पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने मुफ्ती शाह मीर की गोली मारकर हत्या कर दी। मुफ्ती शाह मीर नमाज पढ़कर मस्जिद से बाहर आ रहा था। इसी दौरान उसकी हत्या हुई। मुफ्ती शाह मीर ने भारतीय नौसेना के रिटायर्ड ऑफिसर कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की मदद की थी। मुफ्ती शाह मीर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और मानव तस्करी जैसे अपराध में शामिल होने के आरोप थे।
पाकिस्तानी अखबर DAWN की रिपोर्ट के अनुसार, मुफ्ती शाह मीर 7 मार्च, 2025 की रात को जुमे की नमाज के बाद मस्जिद से बाहर आ रहा था। इसी दौरान घात लगाकर खड़े हुए बाइक सवार हमलावरों ने फायरिंग शुरू कर दी। कई राउंड फायरिंग में कुछ गोलियां मुफ्ती शाह मीर को लगीं। इससे वह वहीं पर गिर गया। इसके बाद उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मुफ्ती शाह मीर पाकिस्तान के इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी जमीयत उलमा-ए-इस्लाम का भी सदस्य था। पाकिस्तानी मीडिया मुफ्ती शाह मीर को तुर्बत और बलूचिस्तान का इस्लामी विद्वान बता रहा है। साथ ही शाह को पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के मेंबर और सीनियर नेता मौलाना फजलुर्रहमान का करीबी भी माना जाता था। दूसरी ओर यह बहु कहा जा रहा है कि मुफ्ती पर बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने और मानव तस्करी के आरोप थे।
रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि मुफ्ती शाह मीर पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के एजेंट के तौर पर भी काम करता था। आईएसआई के एजेंट के तौर पर भारत के नेवी अफसर कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा कर पाकिस्तान लाने में भी उसका हाथ होने का दावा किया जाता रहा है।
क्या है कुलभूषण जाधव का मामला?
भारतीय नौसेना के रिटायर्ड ऑफिसर कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तानी सेना ने ईरान से अगवा कर लिया था। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि कुलभूषण भारतीय खुफिया एजेंसी R&AW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के कर्मचारी हैं और उन्हें बलूचिस्तान से जासूसी करते हुए पकड़ा गया है। हालांकि भारत सरकार ने पाकिस्तान के इस दावे को गलत बताते हुए कहा था कि उन्हें ईरान से अगवा किया गया था। भारत सरकार ने कुलभूषण जाधव को जासूस मानने से भी इनकार किया था।
भारत का कहना रहा है कि कुलभूषण जाधव ईरान में कारोबार करते थे। इसी दौरान 30 मार्च 2016 को उन्हें ईरान से अगवा कर गिरफ्तार किया गया था। भारत ने पाकिस्तान पर कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की जेल में प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया था। बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच देने से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हेग स्थित आईसीजे ने जुलाई 2019 में इस मामले में पाकिस्तान से कहा था कि वह भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करे और सजा की समीक्षा भी सुनिश्चित करे।