% से अधिक की छूट पर उपलब्ध हैं। अब तक 4.25 करोड़ लोग इस पहल का लाभ उठा चुके हैं, जिससे 4,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इन केंद्रों पर अब तक 7,800 करोड़ रुपये की दवाएं उपलब्ध कराई जा चुकी हैं, जिससे आम लोगों को भारी राहत मिली है।
मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं। अब तक 157 नए मेडिकल कॉलेज खोले जा चुके हैं, जिससे मेडिकल सीटों की संख्या 1.11 लाख तक पहुंच गई है। इसके अलावा, 75 हजार और नई मेडिकल सीटों की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें इस साल ही 40 हजार सीटें जोड़ी गई हैं। साथ ही, 75 नए सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक खोले गए हैं, जिससे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और इलाज की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
जेपी नड्डा के इन बयानों से साफ है कि मोदी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को न केवल सुलभ बल्कि अधिक किफायती और प्रभावी बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित है। चाहे वह गरीबों के लिए सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयों की उपलब्धता हो, गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज की व्यवस्था हो, या फिर मेडिकल शिक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में उठाए गए कदम—हर क्षेत्र में सरकार का लक्ष्य आम जनता के जीवन को स्वस्थ और सरल बनाना है।
जन औषधि योजना – सस्ती दवाएं, बेहतर इलाज, सशक्त भारत
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) आम जनता को किफायती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयाँ उपलब्ध कराकर देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। यह योजना सिर्फ गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत में सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है। आज, देशभर में 15,000 से अधिक जन औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं, जो न केवल कम कीमत पर दवाइयाँ उपलब्ध करा रहे हैं बल्कि हजारों लोगों के लिए स्वरोजगार के अवसर भी पैदा कर रहे हैं। मोदी सरकार के नेतृत्व में यह योजना सिर्फ इलाज को किफायती बना रही है बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन में भी अहम भूमिका निभा रही है। आने वाले समय में इस योजना का और विस्तार किया जाएगा, जिससे देशभर में चिकित्सा सुविधाओं की पहुँच और अधिक व्यापक हो सकेगी।
जन औषधि योजना की जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 7 मार्च को ‘जन औषधि दिवस’ मनाया जाता है। इस विशेष अवसर को और प्रभावी बनाने के लिए 1 से 7 मार्च तक पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे अधिक से अधिक लोग सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं के इस अभियान से जुड़ सकें। इस वर्ष, 1 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पीएमबीजेपी के प्रचार-प्रसार के लिए एक विशेष समारोह आयोजित किया गया।
इस योजना की शुरुआत 2008 में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा की गई थी, लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इसे असली गति और दिशा मिली। पहले जहाँ इसकी पहुँच सीमित थी, वहीं अब यह देशभर में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत कर रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (PMBJK) के माध्यम से लोगों को कम कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराना है, जिससे महंगी ब्रांडेड दवाओं पर निर्भरता कम हो और लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवा का लाभ उठा सकें।
जन औषधि योजना की प्रमुख विशेषताएँ
- गुणवत्तापूर्ण दवाएं, सस्ती कीमतों पर: यह योजना आम जनता को सस्ती दरों पर वही दवाइयाँ उपलब्ध करा रही है, जिनका चिकित्सकीय प्रभाव महंगी ब्रांडेड दवाओं के समान होता है। इससे गरीब और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है।
- जागरूकता अभियान: लोगों को यह समझाने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है कि सस्ती दवा का मतलब गुणवत्ता से समझौता नहीं होता। यह गलत धारणा खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- डॉक्टरों को जेनेरिक दवाओं के नुस्खे लिखने के लिए प्रेरित करना: सरकार डॉक्टरों और अस्पतालों को जेनेरिक दवाओं को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि महंगी ब्रांडेड दवाओं की अनावश्यक खरीद को रोका जा सके।
- हर नागरिक तक पहुँच: पीएमबीजेपी के तहत जीवनरक्षक और आवश्यक जेनेरिक दवाओं को देश के हर कोने तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे खासतौर पर वंचित और गरीब तबके को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सके।
भारत दुनिया के अग्रणी जेनेरिक दवा उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, देश के कई नागरिक महंगी ब्रांडेड दवाओं की कीमतों से परेशान थे। यह योजना इस असमानता को खत्म कर रही है और आम लोगों को राहत प्रदान कर रही है।
महिलाओं के लिए विशेष पहल
महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 27 अगस्त 2019 को “जन औषधि सुविधा” नाम से ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन लॉन्च किए गए। ये नैपकिन सिर्फ 1 रुपये प्रति पैड की दर से उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे देशभर की महिलाओं को स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है। अब तक इन नैपकिनों की कुल बिक्री 72 करोड़ तक पहुँच चुकी है। यह पहल महिला स्वच्छता को बढ़ावा देने और मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। वर्तमान में, देशभर के 15,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों पर ये नैपकिन उपलब्ध हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को किफायती और सुरक्षित समाधान मिल रहा है।
डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं की ओर एक कदम
सरकार ने जन औषधि योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए 2019 में “जन औषधि सुगम” मोबाइल ऐप लॉन्च किया। यह ऐप नागरिकों को नजदीकी जन औषधि केंद्र का पता लगाने, जेनेरिक दवाओं की जानकारी प्राप्त करने और ब्रांडेड व जेनेरिक दवाओं की कीमतों की तुलना करने की सुविधा प्रदान करता है। यह न केवल मरीजों की सुविधा बढ़ाता है बल्कि उन्हें महंगी दवाओं की तुलना में सस्ते और प्रभावी विकल्प खोजने में भी मदद करता है।
मोदी सरकार की यह पहल गरीबों, मध्यम वर्ग और आम जनता के लिए संजीवनी साबित हो रही है। यह न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को किफायती बना रही है, बल्कि भारत को आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जा रही है। जन औषधि योजना सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन बन चुकी है, जो भारत को एक स्वस्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है।
स्वास्थ्य सेवा में बदलाव: विकास पर एक नज़र
वित्तीय वर्ष | वार्षिक वृद्धि | संचयी पीएमबीजेपी केंद्र | एमआरपी मूल्य पर बिक्री (रु. करोड़ में) |
---|---|---|---|
2014-15 | 8 | 80 | 7.29 |
2021-22 | 1053 | 8610 | 893.56 |
2022-23 | 694 | 9304 | 1235.95 |
2023-24 | 1957 | 11261 | 1470 |
2024-25 (28.02.2025 तक) | 3796 | 15057 | 1767 |