दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किए गए जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर नकदी का ढेर मिलने के मामले में आंतरिक जांच चल ही रही है तो उधर चंडीगढ़ की एक अदालत ने एक जज के घर के बाहर नकदी मिलने के 17 वर्ष पुराने मामले में आज (29 मार्च) फैसला दिया है। चंडीगढ़ की एक विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अदालत ने शनिवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस निर्मल यादव को भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने निर्मल यादव, रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह के खिलाफ 2008 में भ्रष्टाचार को लेकर यह मामला दर्ज किया था। निर्मल सिंह के वकील अधिवक्ता हितेश पुरी ने ‘बार ऐंड बेंच’ को बताया कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
क्या था मामला?
रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य करते हुए 15 लाख रुपये लेने का आरोप था। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 में पंजाब एवं हरियाणा न्यायालय की तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के चपरासी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी अदालत में 15 लाख रुपये से भरा एक बैग पहुंचाया गया थी जिसे बाद में न्यायाधीश द्वारा पकड़ने के लिए कहने पर पकड़ लिया गया था।
‘बार ऐंड बेंच’ के मुताबिक, चंडीगढ़ के प्रशासक जनरल (सेवानिवृत्त) SF रोड्रिग्स के आदेश पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के क्लर्क द्वारा दिया गया पैसा न्यायमूर्ति यादव के लिए था लेकिन दो न्यायाधीशों के नाम में समानता के कारण यह गलती से न्यायमूर्ति कौर के आवास पर पहुंच गया।
न्यायमूर्ति कौर ने 2016 में ट्रायल कोर्ट को दिए गए एक बयान में बताया था, “मैं सेब खा रही थी, तभी मेरा चपरासी अंदर आया और पंजाबी में बोला, ‘मैडम, दिल्ली में कागज़ आए हैं’। मैंने कहा, ‘खोल के देख’। जब वह पैकेट पर लिपटे टेप को खोलने की कोशिश कर रहा था, तो मुझे लगा कि वे कागज़ नहीं थे और मैंने तुरंत कहा, ‘जल्दी खोल’। उसने पैकेट को फाड़ दिया और मैंने देखा कि वे करेंसी नोट थे।” बंसल ने कुछ ही मिनटों में जस्टिस कौर को फोन करके बताया कि पैसे गलती से उनके घर पहुंच गए थे।
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के मुताबिक, आरोप था कि यह नकदी 2007 में पंचकूला में एक संपत्ति विवाद में हरियाणा के तत्कालीन अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल, प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता और दिल्ली स्थित होटल व्यवसायी रविंदर सिंह भसीन के पक्ष में दिए गए फैसले के बदले में दी गई थी। इस घोटाले में नाम आने के बाद न्यायमूर्ति यादव छुट्टी पर चली गईं और बाद में उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।
सीबीआई कोर्ट की विशेष न्यायाधीश अलका मलिक ने गुरुवार को मामले की सुनवाई में कहा था कि सभी दलीलें सुनी जा चुकी हैं।17 साल की सुनवाई अवधि के दौरान, सीबीआई अदालत के प्रभारी विभिन्न न्यायाधीशों ने कम-से-कम 230 बार इस मामले में सुनवाई की थी और कई दर्जन गवाहों से पूछताछ की थी।