महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी को लेकर सुर्खियों में आए कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा का एक पुराना एक्स पोस्ट फिर से चर्चा में है, क्योंकि ये उस वक्त लिखा गया था जब कंगना रनौत का दफ्तर तोड़ा गया था। उसके तुरंत बाद संजय राउत को स्टूडियो बुलाकर कामरा ने जो चर्चा की थी, उसमें जो बुलडोज़र के खिलौने रखे थे, वो वीडियो निकालकर भी लोग सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। कॉमेडियन वाली कोई बात तो इनमें होती नहीं, हाँ, राजनैतिक रूप से एक प्रेरित कार्यकर्ता अपने पक्ष की बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के कैसे प्रयास करता है, ये ज़रूर इनसे स्पष्ट हो जाता है।
इसके अलावा लोगों को शिवसेना के विरुद्ध गए अर्नब गोस्वामी की याद भी होगी ही, जिसपर कई एफआईआर करने के बाद जेल में डाला गया था। जनवरी 2020 में कामरा पर कुछ एयरलाइन्स को पाबंदी लगानी पड़ी क्योंकि कामरा यात्रियों (अर्नब गोस्वामी) को एक फ्लाइट के दौरान घेरकर जबरन सवाल जवाब करके परेशान कर रहा था। अब उसका ये घेरकर तंग करने वाला तरीका उसपर ही इस्तेमाल हो गया है तो उसे परेशानी क्यों है पता नहीं!
एक बात जो गौर करने लायक है, वो ये भी है कि बार-बार उसे कॉमेडियन घोषित करने का प्रयास हो रहा है। अगर पुरानी वाली उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता और संपादक रहे संजय राउत के साथ उसका इंटरव्यू देखें तो कहीं से भी कॉमेडी तो दिखाई ही नहीं देती! इस इंटरव्यू के दौरान मेज पर छोटे-छोटे बुलडोज़र के खिलौने रखे हुए थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि इंटरव्यू तब हुआ था जब संजय राउत महाराष्ट्र में सरकार में थे और उन लोगों ने सरकारी तंत्र का प्रयोग करके कंगना रानौत का दफ्तर तुड़वा दिया था। इसके बाद जिस ‘सामना’ के संपादक संजय राउत हुआ करते थे, उसमें जो लेख छपा, उसका शीर्षक कहता था ‘उखाड़ लिया’।
इसमें कहीं से भी कॉमेडी तो क्या शालीन भाषा भी नही दिखती। जो कामरा और उसके साथियों ने कभी इस्तेमाल ही नहीं किया, उसकी अपेक्षा किसी और कैसे कर सकते हैं? संजय राउत के साथ वीडियो में कामरा साफ़ ही कहते हुए सुनाई देते हैं कि संजय राउत के ‘उखाड़ लिया’ वाले आर्टिकल पर ऑटोग्राफ लेकर वो उसे फ्रेम करवाएंगे। भाई जब किसी और के दफ्तर के सत्ता पक्ष द्वारा तोड़े जाने की खबर पर ‘उखाड़ लिया’ को प्रशंसनीय बता रहे थे, उसी समय सोचना था न कि कभी सरकार बदली तब क्या होगा?
वैसे देखा जाए तो नैतिकता के साधारण से नियम कामरा को बच्चों तक के मामले में याद नहीं रहते। मीडिया जगत में काम करने वाले पॉस्को और दूसरे बच्चों से सम्बंधित कानून (जैसे जेजे एक्ट) के साधारण नियमों से परिचित होते हैं। बच्चों के मामले में यूनिसेफ सहित सभी संगठनों के पास जो नैतिकता की साधारण नियमावली उसमें बताया जाता है कि बच्चों का कोई वीडियो/फोटो उनके माता-पिता या अभिभावकों की अनुमति के बाद ही पोस्ट करना चाहिए। बच्चे की जिससे अभी या भविष्य में हंसी उड़ाई जा सकती हो, या उसकी छवि को नुकसान पहुँचता हो, ऐसे कोई वीडियो/चित्र प्रदर्शित नहीं किये जाने चाहिए।
कामरा ने मई 2022 में अपनी कई सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये न केवल एडिट किया वीडियो बिना अनुमति पोस्ट किया, बल्कि उसे एडिट करना स्वीकारा भी। इस वीडियो में बच्चा प्रधानमंत्री मोदी के एक जर्मनी दौर के दौरान गा रहा था, जिसे एडिट करके कामरा ने गाना बदला और ‘महंगाई डायन’ वाला ‘पीपली लाइव’ का गाना लगा दिया। इसपर बच्चे के पिता ने भारत के बाल अधिकार आयोग में शिकायत की जिसके बाद कामरा ने वीडियो तो डिलीट कर दिया लेकिन कहता रहा की उसका इरादा आर्थिक नीतियों को निशाना बनाना था। अपनी बारी में नैतिकता भूल गए इस आदमी को दूसरों को नैतिकता सिखाने का कौन सा हक है?
कुणाल कामरा को कॉमेडियन नहीं बल्कि राजनैतिक कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) इसलिए भी मानना चाहिए क्योंकि पिछले ही वर्ष (31 जनवरी 2024 को) कुणाल कामरा बनाम भारत गणराज्य का बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला भी आया था। इस मुकदमे में कामरा ने 2023 में आईटी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 में हुए संशोधनों को चुनौती दी थी। रूल 3(1), 3(1)(बी)(पांच) और 7 में सरकार ने जो संशोधन किये थे, उन्हें इस फैसले से पलट दिया गया था। इसके कारण अब सरकार अपना फैक्ट चेक का यूनिट बनाकर सोशल मीडिया पर आने वाले भ्रामक खबरों या दुर्भावनापूर्ण संदेशों को खारिज नहीं कर सकती। जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस नीला गोखले की पीठ ने इसपर सुनवाई की थी।
इसके अलावा कामरा की राजनैतिक आंदोलनों में भूमिका को देखा जाए तो दिल्ली दंगों के आरोपी, उमर खालिद के समर्थन में उसके दर्जन भर वीडियो-पोस्ट मिल जाते हैं। जमात-ए-इस्लामी हिन्द नाम के अलगाववादी संगठन के नदीम खान के साथ कामरा मंच साझा करता मिलता है। सर-तन-जुदा के नारे लगाती भीड़ को उकसाने वाले मुहम्मद जुबैर के साथ भी वो कई बार दिखता है। कुणाल कामरा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में नज़र आ चुका है। यानी कुणाल कामरा कॉमेडियन कम और राजनैतिक कार्यकर्ता अधिक है। अपने काम के लिए कामरा ने अपनी तरफ से सफाई दी है और उसका लम्बा सा वक्तव्य सोशल मीडिया पर है। बाकी वामपंथी जमात के इस प्रोपेगेंडा बाज पर सरकारी तंत्र नकेल कस भी पाता है या नहीं, ये देखने लायक बात होगी।