हिंदुओं और उनके मंदिरों तथा त्योहारों को बदनाम करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। वामपंथी मीडिया इसमें एक कदम आगे नजर आता है। हिंदू त्योहारों को लेकर कथित प्रदूषण का प्रोपेगेंडा गढ़ने के बाद वामपंथियों को हिंदुओं के व्रत रहने से भी समस्याएं होने लगी हैं। वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों के रोजा रखने से उन्हें कोई समस्या नहीं है। दरअसल, वामपंथी मीडिया रमजान के दौरान मुस्लिमों के रोजा रखने को लेकर पॉजिटिव खबरें दिखाता है। वहीं हिंदू महिलाओं के करवा चौथ का व्रत रखने को लेकर बीमारी का डर फैलाता नजर आता है।
रमजान शुरू होते ही यानी 1 मार्च, 2025 को हिंदुस्तान टाइम्स ने रोजा रखने को लेकर एक लंबा-चौड़ा लेख प्रकाशित किया। इसकी हेडिंग से लेकर पूरे लेख में रोजा रखने के फायदे बताए गए थे। उदाहरण के लिए देखें तो हिंदुस्तान टाइम्स की हेडिंग है, “रमजान 2025 के दौरान रुक-रुक कर उपवास करने (इंटरमिटेंट फास्टिंग) के लाभ: पूरे शरीर में होने वाले परिवर्तन के बारे में वह सब जो आपको भी जानना चाहिए।”
इसी तरह लेख के ‘सब हेड’ में भी रोजा रखने के फायदे बताए गए थे। वहीं लेख में रोजा रखने को कोलेस्ट्रॉल से लेकर ब्लड प्रेशर और ह्रदय संबंधी रोगों तथा हार्मोन्स के विकास के लिए फायदेमंद बताया गया है।
दूसरी ओर हिंदू महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाले व्रत करवाचौथ को लेकर वामपंथी मीडिया का रुख एकदम अलग था। रोजा रखने को स्वास्थ्य के लिए लाभकर बताने वाले हिंदुस्तान टाइम्स ने ही करवा चौथ व्रत से पहले 16 अक्टूबर, 2024 को यह लिखा था कि करवा चौथ का व्रत रखने से से हार्मोन्स संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इस पूरे लेख में हिंदुस्तान टाइम्स ने हार्मोन संबंधित इतनी अधिक समस्याओं का जिक्र हुआ है कि यदि कोई हिंदू महिला यह लेख पढ़ ले तो वह करवा चौथ का व्रत ही ना करे। वैसे देखा जाए तो वामपंथी यही तो चाहते हैं।
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की ही तरह ‘द हिंदू’ ने भी रोज़े रखने को अच्छा और करवा चौथ रखने को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है। बेहद दिलचस्प बात यह है कि ‘द हिंदू’ ने पहले करवा चौथ को डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए समस्या से भरा बताया था। वहीं डायबिटीज मरीजों के लिए ही यह लिखा कि वे रोजा रख सकते हैं।
यही हाल ‘इंडियन एक्सप्रेस’ का भी रहा। करवा चौथ को लेकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा था कि व्रत रहने से महिलाओं को पीरियड्स में परेशानियों से लेकर मेटाबॉलिज़्म तक की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा हॉर्मोन्स से जुड़ी समस्याओं को लेकर बात भी की गई थी। वहीं, रोज़े को लेकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा था कि इससे वजन घटाने से लेकर सुगर और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं में मदद मिल सकती है। साथ ही इससे ब्लड प्रेशर कम होने की बात भी लिखी गई थी।
‘हेल्थ साइट्स’ ने करवा चौथ को पीरियड्स से जोड़ने की कोशिश की। इसकी हेडिंग थी, “क्या पीरियड्स के दौरान करवा चौथ का व्रत रखना सुरक्षित है? जानिए सच्चाई।” पूरे लेख में किसी भी विशेषज्ञ या डॉक्टर के नाम के बिना जानकारी प्रकाशित की गई है। साथ ही हेल्थ से जुड़ी हेडिंग के साथ पीरियड्स को लेकर धार्मिक रीति-रिवाजों को बताया गया है। वहीं, रमजान की हेडिंग में वकायदा एसिडिटी से बचने के तरीके के बारे में बताने की कोशिश की गई। ऐसे सवाल यह है कि जब हिंदू त्योहारों में महिलाओं के पीरियड्स की बात हो सकती है तो फिर इस्लामिक में क्यों नहीं?
‘इंडिया टीवी’ ने बॉलीवुड एक्ट्रेस ट्विंकल खन्ना द्वारा करवा चौथ का मजाक उड़ाए जाने को प्रमोट करने की कोशिश की। ‘इंडिया टीवी’ ने लिखा, “महिलाएं करवा चौथ छोड़ सकती हैं, ट्विंकल खन्ना ने इसका मजेदार कारण बताया’
ट्विंकल खन्ना ने मजेदार कारण बताया…? सवाल यह है कि इस्लामवादी त्योहार मनाने के लिए जब मासूम जानवरों की सरेआम और निर्मम हत्या करते हैं तब ट्विंकल खन्ना मजेदार बातें क्यों नहीं बतातीं?, जिससे इस्लामवादी खून-खराबे से बच जाएं और करोड़ों जानवरों की भी जान बच जाए। साथ ही सवाल यह है कि अगर किसी ने हिंदू त्योहार का मजाक उड़ाया तो इसका मतलब यह कहां से हो गया हिंदू त्योहार मनाना या व्रत करना छोड़ दें। हिंदू महिलाएं अपनी मर्जी से व्रत करती हैं, उन पर किसी ‘लबादे’ की तरह जबरन नहीं थोपा गया।
यहां बेहद दिलचस्प बात यह है कि करवा चौथ को छोड़ने की बात करने वाला ‘इंडिया टीवी’ रमजान के दौरान रोजा रखने को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बताता हुआ नजर आया। ‘इंडिया टीवी’ की हेडिंग थी, “बेहतर पाचन स्वास्थ्य से लेकर वजन घटाने तक; रमजान के दौरान उपवास के स्वास्थ्य लाभों को जानें”, वही लेख में भी स्वास्थ्य लाभ की बातें बताई गई थीं।
कुल मिलाकर देखें तो मीडिया का एक बड़ा वर्ग हिंदू विरोधी मानसिकता से ग्रसित है। हिंदूफोबिक मीडिया का यह वर्ग हिंदुओं से नफरत करते-करते उनके त्योहारों और मंदिरों तक से नफरत करने लग गया है। नवरात्री से लेकर गणेशोत्सव तक में इन्हें प्रदूषण नजर आता है। लेकिन जब करोड़ों बेगुनाह जानवरों को काटकर खून नदी, नालों में बहाया जाता है, तब यही मीडिया आंख में पट्टी बांध लेता है। मतलब इन्हें समस्या त्योहारों या वास्तविक प्रदूषण से नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं से है।